

ढहा विशाल वटवृक्ष साथ ही गिरा मान्यताओं का परंपरा
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 28 अप्रैल
– जारी है काशी विश्वनाथ कारीडोर के नाम पर काशी की आत्मा का हनन – अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती
– श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर प्रशासन और पीएसपी कम्पनी की बड़ी लापरवाही
– विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित अक्षयवट गिरा , हनुमान मंदिर में था मौजूद
– विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत परिवार में भी रोष
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र स्थित अक्षयवट हनुमान मंदिर स्थित विशाल अक्षयवट वृक्ष विश्वनाथ मंदिर प्रशासन के लापरवाही से बुधवार को गिर गया। दरअसल, प्रधानमंत्री के ड्रीम प्रॉजेक्ट विश्वनाथ धाम कॉरिडोर निर्माण कार्य के दौरान दायरे में आये अक्षयवट हनुमान और शिव सभा मन्दिर में आया है। शुरू में ही महंत परिवार ने अधिकारियों को अवगत कराया था कि वृक्ष और अंजनी पुत्र के विशाल विग्रह को संरक्षित और सुरक्षित रखते हुए ही कार्य किया जाए। अधिकारियों ने आश्वासन दिया था कि सुरक्षित और संरक्षित किया जाएगा। पर निर्माण कर रही पीएसपी कम्पनी और मंदिर प्रशासन की लापरवाही से वृक्ष संरक्षित नहीं किया गया और बुधवार की सुबह विशाल अक्षयवट वृक्ष ढह गया। मंदिर महंत परिवार में रोष व्याप्त है।
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स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने भी तल्ख़ टिप्पणी करते हुए प्रधानमंत्री पर सीधा निशाना साधा स्वामी अविमुक्तेश्वरानन्दः ने जारी अपने रोष पत्र में लिखा है कि सैकडों मन्दिर और हजारों मूर्तियां तोड कर मलबे में फेंक दी गईं । गोविन्देश्वर महादेव के पास का पीपल का हरा पेड काट दिया गया। कई प्राचीन कुएं पाट दिये गये। मण्डन मिश्र की मूर्ति का मानमर्दन हुआ। धार्मिक काशी के सबसे सम्मानित व्यास जी की प्रशासन की निर्ममता के कारण अपना घर होते हुये भी किराये की जगह में मृत्यु हुई।आगे कहा है कि विश्वनाथ जी की कचेहरी के सब देवता गायब कर दिये गये। उनकी रसोई भी तोड दी गई और उनके गुरु अविमुक्तेश्वर महादेव भी ‘मुक्त’ कर दिये गये। नरेन्द्र मोदी ने आकर कहा कि विश्वनाथ जी सांस नहीं ले पा रहे थे अब सांस लेंगे। गंगा ने बुलाया है कहकर गंगा को ही पाट दिया गया। अब अक्षय वट को भी ‘तरीके’ से धराशायी कर दिया गया है। हम कुछ नहीं कहेंगे। क्योंकि हमने आरम्भ में ही कह दिया था कि पूज्यों की पूजा में व्यतिक्रम दुर्भिक्ष, मरण और भय लाता है। यह भी कह दिया था कि तीन वर्ष के अन्दर इस महापाप का फल पूरे विश्व को भोगना होगा क्योंकि ‘विश्वनाथ’ के साथ अन्याय हो रहा है।
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जानिये क्या था मान्यता
अक्षयवट वृक्ष पूरे भारत वर्ष में तीन जगह पर विराजमान है। काशी, गया और प्रयाग। महंत बच्चा पाठक, नील कुमार मिश्रा और रमेश गिरी ने संयुक्त रूप से बताया कि गया में वृक्ष के नीचे पिंडदान करने का, प्रयागराज में सिर मुंडन कराने और काशी में इसी वृक्ष के नीचे डंडी स्वामी को भोजन कराने का महात्म्य है। तीनो स्थानों पर हनुमान जी तीन स्वरूप में विराजमान है। गया में बैठे है, प्रयागराज में लेटे है किले के अंदर और काशी में खड़े हनुमान जी है।
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