क्या कीट कोविड-19 के संभावित वाहक हैं?

क्या कीट कोविड-19 के संभावित वाहक हैं?

मनुष्य ही नहीं अपितु कीट भी विषाणुओं द्वारा प्रभावित होते हैं। कीटों को प्रभावित करने वाले अधिकांश विषाणु मनुष्यों के लिए गैर-रोगजनक हैं, परंतु हाल के कुछ अध्ययनों में घरेलू मक्खियों और तिलचट्टों को सार्स-2 (SARS-CoV-2) कोरोनावायरस को प्रसारित करने में सक्षम पाये जाने की संभावनायें व्यक्त की गयी हैं। सार्स-2 ‘सिवेयर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम कोरोनावायरस -2’ का संक्षिप्त रूप है जिसका नामकरण ‘इंटरनेशनल कमेटी ऑन टैक्सोनॉमी औफ वायरसेज़’ द्वारा किया गया है। और इसके कारण होने वाली बीमारी को कोविड-19 (कोरोनावाइरस डिज़ीज़ 2019) के रूप में जाना जाता है। सार्स-2 एक आरएनए (+ssRNA) वायरस है जिसकी बाहरी सतह पर स्पाइक ग्लाइकोप्रोटीन की उपस्थिति इसे एक मुकुटनुमा संरचना देती है। इसके सामान्य लक्षणों में बुखार, खांसी, थकान, सिरदर्द, गले में खराश और सांस लेने में तकलीफ प्रमुख हैं, जो उपचार के अभाव में निमोनिया, तीव्र श्वसन सिंड्रोम, आंतरिक अंगों में विकार अथवा मृत्यु भी उत्पन्न कर सकते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार अभी तक कोई भी साक्ष्य उपलब्ध नहीं है जो सार्स-2 कोरोनावायरस को कीटों द्वारा फैलाने की पुष्टि करता हो। हालांकि मनुष्यों में पाया जाने वाला एंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम-2 (ACE-2) रिसेप्टर, जिससे जुड़कर सार्स-2 कोरोनावायरस रोग उत्पन्न करता है, कीटों में भी पाया जाता है। परंतु कीटों में इसकी संरचना मनुष्यों से भिन्न होने के कारण यह सार्स-2 कोरोनावायरस से जुड़ने में सक्षम नहीं रहता। इस प्रकार सार्स-2 कोरोनावायरस कीटों द्वारा प्रेषित नहीं होता।
अभी हाल के कुछ अध्ययनों में सार्स-2 कोरोनावायरस की पुष्टि रोगियों के मल में हुयी है। इन परिस्थितियों में घरेलू मक्खियाँ (मस्का डोमेस्टिका) और तिलचट्टे (ब्लैटेला स्पीसीज़) कोविड-19 के प्रसारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि दोनों ही कीटों में सार्स-2 कोरोनावायरस की आसंजन क्षमता, उसके स्थायित्व और सक्रिय प्रसार का अध्ययन अभी शेष है, परंतु हम इस बात से पूर्णतः इनकार नहीं कर सकते कि कीट भविष्य में सार्स-2 कोरोनावायरस के संभावित वाहक नहीं हो सकते। अतः भविष्य के शोध विभिन्न कीटों द्वारा कोविड-19 के संचरण और रोगजनकतंत्र को ज्ञात करने के लिए आवश्यक हैं।

 

डॅा. भूपेन्द्र कुमार (असिस्टेंट प्रोफेसर),
जन्तु विज्ञान विभाग, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी

(25 दिसंबर 2020 को करंट साईन्स,119(12):1894 में प्रकाशित मेरे लेख पर आधारित)

 

 

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