.
.
वाराणसी का काशी स्टेशन बनेगा “इंटर मॉडल स्टेशन काशी”
20 जुलाई से 15 नवम्बर तक मांगलिक कार्य बंद , जानिये क्या वजह ..
BSP का डोरा – अयोध्या के ब्राह्मण सम्मेलन के रास्ते फिर ब्राम्हण कार्ड
बकरीद इस्लाम धर्म में सबसे अधिक मनाये जाने वाले त्यौहारों में से एक हैं. एक जश्न की तरह इस त्यौहार को मनाने की रीत हैं. इस मौके पर बाजारों में बाजारी बढ़ जाती हैं. ना ना प्रकार की वस्तुओं के साथ मुस्लिम जश्न मनाते हैं. लेकिन इस सबसे बढ़कर बकरीद का दिन कुर्बानी के लिए याद रखा जाता हैं. इस दिन इस्लाम से जुड़ा हर शख्स खुदा के सामने सबसे करीबी को कुर्बान करता है, इसे ईद-उल-जुहा (Eid al-Adha) के नाम से जाना जाता हैं।
इस्लाम में बकरीद की तारीख
यह कुर्बानी का त्यौहार रमजान के दो महीने बाद आता हैं , इसमें कुर्बानी का महत्व बताया गया हैं। इस्लामिक कैलंडर के अनुसार इसकी शुरुआत 10 धू-अल-हिज्जाह से और खत्म 13 धू-अल-हिज्जाह को होता है। इस प्रकार यह इस्लामिक कैलंडर के बारहवें माह के दसवें दिन मनाया जाता है।
बकरीद के मायने
बकरीद का दिन फर्ज-ए-कुर्बान का दिन होता हैं। बकरीद के दिन बकरे की कुर्बानी दी जाती हैं। मुस्लिम समाज बकरे को पाल कर बड़ा होने पर बकरीद के दिन अल्लाह के लिए कुर्बान कर दिया जाता हैं जिसे फर्ज-ए-कुर्बान कहा जाता हैं।
यूँ शुरू हुआ परम्परा
इस्लामिक त्यौहार के पीछे एक एतिहासिक तथ्य हैं। खुदा ने हजरत मुहम्मद साहब का इम्तिहान लेने के लिए उन्हें यह आदेश दिया कि वे तब ही प्रसन्न होंगे, जब हज़रत अपने बेइंतहा अज़ीज़ को अल्लाह के सामने कुर्बान करेंगे। तब हज़रत इब्राहीम ने कुछ देर सोच कर निर्णय लिया और अपने अज़ीज़ को कुर्बान करने का तय किया। सबने यह जानना चाहा कि वो क्या चीज़ हैं जो हज़रत इब्राहीम को सबसे चहेती हैं जिसे वो आज कुर्बान करने वाले हैं। तब उन्हें पता चला कि वो अनमोल चीज़ उनका बेटा हजरत इस्माइल हैं जिसे वो आज अल्लाह के लिए कुर्बान करने जा रहे हैं। इस कुर्बानी को अदा करना इसलिए हज़रत इब्राहीम ने अपनी आँखों पर पट्टी बाँध ली और अपने बेटे की कुर्बानी दी। जब उन्होंने आँखों पर से पट्टी हटाई तब अपने बेटे की जगह अज़ीज़ बकरे की कुर्बानी अल्लाह ने कुबूल की।तब ही से कुर्बानी का यह मंज़र चला आ रहा हैं जिसे बकरीद ईद-उल-जुहा कहते है।
बदलता बकरीद
इस दिन बकरे के अलावा बकरी, भैंस और ऊंट की कुर्बानी दी जाती हैं। कुर्बान किया जाने वाला जानवर देख परख कर पाला जाता हैं अर्थात उसके सारे अंग सही सलामत होना जरुरी हैं। वह बीमार नही होना चाहिये। कुर्बान करने के बाद उसके मांस का एक तिहाई हिस्सा खुदा को, एक तिहाई घर वालो एवम दोस्तों को और एक तिहाई गरीबों में दे दिया जाता हैं। लेकिन इस दौर में त्यौहारों के रूप बदलते जा रहे हैं और ये कहीं न कहीं दिखावे की तरफ रुख करते नज़र आ रहे हैं।
सुर्ख़ियों में ख़बरें..
कोरोना अपडेट २० जुलाई सुबह – नहीं आया कोई संक्रमित
@ 10 pm – सोमवार की पूर्वांचल और बनारस की बड़ी खबरें
बकरीद में गोवंश व प्रतिबंधित पशु की कुर्बानी न हो, एक जगह एकत्र न हों 50 से ज्यादा लोग: मुख्यमंत्री
संदिग्ध स्थिति में असिस्टेंट प्रोफेसर की मौत
@ 10 pm – दिनभर की बड़ी खबरें ..
– @ 10 pm – सोमवार की पूर्वांचल और बनारस की बड़ी खबरें
– फटाफट न अंदाज में पूर्वांचल की खबरों संग बनारस की दिन भर की बड़ी खबर
– @ 10 pm – जानिये दिनभर की खबरों संग कल का पंचांग
आफ्टर नून न्यूज़ –
– सर्वे – यूपी चुनाव में त्रिशंकु सरकार , किस पार्टी के साथ कितने लोग
– जानिये ,विश्व के उन नेताओं का नाम जो #media-freedom पर रखते है लगाम
– जब सात पैसे के पेट्रोल मूल्य वृद्धि पर बैलगाड़ी से संसद पहुंचे थे अटल बिहारी वाजपेयी
– किसने किया दावा, छह से आठ हफ्ते में आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर
– आखिर क्यों नरेंद्र मोदी को बर्खास्त करना चाहते थे अटल बिहारी वाजपेयी %