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जन्माष्टमी पर्व 30 अगस्त को, जानिए नक्षत्र संग व्रत के लाभ
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अखिल ब्रह्माण्ड के महानायक व जन-जन के आराध्य षोडश कला से युक्त नटवर नागर भगवान् श्रीकृष्णजी की महिमा अनन्त है। भगवान् श्रीकृष्णजी की जन्मकुण्डली अपने आप में अद्भुत है। भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण के समय जन्मकुण्डली में चार प्रमुख ग्रह चन्द्रमा, मंगल, वृहस्पति व शनि उच्च राशि में। सूर्य, बुध व शुक्र स्वराशि में तथा राहु वृश्चिक और केतु ग्रह वृषभ राशि में विराजमान थे। धार्मिक व पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार भगवान् श्रीकृष्ण का अवतार द्वापर युग के अन्तिम चरण में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मध्यरात्रि 12 बजे वृषभ लग्न में मथुरा में हुआ था। इस दिन बुधवार व रोहिणी नक्षत्र से बना जयन्ती योग था। शास्त्रों के मुताबिक भगवान् श्रीकृष्ण के अवतार को पूर्ण अवतार माना गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी पर व्रत उपवास रखकर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने पर अनन्त पुण्यफल की प्राप्ति के साथ ही जीवन में सुख-समृद्धिï व खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता रहता है।
श्री कृष्ण की कुंडली में ग्रहों की स्थिति 0
ग्रह नक्षत्रों के योग से जयन्ती योग पर षोडश कलायुक्त जगत योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण धरती पर अवतरित हुए थे। भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में हिन्दुओं में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लोकप्रिय विशिष्ट पर्व माना गया है। ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि इस बार जन्माष्टमी का पावन पर्व 30 अगस्त, सोमवार को मनाया जाएगा। भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि 29 अगस्त, रविवार को अर्ध रात्रि 11 बजकर 26 मिनट पर लगेगी, जो कि 30 अगस्त, सोमवार को अखिल ब्रह्माण्ड के महानायक व जन-जन के आराध्य षोडश कला से युक्त नटवर नागर भगवान् श्रीकृष्णजी की महिमा अनन्त है। भगवान् श्रीकृष्णजी की जन्मकुण्डली अपने आप में अद्ïभुत है। भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण के समय जन्मकुण्डली में चार प्रमुख ग्रह चन्द्रमा, मंगल, वृहस्पति व शनि उच्च राशि में। सूर्य, बुध व शुक्र स्वराशि में तथा राहु वृश्चिक और केतु ग्रह वृषभ राशि में विराजमान थे। धाॢमक व पौराणिक ग्रन्थों के अनुसार भगवान् श्रीकृष्ण का अवतार द्वापर युग के अन्तिम चरण में भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन मध्यरात्रि 12 बजे वृषभ लग्न में मथुरा में हुआ था। इस दिन बुधवार व रोहिणी नक्षत्र से बना जयन्ती योग था। शास्त्रों के मुताबिक भगवान् श्रीकृष्ण के अवतार को पूर्ण अवतार माना गया है। ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण की जन्माष्टमी पर व्रत उपवास रखकर श्रीकृष्ण जन्मोत्सव मनाने पर अनन्त पुण्यफल की प्राप्ति के साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि व खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता रहता है। ग्रह नक्षत्रों के योग से जयन्ती योग पर षोडश कलायुक्त जगत योगेश्वर भगवान श्रीकृष्ण धरती पर अवतरित हुए थे। भारतीय संस्कृति के सनातन धर्म में हिन्दुओं में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी को लोकप्रिय विशिष्ट पर्व माना गया है।
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