जन्माष्टमी पर्व 30 अगस्त को, जानिए नक्षत्र संग व्रत के लाभ

जन्माष्टमी पर्व 30 अगस्त को, जानिए नक्षत्र संग व्रत के लाभ


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भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी तिथि 29 अगस्त, रविवार को अर्धरात्रि 11 बजकर 26 मिनट पर लगेगी, जो कि 30 अगस्त, सोमवार को अर्धरात्रि के पश्चात् 2 बजकर 00 मिनट तक रहेगी। तत्पश्चात् नवमी तिथि प्रारम्भ हो जाएगी, जो कि 31 अगस्त, मंगलवार को अर्धरात्रि के पश्चात 4 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। 30 अगस्त, सोमवार को प्रात: 6 बजकर 38 मिनट से रोहिणी नक्षत्र लग रहा है जो कि 31 अगस्त, मंगलवार को प्रात: 9 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के संयोग से जयंती योग बन रहा है, जो कि अत्यन्त ही शुभ फलदायी माना गया है। द्वापर में जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था, उस समय भी जयंती योग पड़ा था। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना का विशिष्ट काल तथा अष्टमी तिथि 30 अगस्त, सोमवार को मिल रही है। 30 अगस्त, सोमवार को अष्टमी तिथि तथा महानिशिथकाल का योग रात्रि 11 बजकर 41 मिनट से रात्रि 12 बजकर 25 मिनट तक रहेगा, जो कि भगवान् श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना के लिए विशेष फलदायी रहेगा। जिसके फलस्वरूप स्मार्तजन एवं वैष्णवजन व्रत, उपवास रखकर भगवान् श्रीकृष्ण की पूजा अर्चना करके उनका आशीर्वाद प्राप्त करेंगे।

भगवान श्रीकृष्ण जी को ऐसे करें प्रसन्न
व्रतकर्ता को प्रात:काल ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नानादि के पश्चात् इष्ट देवी-देवता की आराधना करके पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके अपने दाहिने हाथ में जल, पुष्प, फल, गन्ध व कुश लेकर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी के पूजन एवं व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन उपवास रखकर रात्रि 12 बजे भगवान् #श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव का पर्व मनाकर पूजा-आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करने की मान्यता है। भगवान् श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की शृंगारिक अलौकिक झांकियाँ सजाकर रात्रि जागरण करने की भी परम्परा है। भगवान श्रीकृष्ण के सम्बन्धित स्तोत्र का पाठ एवं मन्त्र का जप भी किया जाता है। श्रीकृष्ण के जन्मोत्सव की पावन बेला पर रात्रि में भगवान् श्रीकृष्ण का नयनाभिराम अलौकिक, मनमोहक शृंगार करना चाहिए। भगवान् श्रीकृष्ण के बालस्वरूप को झूला झुलाया जाता है। इस दिन शुभ बेला में पूजा के अन्तर्गत नैवेद्य के तौर पर मक्खन, दही, धनिये से बनी मेवायुक्त पंजीरी, सूखे मेवे, मिष्ठान्न व ऋतुफल आदि अर्पित किए जाते हैं। इस दिन व्रत, उपवास रखने पर भगवान श्रीकृष्ण जी की असीम कृपा प्राप्त होती है, जिससे जीवन के समस्त पापों का शमन होता है तथा अनन्त पुण्यफल की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।



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