पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की बेटी के सवाल ने राजनैतिक हलकों में लाया चक्रवात

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  गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी  (vijay rupani ) एक बार फिर चर्चा में है इस बार मुख्यमंत्री बनाये या हटाए जाने विषय नहीं है बल्कि एक फेसबुक पोस्ट है। पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी राधिका द्वारा फेसबुक पोस्ट चर्चा की वजह हैं। राधिका ( radhika ) लंदन में रहती हैं। जिसने रविवार (12 सितंबर, 2021) को फेसबुक पोस्ट ‘विजय रूपाणी फ्रॉम दि आईज ऑफ ए डॉटर’ (एक बेटी की नजर से विजय रूपाणी) शीर्षक वाले पोस्ट में उन्होंने पिता की “मृदुभाषी” छवि को नष्ट करने वाले सभी लोगों की निंदा की। आगे पिता के सियासी जीवन के उदाहरणों का जिक्र किया और बताया कि कैसे वह एक “संवेदनशील” नेता बनना चाहते थे। उनके पिता कठिन समय में देर रात ढाई बजे तक लोगों के लिए काम किया करते थे। साथ ही सवाल उठाया है कि क्या सिर्फ कठोर छवि ही नेता की पहचान होती है ? राधिका लिखी है सितंबर 2002 में जब गांधीनगर (गुजरात) के अक्षरधाम मंदिर पर आतंकी हमला हुआ तो उनके पिता ही पहले व्यक्ति थे, जो वहां गए थे। रूपाणी तब मोदी से भी पहले वहां पहुंचे थे। चक्रवाती तूफान तौकते और वैश्विक महामारी कोरोना वायरस सरीखे बड़े खतरों के दौरान मेरे पिता देर रात ढाई बजे तक जागते रहते थे और सीएम डैशबोर्ड और फोन कॉल्स के जरिए बंदोबस्त में जुटे रहते थे। राधिका ने आगे लिखा है कि क्या राजनेताओं में संवेदनशीलता और कृपा नहीं होनी चाहिए? क्या यह एक जरूरी गुण नहीं है, जो हमें एक नेता में चाहिए? उन्होंने (रूपाणी) कड़े कदम उठाए हैं और जमीन हथियाने वाला कानून, “लव जिहाद”, गुजरात आतंकवाद नियंत्रण और संगठित अपराध कानून (गुजसीटीओसी), सीएम डैशबोर्ड जैसे फैसले इस बात के सबूत हैं। क्या कठोर चेहरे का भाव ओढ़े रहना…एक नेता की निशानी है?”

गुजरात की सियासी चाल 
 गुजरात में विधानसभा चुनाव करे पहले मुख्यमंत्री को बदला गया है। रूपाणी ने तीन दिन पहले सीएम पद से अचानक इस्तीफा दिया था। भाजपा शासित राज्यों में पद छोड़ने वाले रूपाणी चौथे मुख्यमंत्री हैं। उन्होंने दिसंबर 2017 में दूसरी बार राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी। जबकि इस वर्ष सात अगस्त को मुख्यमंत्री के तौर पर पांच वर्ष पूरे किये थे। रूपाणी के बाद भूपेंद्र पटेल  राज्य के 17वें मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली और वह सूबे में पाटीदार समुदाय से पांचवें सीएम हैं। गुजरात में पाटीदार एक प्रमुख जाति है। उसका चुनावी वोटों में से एक बड़े हिस्से पर नियंत्रण होने के साथ ही शिक्षा, रियल्टी और सहकारी क्षेत्रों पर मजबूत पकड़ भी है। ऐसे में जब दिसंबर 2022 में राज्य विधानसभा चुनाव होने की उम्मीद है, भाजपा ने चुनाव में जीत के लिए पटेल पर भरोसा जताया है।



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