
इनोवेस्ट पित्र पक्ष विशेष ( 21 – 6 oct )
आइये , जानते है पुरी जानकारी नारायणबलि और नागबलि श्राद्ध
पितृ पक्ष – जानिए पूरी जानकारी , 21 सितम्बर, मंगलवार से, 6 अक्टूबर, बुधवार को समापन ,
पितृ खुश तो इंसान राजा और नाखुश तो भिखारी
2 अक्टूबर, 1904, वही तारीख है जब देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्म हुआ था । लाल बहादुर शास्त्री एक ऐसे प्रधानमंत्री पद पर होते हुए भी अपने वेतन में से ही गरीबों को भी एक हिस्सा दिया । वो अपने जीवन काल में बतौर प्रधानमंत्री तो चर्चा में रहे ही लेकिन उससे भी ज्यादा चर्चा में वो मृत्यु के इतने सालों बाद भी बने हुए हैं और इसकी वजह है लाल बहादुर शास्त्री की संदिग्ध परिस्थियों में हुई मौत जिसकी जांच कराने को लेकर वक्त-वक्त पर आवाज उठती रहती है। आइए जानते हैं अनुज धर की किताब ‘ शास्त्री के साथ क्या हुआ था” से, किताब में उस शाम का जिक्र कुछ इस तरह है…
क्या हुआ था उस रात
ताशकंद में उस रात लाल बहादुर शास्त्री के साथ क्या हुआ था, आज तक हैं कई अनसुलझे सवालदरअसल उस रात जैसे ही लाल बहादुर शास्त्री ने अपने कपड़े बदले उनसे खाने के लिए पूछा गया । पहले उन्होंने मना किया फिर कुछ हल्का-फुल्का लाने के लिए कहा। रामनाथ उनके लिए आलू-पालक की सब्जी और एक करी ले आया ।ये खाना मोहम्मद जान ने रूसी रसोइयों की मदद से पकाया था। इसके बाद डाचा की स्टडी रूम में सहाय अगले दिन के कार्यक्रम पर बात करने के लिए लाल बहादुर शास्त्री का इतंजार कर रहे थे । प्रधानमंत्री वहां पहुंचे। सहाय को इसी बीच पीएम के निजी सचिव वीएस वेंकेटरमन का फोन आया। शास्त्री ने सहाय को पूछने के लिए कहा कि ताशकंद समझौते पर भारत में क्या प्रतिक्रिया आ रही है? वेंकेटरमन ने फोन पर बताया कि अटल बिहारी वाजपेयी और एसएन द्विवेदी की आलोचनाओं को छोड़ ताशकंद ऐलान का लगभग सभी ने स्वागत किया है। इस पर शास्त्री जी ने कहा कि वो विपक्ष में हैं और सरकार के फैसलों की आलोचना करना उनका अधिकार है। आधी रात हो चुकी थी और शास्त्री अपने बेड रूम में पहुंचे। उन्होंने रामनाथ से इसबगोल के साथ थोड़ा दूध देने को कहा। इसके बाद उन्होंने पानी मांगा और फिर कुछ देर बाद उन्होंने रामनाथ से सुईट की बत्ती बंद कर देने को कहा। इसी बीच सहाय, शर्मा और कपूर भी सोने की तैयारी कर रहे थे कि अचानक उन्होंने आहट सुनी। खुद प्रधानमंत्री उनके दरवाजे के पास खड़े थे ।उन्होंने बेहद हल्की आवाज में कहा ‘डॉक्टर’. सहाय डॉ चुग को जगाने के लिए दौड़े इधर बाकी लोगों की मदद से शास्त्री जी अपने रूम में पहुंचे। इस बीच वो सांस लेने में जूझने लगे। डॉ चुग उनके पास पहुंचे । उन्होंने देखा शास्त्री जी की नब्ज बेहद कमजोर चल रही थी। शास्त्री जी को दिल का दौरा पड़ा था। तुरंत डॉ चुग ने उनका इलाज शुरू किया लेकिन वो बेहोश हो गए। कुछ देर में उनकी नब्ज बंद हो गई और सांसे भी रुक गई। डॉ चुग ने हर उपाय आजमाया मगर हर कोशिश बेनतीजा रही। तभी डॉ चुग बिलखते हुए बोले- ”आपने मुझे मौका नहीं दिया”। शास्त्री की मौत हो चुकी थी। अब तक रूस के डॉक्टरों की टीम भी पहुंच गई थी। अयूब खान भी दौड़े आए। शास्त्री की मौत से वो दुखी थे क्योंकि उनको लगता था कि शास्त्री ही वो आदमी हैं जिनकी मदद से भारत-पाक झगड़ा सुलझाया जा सकता है। ….तत्कालीन गृह मंत्री गुलजारी लाल नंदा को फोन किया और इस दुखद खबर के बारे में जानकारी दी। फिर धीरे-धीरे खबर जंगल में आग की तरफ फैल गई।
‘हत्या का शक’
लाल बहादुर शास्त्री की पत्नी ललिता शास्त्री ने तो उनकी मौत को लेकर कई सवाल उठाए थे ।14 अक्टूबर 1970 में ‘धर्मयुग’ में उनका एक इंटरव्यू छपा था ।जिसमें उन्होंने संदिग्ध मौत को लेकर कई दावे किए थे। दरअसल जब पार्थिव शरीर भारत लाया गया तो शास्त्री के नीले पड़ चुके थे शरीर को लेकर अफवाहें उड़ने लगीं कि जहर दिया गया है ।
सवाल दर सवाल
लाल बहादुर शास्त्री की मौत को लेकर आज भी कई सवाल ज्यों के त्यों है, ताशकंद के लिए रवाना होने से पहले उनके नाम से लिखे गए कथित जाली पत्र, मोहम्मद जान की संदेहास्पद भूमिका, उस वक्त प्रधानमंत्री के कमरे में टेलीफोन था या नहीं, लाल बहादुर शास्त्री का पार्थिव शरीर भारत लाए जाने पर उसकी स्थिति पर । बॉडी का पोस्टमार्डम न होना और शरीर पर कट के निशान ।
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