पितृ पक्ष – एक पेड़ जंहा प्रेत को मिलती है भी मिल जाती है मुक्ति

पितृ पक्ष – एक पेड़ जंहा प्रेत को मिलती है भी मिल जाती है मुक्ति

इनोवेस्ट पित्र पक्ष विशेष ( 21 – 6 oct )

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पितृ पक्ष – जानिए पूरी जानकारी , 21 सितम्बर, मंगलवार से, 6 अक्टूबर, बुधवार को समापन ,

पितृ खुश तो इंसान राजा और नाखुश तो भिखारी



यदि बात आध्यात्म की करे तो ब्रम्हांड में ६४ लाख योनियो का वर्णन है जिसमे जीव अपनी अपनी कर्म के अनुशार जन्म लेते है और क्रम फल के बाद अगले योनी में प्रवेश करते है , ऐसी ही एक योनी का वर्णन शास्त्रों में है जिसे प्रेत योनी कहा जाता है , इस योनी में वो जीव समाहित होते है जो अपने पिछले जन्म में अपनी इक्छाओ की पूर्ति नहीं कर पाते या फिर असमय काल के गाल में समा जाते है ।आइये प्रेतों की आत्मा की शांति से जुडी इस स्थान को बताते है जहाँ प्रेतों को प्रेत योनी से छुटकारा मिलता है ….
लाल शिव की नगरी काशी में सभी का वास है ,आखिर भोले भंडारी की प्रिय नगर में सभी तो होगे ही , शहर के पश्चिमी उतरी छोर पर पिचाश मोचन कुण्ड स्थित है वही पास में एक अद्भुत वृक्ष है , वृक्ष के तना से जड़ तक हर जगह ताम्बे या दुसरे धातु से सिक्के के साथ लोहे का कील लगा दिखेगा …असल में ये कील किसी न किसी प्रेत आत्मा से जुड़ा है | मान्यताओ की माने तो तांत्रिक और वैदिक कर्मो के बाद भी कुछ आत्माओ को मुक्ति नहीं मिलता वो आत्मा किसी न किसी को अनेक प्रकार से परेशान करते है ऐसी आत्माओ को यहाँ न केवल शांति मिलता है वल्कि उन्हें सदा सदा के लिए प्रेत योनी से मुक्ति भी ।
पिचाश मोचन तीर्थ का उलेख्य धर्म ग्रंथो में भी है यहाँ पित्र पक्ष में एक और पितरो का श्राद्ध होता है तो वही दूसरी तरफ प्रेत योनी के आत्माओ के शांति के लिए प्रयोग भी | सैकड़ो साल से बृक्ष में कील लगने की परम्परा चली आ रही है , कील लगने से पहले एक विशेष पूजा सम्पादित होती है जिसमे वलि भी दिया जाता है


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