
वाराणसी। सत्तापक्ष का दबाव कहे या फिर पैसे का गुरुर। समाज मे अनेक प्रकार के आरोपों में घिरे राजनेताओं का मामला दर्ज है बावजूद किसी अधिकारी ने संतोषजनक कार्यवाही और फैसला नहीं सुनाते। क्योंकिं राजनेताओं पर पीड़ित परिवार का आरोप लगाना और खुद ही आरोपित बन जाना। ये पुलिसिंग का कार्यवाही होती है। इस कार्यवाही से क्षुब्ध होकर पीड़ित परिवार या तो मुकदमा वापस ले लेता है या फिर खुद की लीला समाप्त कर लेता है। आइए जानते हैं कि इससे जुड़ी हुई घटना और पुलिसिंग का कारनामा। मामला घोसी सांसद अतुल राय से जुड़ा है। जो दुष्कर्म और पीड़िता के आत्मदाह प्रकरण में पुलिस ने गलत रिपोर्ट लगाई थी। जिसमे निलंबित डीएसपी (पूर्व क्षेत्राधिकारी भेलूपुर) अमरेश सिंह बघेल को शासन ने मंगलवार को बर्खास्त किया है। बघेल ने पीड़िता को आत्महत्या के लिए उकसाने का आरोप है। जिसमे वाराणसी कमिश्नरेट ने 30 सितंबर को बाराबंकी हैदरगढ़ के डाफी टोल प्लाजा समीप से गिरफ्तार किया गया था। जिसमे 1 अक्टूबर को बघेल की न्यायालय में पेश कर 14 दिन की न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेजा गया।
ये था सीओ का कारनामा
भेलूपुर क्षेत्राधिकारी बघेल ने दुष्कर्म के आरोपी अतुल राय को क्लीन चिट दी और मुकदमें में विवेचना की संतुष्टि की थी। जब इस मामले पर चर्चाओं का बाजार गर्म होने लगा तो शासन ने बघेल को निलंबित कर दिया और जांच रिपोर्ट आईजी रेंज प्रयागराज को सौंपी गई थी।
इन अधिकारियों पर भी हुई कार्यवाही
काशी जोन के एडीसीपी रह चुके विकास चंद्र त्रिपाठी एसआइटी की जांच के बाद से निलंबित किये गए है। दूसरे एसएसपी अमित पाठक पर भी गंभीर आरोप पीड़िता ने लगाया था। इसके बाद पाठक को गाजियाबाद एसएसपी पद से हटाया और मुख्यालय से अटैच कर दिया। इन दोनों भ्र्ष्ट और भक्षक अधिकारियों के खिलाफ जांच पड़ताल चल रही है।
बघेल ने पीड़िता की मदद के बजाए आरोपी का किया था मदद
क्षेत्राधिकारी बघेल ने बसपा सांसद अतुल राय के दबाव में पीड़िता के खिलाफ गलत रिपोर्ट लगाई और प्रयागराज के एमपी-एमएलए कोर्ट में सांसद के पक्ष में पीड़िता के खिलाफ गवाही दी थी।
परेशान होकर पीड़िता व गवाह ने किया आत्मदाह
जब हर रास्ते पर हार का सामने करना पड़ा तो बहादुर बिटिया और उसका गवाह साथी ने रूह कांप जाने वाले कदम को उठाया। जो 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट परिसर के बाहर आत्मदाह कर लिया था। पीड़िता ने घटना से पहले सोशल मीडिया पर लाइव आकर इन सभी अधिकारियों पर आरोप लगाया था। इस घटना में दोनों ही गम्भीर रूप से घायल हो गए और उपचार के दौरान दोनों की लीला समाप्त हो गई।
आत्म को मिली शान्ति
जब भ्रष्ट अधिकारियों पर चाबुक चलने लगा तो कही न कही पीड़िता और गवाह साथी के दिवंगत आत्मा को शान्ति मिल रहा होगा। क्योंकिं न्याय न मिलने पर ही इन दोनों ने कोर्ट के बाहर आत्मदाह किया था।
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