
संध्या अर्घ्य
तीसरे दिन (10 नबम्बर ) कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है। प्रसाद के रूप में ठेकुआ, जिसे कुछ क्षेत्रों में टिकरी भी कहते हैं, के अलावा चावल के लड्डू, जिसे लड़ुआ भी कहा जाता है, बनाते हैं। इसके अलावा चढ़ावा के रूप में लाया गया साँचा और फल भी छठ प्रसाद के रूप में शामिल होता है।
शाम को पूरी तैयारी और व्यवस्था कर बाँस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है और व्रति के साथ परिवार तथा पड़ोस के सारे लोग अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने घाट की ओर चल पड़ते हैं। सभी छठव्रती एक नीयत तालाब या नदी किनारे इकट्ठा होकर सामूहिक रूप से अर्घ्य दान संपन्न करते हैं। सूर्य को जल और दूध का अर्घ्य दिया जाता है तथा छठी मैया की प्रसाद भरे सूप से पूजा की जाती है। इस दौरान कुछ घंटे के लिए मेले का दृश्य बन जाता है।
उषा अर्घ्य
चौथे दिन कार्तिक शुक्ल सप्तमी की सुबह उदियमान सूर्य को अघ्र्य दिया जाता है। ब्रती वहीं पुनः इक्ट्ठा होते हैं जहाँ उन्होंने शाम को अर्घ्य दिया था। पुनः पिछले शाम की प्रक्रिया की पुनरावृत्ति होती है। अंत में व्रति कच्चे दूध का शरबत पीकर तथा थोड़ा प्रसाद खाकर व्रत पूर्ण करते हैं।
“इन न्यूज़” छठ स्पेशल –
छठ पर्व : कैसे मनाते है साथ किन किन ने किया है अब तक छठ
जानिए व्रती महिलाएं किन फलों की करेंगी खरीदारी
छठ पर्व : आखिर क्या रिश्ता है छठी माता से भगवान सूर्य का
छठ पर्व : जानिए क्या होता है नहाय खाय, खरना और लोहंडा का मतलबU
लेटेस्ट खबरें, इन्हें भी पढ़िए –
छठ पर्व का सार्वजनिक अवकाश, बुधवार को बंद रहेंगे सभी कार्यालय
नफरत छोड़ो – भारत जोड़ो सम्मेलन कल
वाराणसी : दो दिन के प्रवास पर 12 नबम्बर को काशी में होंगे गृह मंत्री
कहीं भी मूर्ति रखने की जगह , सम्मानजनक ठंग से करें देव प्रतिमा को विसर्जित, करिये हेल्पलाइन पर फोन
इन्नोवेस्ट ( इन न्यूज) ने लीला प्रेमियों को घर बैठे दिखाया नाग नथैया
इन्नोवेस्ट ( इन न्यूज) ने लीला प्रेमियों को घर बैठे दिखाया नाग नथैया
वीडियो- नाग नथैया की तैयारी का अंतिम रूप, जाने कब है लीला