मोतियाबिंद : नियमित करायें आंखों का परीक्षण,बरतें सावधानी व रखें विशेष ध्यान


– जिले में अप्रैल से अबतक 15,380 मरीजों की हुई स्क्रीनिंग
– इस साल 1870 मरीजों का हुआ मोतियाबिंद का निःशुल्क इलाज

वाराणसी । बढ़ती उम्र के साथ होने वाली स्वास्थ्य समस्याओं में मोतियाबिंद सबसे सामान्य समस्या है, अगर सूर्यास्त के बाद सामने से सीधी आ रही रोशनी से आपको चोंधी लगती है या उस रोशनी से आपको देखने में परेशानी होती है तो आप इसकी अनदेखी कतई न करें। यह मोतियाबिंद के लक्षणों में से एक है। बढ़ती उम्र के साथ मोतियाबिंद हो जाना सामान्य समस्या है। आंखों का परीक्षण समय पर कराते रहें। इससे आंखों में होने वाली समस्याओं से बचा जा सकता है।
मोतियाबिंद की समस्या लोगों में 50 साल के बाद पायी जाती हैं। जिला अस्पताल में यदि अंधता निवारण के 100 मरीज आते हैं तो उनमें लगभग 40 फीसदी मरीजों में मोतियाबिंद की समस्या पायी जाती है। ग्रामीण स्तर पर यह समस्या अधिक देखने को मिलती है, क्योंकि ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को जानकारी नहीं हो पाती है। 40 साल के बाद नजर में कमी होने पर शीघ्र ही चिकित्सक को दिखाएं। जनपद के सभी सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र व सरकारी चिकित्सालयों पर आँख की निःशुल्क जांच व परामर्श की सुविधा उपलब्ध है।
राष्ट्रीय अंधता निवारण व नियंत्रण कार्यक्रम के तहत 45 वर्ष के ऊपर के बुजुर्गों तथा 1 से 19 वर्ष तक के बच्चों को चश्मा दिया जाता है । भारत में अभी अंधता का प्रतिशत 0.36 है इसे 2024 तक 0.3% तक लाना है। भारत में बच्चों में होने वाली दृष्टिहीनता का एक बड़ा एवं मुख्य कारण उनके नेत्रों में होने वाले इनफेक्सन, विटामिन ए की कमी, कुपोषण, नेत्रों में लगने वाली चोटें, बाल्यावस्था में होने वाला मोतियाबिंद और निकट एवं दूर दृष्टि दोष आदि हैं। लगभग 70 से 80% बच्चों की दृष्टिहीनता को रोका या बहुत कम खर्च में किए जाने वाले प्रयासों से ही ठीक किया जा सकता है। नियमित अंतराल पर नेत्र परीक्षण करायें तथा नियमित शारीरिक अभ्यास तथा योग करें। हरी सब्जियों और फलों का प्रयोग करते रहने से नेत्र संबंधी परेशानियों से बचा जा सकता है।
जिला अस्पताल में निःशुल्क मोतियाबिंद का आपरेशन (इंट्रा ओकुलर लेंस – आईओएल) का प्रत्यारोपण किया जा रहा है। मरीजों की जांच, दवा, आपरेशन के उपरान्त की दवा भी निःशुल्क दी जाती है। आपरेशन पूरे वर्ष भर सोमवार से शनिवार दिवस में किया जाता है। मोतियाबिंद आपरेशन के मरीज नियत दिवसों में आते हैं। यहाँ पर उनका आवश्यकतानुसार समुचित इलाज किया जाता है। यहाँ समलबाई (ग्लूकोमा), नासूर (डीसीआर), नाखूना (टेरेजियम) तथा भैंगापन का भी इलाज किया जाता है। गंभीर बीमारियों के लिए मरीजों को सर सुंदरलाल चिकित्सालय (बीएचयू) रेफर किया जाता है।

यह हैं मोतियाबिंद के लक्षण –
• धुँधली या अस्पष्ट दृष्टि
• रोशनी के चारों ओर गोल घेरा सा दिखना
• रात के वक्त कम दिखाई देना
• हर वक्त दोहरा दिखाई देना
• हर रंग का फीका दिखना

मोतियाबिंद होने के कारण –
• बढ़ती उम्र
• अधिक देर तक सूर्य की रोशनी आँखों पर पड़ना
• आँख में चोट लगना
• डायबिटीज

इस तरह करें बचाव –
• आंखों का नियमित परीक्षण करवाना चाहिए
• वृद्धावस्था में आंखों के प्रति सचेत रहना चाहिए
• मोटापे के कारण टाइप-2 डायबिटीज होने की समस्या अधिक होती हैं जिससे की मोतियाबिंद होने का जोखिम भी बढ़ जाता हैं। इसलिए अपने शरीर के वजन को नियंत्रित रखें और डायबिटीज को भी कंट्रोल में रखें।
• घर से बाहर निकलने से पहले धूप या अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन से बचने के लिए चश्में जरूर पहनें।


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