
वाराणसी। धर्म की नगरी काशी में कोई भूखा नहीं सोता। यह वरदान काशी में देखने को मिलता है। जहां मंदिर, आश्रम सहित स्थानों पर लोगों को प्रसाद के रूप में भोजन की प्राप्ति होती है। काशी विश्वनाथ मन्दिर परिसर में स्थित माता अन्नपूर्णा का 17 दिवसीय महाव्रत 24 नवंबर से शुरू होगा एवं समापन के बाद माँ को धान श्रृंगार या यूँ कहे (धान की बाली ) चढ़ाई जाती है। महाव्रत के प्रथम दिन मंदिर के महंत अपने हाथों से 17 गांठ के धागे को भक्तों में वितरण किया जाता है। इस धागे को भक्त अपने दाहिने हाथ में धारण करते हैं।
महाव्रत में आस्थावान अन्न नही ग्रहण करते बल्कि एक समय बिना नमक का फलाहार करते है।
दरबार में चलने वाला 17 दिवसीय अनुष्ठान का उद्यापन 9 दिसम्बर को किया जाएगा। इस दौरान माँ को धान की बालियों से दरबार के गर्भ गृह के साथ पूरे परिसर को सजाया जाएगा और भक्तों को प्रसाद के रूप में धान की बालियां दी जाती है।
मन्दिर महन्त के अनुसार माता अन्नपूर्ण का महाव्रत पूजन दैविक, भौतिक का सुख प्रदान करने के साथ साथ अन्न-धन एवं ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
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