कन्नौज के छिपट्टी मोहल्ले से निकल मुंबई और मध्य पूर्व तक में इत्र का कारोबार करने वाले पीयूष जैन का नाम आज देश भर में चर्चा में है। पीयूष जैन का कारोबार वैसे तो कानपुर में है, लेकिन इनके पुरखे कई पीढ़ियों से कन्नौज में रहते आए हैं। इत्र के कारोबार की दुनिया में पीयूष जैन का भले ही बड़ा नाम था, लेकिन चर्चा में इनकम टैक्स ( Kanpur Raid Case ) की रेड के बाद रहा। पीयूष के ठिकानों से करीब 290 करोड़ की सम्पत्ति सामने आने की आस है। पीयूष जैन के कन्नौज स्थित आवास से आठ बोरों में मिली नकदी की गिनती शुरू हो गई है। फिलहाल हर कोई यह जानना चाहता है कि पीयूष आखिर कौन हैं, जिनके इत्र से ज्यादा नोटों की खुशबू महसूस की जा रही है। आइए जानते हैं कन्नौज के धनकुबेर की कहानी-
केमिस्ट का बेटा
पीयूष जैन के पिता महेंश चंद्र जैन पेशे से केमिस्ट हैं। दो साल पहले उनकी पत्नी का निधन हो गया था। उनके दोनों बेटों पीयूष और अंबरीष ने इत्र और खाने-पीने की चीजों में मिलाए जाने वाले एसेंस (कंपाउंड) बनाने का तरीका महेश से ही सीखा । कन्नौज की जैन स्ट्रीट में पीयूष जैन का पुश्तैनी घर है, जो काफी छोटा हुआ करता था। लेकिन अब यह घर एक आलीशान कोठी में तब्दील हो गया है। उनके पड़ोसी को भी इस बात का इल्म नहीं था कि ये परिवार इतना रईस है।
रहस्यमयी हवेली
जब पीयूष की माली हालत बदली तो बगल के ही दो मकानों को खरीदकर एक कर दिया गया। बाद में करीब 700 वर्ग गज के इस मकान को बनवाने के लिए जयपुर से कारीगर बुलवाए गए थे। इस आलिशान घर में मोटी-मोटी दीवारें, महंगे एयरकंडिशनर, स्टील की बालकनी और दरवाजें इस कोठी को बाकी मकानों से एकदम अलग बनाते हैं। इतना बड़ा कारोबार और जोखिम होने के बावजूद घर के किसी भी बाहरी हिस्से में एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं दिखा। घर भी ऐसा बना है कि दूसरे मकानों से बालकनी के अलावा कुछ नहीं दिखता।
कन्नौज में परिवार नहीं
इस मकान में मुख्यतौर पर महेश चंद्र जैन और उनका स्टाफ रहता है। पीयूष और अंबरीष यहां अक्सर आते-जाते रहते थे। पीयूष और अंबरीष के 6 बेटे-बेटियां हैं। सभी कानपुर में पढ़ते हैं और कन्नौज में कम ही आते-जाते थे।
40 से ज्यादा कंपनियों के मालिक
पीयूष जैन 40 से ज्यादा कंपनियों के मालिक हैं। इनमें से दो कंपनियां मिडिल ईस्ट में हैं। जबकि कन्नौज में पेट्रोल पंप, परफ्यूम फैक्ट्री और कोल्ड स्टोरेज भी हैं। पीयूष जैन इत्र का सारा बिजनेस मुंबई से करते हैं, यहीं से इनका इत्र विदेशों में भी भेजा जाता है।
कारण कारोबारी से प्रतिस्पर्धा
दरअसल एक प्रभावशाली कारोबारी से प्रतिस्पर्धा के कारण के काले कारनामों की चिट्ठी तब खुली जब उसका सम्पर्क पान मसाला कारोबारियों से सीधे तौर पर होने लगा था। सूत्रों की मानें तो पीयूष के ठिकानों से मिला खजाना हवाला कारोबार और एक बड़े पान मसाला कारोबारी का है।

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