
वैदिक ज्योतिष और हिन्दू पंचांग गणना के अनुसार सूर्य एक राशि में एक महीने तक रहते है। इस तरह जब सूर्य 12 राशियों का भ्रमण करते हुए बृहस्पति की राशियो, धनु और मीन, में प्रवेश करते है, तो अगले एक महीने की अवधि को खरमास कहते हैं। खरमास दोष में समस्त शुभ कर्म वर्जित होते हैं। इसी तरह जब सूर्य मकर संक्रांति के दिन धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तो सभी शुभ कार्य दोबारा शुरू हो जाते हैं । जो 15 जनवरी शनिवार से पुनः शुरू हुआ ।
खरमास में लोग नहीं करते हैं ये काम
लौकिक मान्यता है कि खरमास में विवाह आदि शुभ कार्य वर्जित है. हिन्दू पंचांग के मुताबिक, खरमास में कोई मांगलिक कार्य जैसे- शादी, सगाई, वधु प्रवेश, गृह प्रवेश, गृह निर्माण, नए व्यापार का आरंभ आदि नहीं किये जाने चाहिए .जिसकी वजह सूर्य का गुरु की राशि में होना होता है, मांगलिक कार्यों के सफलता के लिए गुरु का प्रबल होना बहुत जरुरी होता है. साथ बृहस्पति का भी। ब्रूरस्पति से वैवाहिक जीवन में सुख और संतान का प्राप्ति होता है.
गुरु को ज्योतिष शास्त्र में मंत्री, पुरोहित,तथा ज्ञान एवं सुख का कारक माना गया है।जो पुत्र, पति,पत्नी, धन, धान्य का कारक है।
सूर्य की राशि में गुरु हो तथा गुरु की राशि में सूर्य संक्रमण कर रहा हो तो उस काल को ‘ गुर्वादित्य’ नाम से जाना जाता है। जो समस्त कार्यों के लिए वर्जित माना गया है। इसी प्रकार सिंह राशि में गुरु के होने पर सिंहस्थ दोष माना जाता है। जो कि विवाह आदि कार्यों मे वर्जित है। जब सूर्य गुरु की राशियों मे होता है तब सूर्य के प्रताप से गुरु की राशि धनु एवं मीन निर्बल हो जाती है अतएव इस स्थिति में किया गया शुभ कार्य निष्फल हो जाता है अथवा अपूर्ण रह जाता है।
खरमास की कथा
भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर लगातार ब्रह्मांड की परिक्रमा करते हैं। एक बार उनके घोड़े लगातार चलने और विश्राम न मिलने के कारण भूख-प्यास से बहुत थक गए थे। भगवान सूर्यदेव उन्हें एक तालाब के किनारे ले गये लेकिन उन्हें तभी यह भी आभास हुआ कि अगर रथ रूका तो अनर्थ हो जायेगा। लेकिन तालाब के किनारे दो गधे मौजूद थे।
भगवान सूर्यदेव घोड़ों को पानी पीने व विश्राम देने के लिये छोड़ देते हैं और गधों को अपने रथ में जोड़ लेते हैं। जिसके कारण रथ की गति धीमी हो जाती है फिर भी जैसे तैसे एक मास का चक्र पूरा होता है तब तक घोड़ों को भी विश्राम मिल चुका होता है इस तरह यह क्रम चलता रहता है और हर सौर वर्ष में एक सौर मास खर मास कहलाता है। इस महीने सूर्य देवता के रथ को घोड़ों की जगह गधे खिंचते हैं। रथ की गति धीमी होने के कारण ही इस मास में अत्यधिक सर्दी भी पड़ती है।
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