निकट भविष्य में उप्र के विभाजन की पृष्ठभूमि है तैयार

निकट भविष्य में उप्र के विभाजन की पृष्ठभूमि है तैयार


हरिमोहन विश्वकर्मा की कलम

– भाजपा ने बुंदेलखंड में विजय को चलाया ब्रहास्त्र
– लोकसभा में पेश हुआ पृथक बुंदेलखंड राज्य हेतु निजी विधेयक
– लोकसभा अध्यक्ष ने चर्चा को दी मंजूरी
– महोबा सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल बने पार्टी के अर्जुन
– उमाभारती सहित अन्य भाजपा नेता भी कर चुके हैं समर्थन

लखनऊ। जिस ब्रहास्त्र के बलबूते कांग्रेस के शहर अध्यक्ष पद से उठकर प्रदीप जैन केंद्रीय मंत्री बने, जिस ब्रहास्त्र के बलबूते गर्दिशी के दिन गुजार रही उमाभारती पुनः सांसद और केंद्रीय मंत्री बनीं, बीच विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बुंदेलखंड की सभी 19 सीटें पुनः कब्जाने को इसी ब्रहास्त्र का सहारा ले लिया है।
22 के विधानसभा चुनावों के पूर्व कतिपय मीडिया माध्यमों में उप्र का विभाजन कर बुंदेलखंड और पूर्वांचल दो नये राज्यों के गठन हेतु जोर-शोर से हो हल्ला हुआ था। इस दौरान यह कहा गया कि केंद्र सरकार और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ दोनों ही राजनीतिक कारणों के चलते उप्र का बंटवारा कर इसे तीन राज्यों में विभक्त करना चाहते हैं।
अभी इन खबरों की स्याही सूखी भी न थी कि भाजपा सरकार में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, अरविंद शर्मा और केशव मौर्य के बीच मतभेदों की खबरें मंज़रे आम पर आ गई और उप्र के विभाजन का मुद्दा मीडिया की खबरों के बीच ही दबकर रह गया था। तब न तो इस प्रकार की खबरों पर सरकारों का कोई बयान आया और न ही संघ का। इतना जरूर हुआ कि उप्र में इन राज्यों की मांग कर रहे संगठनों में हल्का उबाल आ गया और फौरी तौर पर उनकी सक्रियता बढ़ती दिखी।
बहरहाल, ऐसा कहा जाता है कि भाजपा अपने राजनीतिक फायदे के लिए खबरें और मुद्दे गढ़ने में माहिर है। उप्र के विधानसभा चुनाव के बीच पार्टी ने फिर एक बार बुंदेलखंड की जनता की आकांक्षाओं को भुनाने के लिए नया खेल खेला है। बुंदेलखंड के महोबा के सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल ने लोकसभा के जारी सत्र में एक निजी विधेयक बुंदेलखंड राज्य निर्माण के संदर्भ में सदन के पटल पर रखा और लोकसभा अध्यक्ष ने इसे चर्चा के लिए स्वीकार कर उप्र के विभाजन के मुद्दे को गरमाने और बुंदेलखंड की 19 विधानसभा सीटों पर पृथक बुंदेलखंड राज्य प्रेमी जनता के मनोभावों से खेलकर वोट बटोरने का दांव खेला है।
बताना जरूरी है कि बुंदेलखंड के सात जिलों में 19 विधानसभा क्षेत्र आते हैं और फिलहाल सभी 19 सीटों पर भाजपा का कब्जा है। 22 में बुंदेलखंड की दोबारा सभी सीटें जीतने का लक्ष्य पार्टी ने रखा है। लेकिन पार्टी को अंदरखाने खबरें मिल रही हैं कि इस बार उसे बुंदेलखंड में आधी सीटों पर ही सफलता मिलती दिख रही है और इन अंदरुनी सर्वे की खबरों से शीर्ष नेतृत्व चिंतन की प्रक्रिया में है। बुंदेलखंड के वोटरों को खुश करने के लिए पार्टी ने जोर-शोर से डिफेंस कारीडोर और बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के साथ राम वनगमन पथ आदि योजनाओं का प्रचार किया। पार्टी ने बुंदेलखंड विकास बोर्ड का भी गठन कर रखा है लेकिन यह महज राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति का केंद्र बनकर रह गया है और इसके गठन के औचित्य पर ही सवाल खड़े किए जाते रहे हैं।
अब ऐसे में पार्टी ने बुंदेलखंड राज्य के मुद्दे को गर्म कर पुनः बुंदेलखंड वासियों के वोटरों को खुश करने का प्रयास किया है।
बता दें कि उप्र के साथ और मप्र के 16 जिलों को मिलाकर अलग बुंदेलखंड राज्य के गठन की मांग सात दशक पुरानी है लेकिन पिछले तीन दशकों में बुंदेलखंड मुक्ति मोर्चा के गठन के बाद से इसने जनाकांक्षाओं का रुप ले लिया है। त्रासदी यह है कि अभी भी कुछ राजनीतिक चेहरे और उनके संगठन बुंदेलखंड राज्य आंदोलन की आड़ में अपने एजेंडे चलाते रहते हैं जिसके कारण इस मांग के बिखरने का खतरा बरकरार है। इस क्षेत्र की 19 विधानसभा सीटों पर भाजपा का कब्जा है। हालांकि उससे पहले यहां सपा-भाजपा का बोलबाला रहा है।
बुंदेलखंड राज्य के लिए एक समय उमाभारती भी काफी मुखर रहीं हैं। मूलतः बुंदेलखंड के टीकमगढ़ से आने वाली उमाभारती राष्ट्रीय राजनीति में व्यस्त होने के बाद भले ही अब इस मांग पर दायें बायें हो रहीं हों लेकिन 2014 में झांसी ललितपुर लोकसभा चुनाव में प्रत्याशिता के समय उन्होंने जीतने और केंद्र में भाजपा की सरकार बनने पर 3 साल में बुंदेलखंड राज्य निर्माण किए जाने का सपना जनता को दिखाया। उमा भी जीतीं, उनकी केंद्र में सरकार भी बनी और वे केंद्र में मंत्री भी बनीं लेकिन फिर कभी उन्होंने बुंदेलखंड की बात नहीं की। 2019 के लोकसभा चुनाव के समय वे पार्टी और सरकार में हाशिए पर पहुंच गई तो भी उन्होंने यह नहीं माना कि बुंदेलखंड की मांग को 3 साल में पूरा करने का वादा वे निभा न पाईं।
वैसे मूलतः भाजपा स्वयं को छोटे राज्य समर्थक पार्टी मानती है और 2000 में देश को 3 नये राज्य झारखंड, उत्तराखंड और छत्तीसगढ़ देने का श्रेय भी पार्टी को जाता है। अब एक बार पुनः पार्टी बुंदेलखंड की आड़ में अपनी छवि तो पुख्ता करना ही चाहती है, बुंदेलखंड की जनता को फिर अलग बुंदेलखंड राज्य का सब्जबाग दिखाकर उप्र की सत्ता में लौटने का मार्ग प्रशस्त कर लेना चाहती है।

-राजा बुंदेला, राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य, भाजपा
भारतीय जनता पार्टी आरंभ से ही बुंदेलखंड राज्य निर्माण के लिए सकारात्मक रुख रखती है। उप्र सरकार और केंद्र सरकार ने पिछले कुछ सालों में यहां बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे, डिफेंस कारीडोर, मेट्रो परियोजना, रामायण सर्किट आदि सहित बेरोजगारी, बुनियादी सुविधाओं और स्वास्थ्य, शिक्षा, बिजली सहित हर क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है। महोबा सांसद पुष्पेंद्र सिंह चंदेल 3 करोड़ बुंदेलखंड वासियों की आवाज संसद में रखने के लिए साधुवाद के पात्र हैं।


लेटेस्ट खबरें, इन्हें भी पढ़िए –

जानिए, कोरोना संक्रमण के प्रभाव के कमी से क्या क्या मिली छूट

यूपी में का बा… से असहज हो गयी सियासत, कौन है नेहा

धर्म नगरी : भूलकर न करे झाड़ू का अपमान, झाड़ू में धन की देवी महालक्ष्मी का वास

strong>लेटेस्ट वीडियो –

@kashi ghat : आखिर काशी के घाटों पर क्यों पसरा है सन्नाटा, सुबह के नव बजे ऐसा दिखा …

देखिये, दशाश्वमेध घाट पर 14 जनवरी को गंगा स्नार्थियों का भीड़


कोरोना बड़ी चुनौती नही बल्कि आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाना होगा- अखिलेश यादव

हुआ एलान, चुनाव में BJP के सहयोगी होंगे अपना दल और निषाद पार्टी

काशी के घाटों पर कोल्ड कर्फ्यू, पुरोहित नाविक और दुकानदार परेशान

सड़कों पर रातों में पुलिस और दिन में चोर उचक्के

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!