एक बार फिर मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है… निर्णायक होंगे गंगा किनारे के मतदाता

एक बार फिर मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है… निर्णायक होंगे गंगा किनारे के मतदाता


– वरिष्ठ पत्रकार अजय कुमार तिवारी

– बाहुबलियों के साथ आस्था की भी होगी परीक्षा

वाराणसी। मैं गंगा मां हूं। मैं जीवनदायिनी हूं। मेरे आंचल में सभ्यता-संस्कृति पुष्पित-पल्लवित होती है। यहीं से जीवन की शुरूआत होती है और यहीं अंतिम प्रस्थान भी। जीवन के प्रत्येक पल की साक्षी भी मां गंगा हैं। कसम भी गंगा की होती है और राजनीति का सच भी गंगा से ही निकलता है। राजकपूर जैसे शो मैन का सफर भी ‘जिस देश में गंगा बहती है’ से शुरू हो कर ‘राम तेरी गंगा मैली’ पर जा कर विराम लेता है। उत्तर प्रदेश में राजनीति की सियासत भी गंगा के किनारे शुरू होती है जो दिल्ली तक का सफर तय करती है। उत्तर प्रदेश के सात चरणों का चुनाव अब गंगा के मैदान में पहुंच चुका है। पहले चार चरण का मतदान हो चुका है और पांचवे चरण का मतदान गंगा के किनारे वाले जिलों में होना है। पहले चार चरण के लोगों की नजर गंगा के मैदान के मतदाताओं, गंगा पुत्रों पर टिकी है।
उत्तर प्रदेश में गंगा का प्रवेश बिजनौर जिले से होता है। मेरठ, मुरादाबाद, गढ़मुक्तेश्वर आदि जगहों पर समाजवादी पाटी के साथ रालोद ने खूब साथ निभाया। भारतीय जनता पार्टी ने मुजफ्फरनगर और कैराना के नाम पर धु्रवीकरण किया। किसान आंदोलन, जाट राजनीति से बढ़ता हुआ चुनाव बुलंदशहर, बदायूं होते हुए कानपुर पहुंच गया। पहले और दूसरे चरण में सपा की मजबूत उपस्थिति के साथ भारतीय जनता पार्टी ने कमाल दिखलाया। गंगा के किनारे और मैदानी इलाकों की खासियत रही है कि यहां का मतदाता चिंतनशील है। चुनाव के दौरान देखने को मिला कि प्रत्येक चरण के चुनावी जुमले और वादे बदलते गये। सातवें चरण तक मतदाताओं को नये वादे और प्रत्याशियों के नये तेवर देखने को मिलेंगे। कानपुर में गंगा किनारे की सियासत में कन्नौज की सुगन्ध भी दिखी। तीसरे चरण में गंगा के मैदान में अखिलेश यादव ने शतक लगाने का दावा किया तो भारतीय जनता पार्टी ने एक बार फिर 300 के पार का नारा दोहराया। लखीमपुर, पीलीभीत गंगा से दूर के इलाके अवश्य हैं लेकिन उन्नाव, हरदोई के साथ गंगा पुत्रों ने लखनऊ में मतदान का रिकाॅड बना दिया। गंगा के शहरी इलाकों की अपेक्षा गंगा के मैदानी क्षेत्र में अधिक मतदान हुआ।

बाहुबलियों की गंगा पुत्र लेंगे परीक्षा
पांचवें से सातवें चरण के बीच का चुनाव गंगा की गोद में होने जा रहा है। इस तीन चरणों में शराफत के साथ बाहुबल भी देखने को मिलेगा। एमएलसी बृजेश सिंह के भतीजा सुशील सिंह, पूर्व सांसद धनंजय सिंह, विजय मिश्रा, रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया, गुलशन यादव, रमाकांत यादव, विनय शंकर पांडेय, मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी आदि के भाग्य का फैसला होना है।

राजनीति की नर्सरी है गंगा का मैदान
प्रयागराज, चंदौली, भदोही, मिर्जापुर, गाजीपुर जिस तरह गंगा की अविरल धारा बहती है, उसी तरह इस क्षेत्र राजनीति की नर्सरी भी हमेशा लहलहाती रही है। ज्ञात हो कि यहीं वो गंगा का मैदान हो जो प्रधानमंत्री तैयार करता है। वाराणसी जिले का रामनगर लाल बहादूर शास्त्री की कर्मस्थली रही है तो इलाहाबाद पंडित जवाहर लाल नेहरू की नगरी रही है। पांचवें से सातवें चरण के बीच होने वाला चुनाव बहुत ही निर्णायक होगा। गंगा के किनारे प्रयागराज और वाराणसी के बीच का शैक्षिक पृष्ठभूमि बहुत ही उर्वर है। यहां का मतदाता हमेशा अक्खड़ अंदाज में चुनाव में भाग लेता है। काशी के मतदाताओं को साधने से आसपास के जिलों पर भी बढ़त हासिल हो जाती है। प्रधानमंत्री का यह कहना कि ‘मुझे तो मां गंगा ने बुलाया है’ सियासत के साथ गंगा के किनारे के लोगों को को एकजुट करना है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तीन दिन काशी में रह कर वाराणसी के मतदाताओं से सीधा संवाद करेंगे जिसका असर मतदाताओं पर होगा। इस बीच ममता बनर्जी भी समाजवादी पार्टी के लिए हुंकार भरेंगी।
उत्तर प्रदेश में गंगा 27 जिलों से हो कर गुजरती है जिसमें प्रमुख रूप से बदायूं, बिजनौर, सहारनपुर, मुज्जफनगर, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, मुरादाबाद, अमरोहा, अलीगढ़, फर्रुखाबाद, कन्नौज, उन्नाव, कानपुर, फतेहपुर, वाराणसी, प्रयागराज, भदोही, मिर्जापुर, चंदौली, गाजीपुर हैं। ये जिले गंगा के किनारे के होते हुए भी सबकी तासीर अलग-अलग है।


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