
– डॉ अजय कुमार तिवारी वरिष्ठ पत्रकार
– मतगणना के साथ आज मिलेगी नई सरकार
– मतदाताओं की नजर में दो ही सीएम के दावेदार
1972 में आयी फिल्म पाकीजा के लिए कैफ भोपाली के लिखे गीत ‘आज हम अपनी दुआओं का असर देखेंगे…’ उत्तर प्रदेश के सियासी सफर में प्रत्याशियों, समर्थकों, मतदाताओं पर चरितार्थ हो रही है। 8 जनवरी से प्रारम्भ हुए चुनाव का समापन मतगणना के साथ 10 मार्च को हो जाएगा। 61 दिनों के चुनावी घमासान के बाद प्रदेश को नयी सरकार मिल जाएगी। उत्तर प्रदेश के चुनाव के परिप्रेक्ष्य में देखा जाये तो सत्ताधारी दल भाजपा के सामने अपनी सत्ता बचाने की चुनौती रही तो समाजवादी पार्टी के सामने खोई हुई सत्ता पाने के कोशिश की गयी। कांग्रेस पार्टी ने एक बार फिर प्रियंका गांधी के सहारे उत्तर प्रदेश में उपस्थिति बड़ी ही सौम्यता के साथ दर्ज की। बहुजन समाज पार्टी प्रारम्भ के चरण में बहुत ही स्थिरचित्त दिखी लेकिन धीरे-धीरे आक्रामक होती गयी।
भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश का चुनाव कैराना, मुजफ्फरनगर दंगो, हिजाब विवाद से शुरू किया तो जैसे-जैसे चुनाव आगे बढ़ता गया, धीरे-धीरे चुनावी मुद्दे भी बदलते गये। पूर्वांचल में चुनाव परिवारवाद में परिणत हो गया। बीजेपी की ओर से पीएम मोदी, सीएम योगी, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह, स्मृति ईरानी, केन्द्रीय अनुराग ठाकुर, स्वतंत्रदेव सिंह, धर्मेद्र प्रधान, अपर्णा यादव आदि ने महती भूमिका निभाई।
भारतीय जनता पार्टी के निशाने मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी ही पर रहा। सपा की ओर से अखिलेश यादव ने चुनाव प्रचार की कमान सम्भाला था। अखिलेश के साथ पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जयंत चैधरी तो पूर्वांचल में ओमप्रकाश राजभर ने हुंकार भरी। शिवपाल यादव ने जसवंतनगर, इटावा और पूर्वांचल में एक मंच पर दिखे तो सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव करहल के साथ आजमगढ़, जौनपुर में भी पार्टी के साथ मंच पर रहे। डिम्पल यादव और जया बच्चन ने भी सिराथू में पल्लवी पाल के साथ मंच पर जज्बा पैदा किया। समाजवादी पार्टी के लिए पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दो बार जोरदार उपस्थिति दी, जिसका असर भी दिखा। उन्होंने लखनऊ में अखिलेश के साथ प्रेसवार्ता की तो वाराणसी में सभा की।
प्रियंका ने दी नारी शक्ति को आवाज
विधानसभा चुनाव 2022 का सबसे रोचक और स्वस्थ लोकतंत्र की सादगी कांग्रेस की महासचिव प्रियंका गांधी ने दिखाई। उन्हें पता था कि कांग्रेस का कैडर जमीन पर नहीं है और उसे फिर से तैयार करना होगा। लखीमपुर, हाथरस, बदायूं, उन्नाव, कानपुर, वाराणसी को उन्होंने एक जज्बे के साथ जगाया। चुनावी रैली के दौरान अखिलेश और प्रियंका का रोड शो आमने-सामने आने पर दोनों ने एक-दूसरे जिस अंदाज में अभिवादन किया, वह आने वाले लोकतंत्र की नींव बनेगा। लड़की हूं, लड़ सकती हूं से प्रियंका ने महिलाओं का आवाज दिया। प्रियंका की उत्तर प्रदेश में उपस्थिति 2024 के लोकसभा चुनाव की आहट के रूप में देखा जाना चाहिए।
बहुजन समाज पार्टी के कई विधायक चुनाव के पहले दल छोड़कर जा चुके थे। ऐसे में बसपा सुप्रीमों को नई कलेवर के साथ चुनाव लड़ना था। बसपा की उपस्थिति चैथे चरण के बाद आक्रामक हुई। बहुजन समाज पार्टी के मतदाताओं ने विकल्प के रूप में मतदान किया।
क्षेत्र के साथ बदलते हुए सियासी मुद्दे
कोरोना, प्रवासी मजदूर, बेराजगारी, महंगाई का मुद्दा क्षेत्र के साथ बदलता रहा। जाति और उसके समीकरण प्रत्येक विधानसभा में प्रभावी रहे। हिन्दुत्व और धार्मिक मुद्दों को बार-बार हवा देने की कोशिश हुई लेकिन सियासी दल इसे अवसर नहीं दिये। मतदाताआंे ने भी चुनाव को मुद्दे से भटकने नहीं दिये। काशी, अयोध्या और मथुरा को मतदाताओं ने चुनावी मुद्दा नहीं बनने दिया। सत्ता पक्ष कानून-व्यवस्था, सुशासन की बात के साथ विकास का वादा करने पर मजबूर हुआ तो विपक्ष किसान, मजदूर, युवाओं के साथ खड़ा रहा। एग्जिट पोल तो 7 मार्च को आ ही चुके हैं लेकिन मतगणना के बाद ही चुनाव की अंतिम तस्वीर उत्तर प्रदेश और सियासत का रास्ता बनायेगी। 1981 में आयी फिल्म उमराव जान में अखलाक मुहम्मद खान ‘शहरयार’ की लिखी गजल ‘जुस्तजू जिसकी थी उसको तो ना पाया हमने, इस बहाने से मगर देख ली दुनिया हमने…।
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