
– अक्षय तृतीया पर सोना-चांदी खरीदने से लाभ की बात बाज़ार का छलावा है!
– सोना खरीदने की सलाह देने वाले बाजार के प्रचारक (सेल्समैन) तो नहीं ?
– सदाचरण अक्षय रहे और जिंदगी सुकून की रहे, यह कामना करनी चाहिए
1- शास्त्रों में भौतिक पदार्थ खरीदने का उल्लेख नहीं है।
2-सत्य-आचरण ही आभूषण है न कि भौतिक पदार्थ सोना-चांदी।
3- यह संग्रह की तिथि नहीं बल्कि त्याग की तिथि है ।
4-सोने में कलियुग के वास का मतलब जीवन में झूठ-फरेब, धोखा-तिकड़म से लिया जाना चाहिए ।
5-इन प्रवृत्तियों को जो त्याग दे, वही त्रिदेवों ब्रह्ना, विष्णु एवं महेश की तरह अक्षयआनन्द की प्राप्ति कर सकता है।
6-सोना-चांदी का संग्रह के मतलब कलियुग को आमंत्रण ।
7-त्रेतायुग में माता सीता भी सोना-सदृश मृग के चलते छली गयी थी।
8-द्वापर युग में अभिमन्यु पुत्र परीक्षित को भी कलियुग ने धोखा दिया ।
9- इस दिन गर्मी से बचाव के लिए जरूरतमंदों को सत्तू, जौ, छाता, जूता, ठंडे जल का पात्र देने का भी प्राविधान है ।
10-यह विधान सामाजिक सौहार्द्र तथा मदद के लिए जरूरी भी है ।
11-अक्षय तृतीया पर सोना खरीद कर कोई भाग्यशाली बनाना चाहता है तो उसे अपने बल-बुद्धि-विद्या पर भरोसा नहीं है ।
12-बाजार रूपी स्वर्ण-मृग से बचने की जरूरत है । धर्म के प्रति आस्था रखने वालों का दायित्व है कि वे धर्म की आड़ में घुस रहे छल से संघर्ष करें ।
13-इस बात का ध्यान दें कि जिन वर्षों में सोना चांदी अक्षय तृतीया को खरीदा गया, उस वर्ष क्या लाभ हुआ ?
14-सोना सम्पन्नता का सूचक है। इसे तो कभी भी खरीदा जा सकता है। खासकर दीपावली के अवसर पर धनतेरस पर्व धनसंग्रह का पर्व है।
15-अधिक सोना संग्रह जीवन के लिए संकट भी बनता है।
16-सिर्फ सदाचरण ही निरन्तर बढ़ता रहे, अक्षय रहे और जिंदगी सुकून की रहे, यह कामना इस पर्व पर करनी चाहिए।
– सलिल पांडेय
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