
पश्चिम दिशा में टकटकी लगाये रोजदारो के चेहरे पर ख़ुशी , चाँद दिखने के साथ ही दिखने लगे , एक दुसरे को बधाई और साथ ही पटाका फोड़ ख़ुशी का इजहार भी किया …..चाँद दिखने के साथ ही कल ईद मनाने की तैयारी शुरू कर हो गया।
चांद देखने की रवायत इस्लाम में सैकड़ों साल कदीमी है। जब नबी-ए-करीम (स.) ने आज से लगभग 1442 साल पहले मक्का से मदीना हिजरत कर अपनी नबूवत का ऐलान किया था। तभी हिजरी सन् की शुरुआत चांद देखकर हुई इसलिए चांद के दीदार से ही इस्लामी हिजरी महीने का आगाज़ होता है। चांद देखने सवाब भी है। नबी-एक रीम (स.) फरमाते हैं कि पांच महीने का चांद देखना वाजिबे केफाया है। इसमें शाबान, रमज़ान, शब्बा ज़ीकादा और जिल्हिज्जा शामिल है। यानि जिसने इन महीनों का चांद देखा उसके नाम और आमाल में नेकि लिखी जायेगी। हिजरी माह 29 या 30 का होता है। इस्लाम में 28 या 31 तारीख का कोई वजूद नहीं है। रमज़ान माह के पाक माह का चांद देखने के लिए घरों, मस्ज़िदों-इबादतगाहों की छत और मैदान में सोमवार को रोज़ेदारों की भीड़ जुटी । मर्द हो या औरत ईद का चांद जरूर देखते है।
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