शास्त्रों की बात करे तो काशी के कण – कण में शंकर होने की बात कही गयी है , इतर इसके स्कंद पुराण के काशी खंड में काशी में 511 शिवालयो का वर्णन मिलता है जिसमे 11 स्वंभू ,46 विभिन्न देवताओ द्वारा स्थापित , 47 ऋषियों द्वारा , 7 ग्रहों द्वारा , 40 गणों द्वारा अर्चित तथा 295 लिंग और भी है | सावन शिव को अति प्रिय है इसके दो कारण है पहला यह की समुन्द्र मंथन के बाद निकले विष पान के कारण भगवान शिव के शरीर में जलन होने की वजह से देवताओ ने इसे शांत करने के लिए जल अर्पित किया था और ये सावन का महीना था , दूसरा मां पार्वती ने इसी महीने में शिव के प्राप्ति के लिए कठोर व्रत की थी
काशी के सभी शिव लिंग अति फलदायी है लेकिन इन शिवालयो में से कुछ चमत्कारी है आइये इस शिव लिंगो का आप को दर्शन कराते है …..
काशी में सिद्ध शिवालय
काशी में 50 से अधिक शिव मंदिर या शिवालय सिद्ध माने गए हैं। जिनमें ओम्कारेश्वर पठानी टोला, त्रिलोचनेश्वर- त्रिलोचन, आदि महादेव-त्रिलोचन महादेव के पीछे, कृतिवासेश्वर महादवे -हर तीरथ, रत्नेश्वर महादेव- वृद्ध काल, चंदेश्वर-सिद्धेश्वरी, केदारेश्वर-केदार घाट, धर्मेश्वर मीरघाट, वीरेश्वर सिंधिया घाट के ऊपर, कामेश्वर-त्रिलोचन के उत्तर, विश्वकर्मेश्वर-गोलगड्डा, मणि कर्णेश्वर-गोमठ आश्रम, अविमुक्तेश्वर- धर्मशाला विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र, विश्वेश्वर- विश्व प्रसिद्ध विश्वनाथ मंदिर, अमृतेश्वर-नीलकंठ महादेव, तारकेश्वर ज्ञानवापी के पूर्व गौरीशंकर मढ़ी के नीचे, ज्ञानेश्वर-लाहौरी टोला, करुणेश्वर-ललिता घाट के ऊपर, मोक्षद्वारेश्वर – करुणेश्वर के समीप, स्वर्गद्वारेश्वर-ब्रह्मनाल के समीप, ब्रह्मेश्वर-खालिसपुर बंगाली टोला, लांगलीश्वर-खोवा बाजार, वृद्धकालेश्वर- महामृत्युंजय परिसर दारानगर, वृषेश्वर- गोरखनाथ टीला मैदागिन, चंडीश्वर- सदर बाजार चंडी देवी के समीप, नंदिकेश्वर- ज्ञानवापी पर लुप्त, महेश्वर-मणिकार्णिका कुंड के पूर्वी तट पर, ज्योति रूपेश्वर-गोमठ, शैलेश्वर -मढियाघाट शैलपुत्री, संगमेश्वर – आदिकेशव वरुणा में, स्वर्लीनेश्वर- नया महादेव, प्रहलाद घाट, मध्यमेश्वर-दारानगर, हिरण्यगर्भेश्वर-त्रिलोचन त्रिलोचन घाट, ईशानेश्वर बांस फाटक, गोप्रेक्षेश्वर-लालघाट, वृषभेश्वर-कपिलधारा, उपशांतेश्वर-पठानी टोला, ज्येष्ठेश्वर- काशीपुरा, निवासेश्वर-भूत भैरव के पास काशीपुरा, शुक्रेश्वर-कालिका गली, व्याघ्रेश्वर-भूत भैरव, जंबुकेश्वर-बड़ा गणेश, महामृत्युंजय- मध्यमेश्वर दारानगर, नए विश्वनाथ-मीर घाट, नए विश्वनाथ-बीएचयू परिसर, बैजनाथ-बैजनत्था, जंगम-जंगम बाड़ी मठ, मल्लिकार्जुन-सिगरा, भीमशंकर-नेपाली खपड़ा, त्र्यंबकेश्वर- हौज कटोरा बांस फाटक, नागेश्वर-पठानी टोला, रामेश्वरम-रामकुंड, घुश्मेश्वर- कमच्छा, ओमकारेश्वर- छित्तनपुर और इसके अतिरिक्त पंचक्रोशी मार्ग में पड़ने वाले अनेक शिव मंदिर की महत्ता मानी गई है।