– गोदौलिया से सटा अगस्त्यकुंडा क्षेत्र में स्थित है शारदा भवन
– मुंबई के सिद्धिविनायक का प्रतिरुप होता है यहाँ स्थापित मूर्ति
श्री गणेश जी हिंदू के सभी संप्रदाय, शाखा उप शाखा में विशेष पूजनीय है किसी भी कार्य का प्रारंभ गृहारंभ विद्यारंभ आदि शुभ कार्यों के लिए श्री गणेश जी की पूजा का विधान है क्योंकि कार्य को निर्विघ्न संपन्न कराने की शक्ति एकमात्र श्री गणेश जी में है । भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी का श्री गणेश जन्मोत्सव भारत में ही नहीं विश्व के समस्त हिंदू धर्मावलंबियों के मध्य उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस धार्मिक महोत्सव को राष्ट्र एवं राष्ट्रीयता की भावना से जोड़ने का उत्तम प्रयास लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक ने किया । वाराणसी में सर्वत्र धार्मिक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की गूंज रही है। नगर में आयोजित होने वाले श्री गणेश उत्सव में शारदा भवन का श्री गणेशोत्सव अपने प्राचीन मानदंडों तथा शास्त्रीय परंपरा के कारण नगर में अपना विशिष्ट स्थान रखता है। संस्कृत के मूर्धन्य विद्वान स्वर्गीय पंडित गौरी नाथ पाठक के अमर कीर्ति का पावन स्मारक शारदा भवन है। शास्त्र चर्चा एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का प्रमुख केंद्र यह शारदा भवन के नाम से प्रसिद्ध है जहां सोना मत धन्य मूर्धन्य विद्वान गण नियमित स्वास्थ्य संगोष्ठी में भाग लेते है। 93 वर्ष पूर्व पंडित गौरी नाथ पाठक के सानिध्य में विद्या अध्ययन करने दक्षिण प्रांत के विद्या पिपासु जन शारदा भवन के गुरुकुल में अध्ययन हेतु आते रहे जो बाद में योग्य विद्वान कवि,यथा सम्राट बनकर वाराणसी कि वह दृश्य परंपरा को यशस्वी बनाते रहे।
ऐसे हुआ पूजन की शुरुआत
उन दिनों पढ़ने वाले छात्रों में स्वर्गीय पाठक जी ने अपनी इच्छा व्यक्त की…गुरुजी हम लोग लोकमान्य परिवर्तित श्री गणेश उत्सव को शारदा भवन से आरंभ करना चाहते हैं प्रत्युत्तर में आचार्य पाठक जी ने कहा..ठीक है करना चाहते हो तो करो परंतु तुम लोग अधिक शास्त्र हो कर चले जाओगे तब बाद में कौन कैसे चलाएगा । उत्तर था कि गुरु जी यह चलता रहेगा स्वर्गीय गौरी नाथ पाठक द्वारा स्थापित शारदा भवन श्री गणेशोत्सव में उनके पश्चात उनके उत्तराधिकारी पुत्र रहे सर्व श्री राजाराम पाठक यादव राव पाठक विनोद राव पाठक तथा उनका परिवार एक अविस्मरणीय परंपरा को अविच्छिन्न बनाए हुए हैं।
कुछ यूँ होता है आयोजन
कार्यक्रम में स्थापन पूजन के पश्चात बच्चों युवाओं को संस्कारवान बनाने हेतु अनेकानेक प्रतिस्पर्धा आयोजित की जाती है। जिसमें कला के क्षेत्र में, अभिनय के क्षेत्र में, संगीत के क्षेत्र में, युवाओं को प्रोत्साहित करने के लिए यह कार्यक्रम आयोजित होते हैं। यही कारण है कि विद्वानों और कलाकारों का जमघट आज भी शारदा भवन के पीठ को सिद्ध पीठ की संज्ञा देती है। प्रतियोगिताओं के उपरांत विजयी प्रतिभागियों को पुस्तकें,स्वर्ण पदक, रजत इत्यादि पुरस्कार स्वरूप प्रदान किए जाते हैं। विद्वानों के मध्य विभिन्न विषयों पर विभिन्न शास्त्रों पर शास्त्रार्थ आयोजित होता है। इसमें काशी ही नहीं अपितु देश के मूर्धन्य विद्वान उपस्थित होते हैं। अपना मत रखते हैं। छात्रों के बीच शलाका परीक्षाएं होती हैं।
इन विद्वानों एवं संगीतगयों की रही उपस्थिति
भाग लेने वाले विद्वानों में विशेष रुप से महामहोपाध्याय रामशास्त्री, महामहोपाध्याय लक्ष्मण शास्त्री तैलंग, पंडित अवतार शर्मा, पंडित पद्मनाभ शास्त्री सारस्वत, महामहोपाध्याय नारायण शास्त्री, पंडित शिव कुमार शास्त्री सहित दार्शनिक सार्वभौम पंडित दामोदर लाल गोस्वामी, पंडित देवनायक आचार्य आदि शामिल रहे। संगीत के मूर्धन्य विद्वान स्वर्गीय ज्योतिन भट्टाचार्य यहां की संगीत परंपरा को यादगार बात सुनाते हुए कहते रहे हैं कि मुझे संगीत सीखने की प्रेरणा इसी सिद्ध पीठ से मिली है। संगीत के कार्यक्रम में बड़े रामदास, छोटे रामदास, पंडित कंठे महाराज, पंडित अनोखी लाल जी,हीरा गांगुली, पंडित शिव प्रसाद गायनाचार्य,पंडित महावीर चरण ओझा उर्फ गुरु महाराज, पंडित राम जी ,पंडित श्री चंद्र जी ,पंडित श्री रामनाथ जी पांडेय, पंडित बद्री प्रसाद, पंडित महादेव प्रसाद,की जोड़ी सहित अनेक संगीत कलाकारों ने एक कीर्तिमान स्थापित किया है। इसी शारदा भवन में गायनाचार्य के साथ भी पंडित अमरनाथ मिश्र ने अविस्मरणीय संगत की प्रेरणा दे वर्तमान कालीन श्री गणेशोत्सव के संबंध में स्वर्गीय लक्ष्मीबाई से कहा करती थी कि मुझे संतोष है कि स्वर्गीय पाठक जी के योग्य पुत्र एवं उनकी पुत्रवधू सौभाग्य कांक्षिणी स्मिता जी ही सभी शास्त्रीय कार्यक्रमों को संपन्न कराती आ रहीं हैं। एक सप्ताह तक इस पवित्र परंपरा का निर्वहन कर रही है। असीम शक्ति और दीर्घायु प्रदान करती है।
इस वर्ष का आकर्षण
इस वर्ष भी भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी 31 अगस्त से मंगलवार 6 सितंबर तक कार्यक्रम समारोह मनाया जाएगा। जिसमें जिसमें भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी 31 को मध्यान्ह में श्री गणेश जी की प्रतिमा का स्थापन एवं पूजन होगा। सायंकाल 7:30 बजे से पंडित केदारनाथ शुक्ल की स्मृति में कवि सम्मेलन का आयोजन होगा। गुरुवार पंचमी को सायं 3:00 से 6 महिलाओं के लिए हल्दी एवं रोली का कार्यक्रम है तत्पश्चात सायंकाल चारों वेद के वैदिक विद्वानों का जुटान होगा। इनके वेद घोष के अनंतर वैदिक विद्वानों का सम्मान भी आयोजित है। पंडित राजाराम पाठक की स्मृति में शुक्रवार दिनांक 2 सितंबर को दिन में 3:00 बजे से शलाका परीक्षा कनिष्ठ वर्ग के विद्यार्थियों के लिए तत्पश्चात व्याकरण ज्योतिष व अन्य शास्त्रों सहित अनेक विषयों पर शास्त्रार्थ प्रतियोगिताएं आयोजित हैं। इसके अनंतर वरिष्ठ वर्ग में व्याख्यान की प्रस्तुति होगी। व्याख्यान प्रतियोगिता में प्रथम स्थान प्राप्त करता को जगद्गुरु श्री शिवकुमार महास्वामी रजत पदक प्रदान किया जाएगा। इसके अनंतर काशी के मूर्धन्य विद्वानों का शास्त्र चर्चा होगा। 4 तारीख को सायंकाल डॉक्टर शुभंकर डे का गायन से संगीत सभा की शुरुआत होगी। संगीत सभाओं में प्राप्ति पुराणिक, डा.शानीष ज्ञावली,देवाशीष दे सहित कई कलाकार प्रस्तुति देंगें।
कृत्रिम गंगा जल में होगा विसर्जन
अंतिम दिन 6 सितंबर मंगलवार को प्रातः भैरवी सभा आयोजित है जिसके पश्चात सायं 4:00 बजे श्री गणेश जी की शोभायात्रा निकलेगी। शोभायात्रा भी अपने में विशेष मानी जाती है। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा निर्देशित गंगा जी में विसर्जन प्रतिबंध होने के कारण यह शारदा भवन अपनी एक नई परंपरा को जीवंत की हुई है। जिसका अनुसरण विभिन्न संस्थाएं आज करती चली आ रही है। भगवान श्री गणेश की प्रतिमा विभिन्न क्षेत्रों से होती हुई वापस शोभायात्रा के साथ वापस शारदा भवन आती है जिसके पश्चात एक कृत्रिम कुंड में गंगाजल एकत्रीकरण करके उसी में उनकी प्रतिमा का विसर्जन किया जाता है और तत्पश्चात उस जल को पूरे घर में पूरे वातावरण में छिड़का जाता है। आज भी यह परंपरा शारदा भवन द्वारा अक्षुण रखा गया है जिसका संचालन बहुमुखी प्रतिभा के धनी स्वर्गीय संस्थापक स्वर्गीय गौरीनाथ पाठक जी के सुपुत्र पंडित यादव राव पाठक एवं पंडित विनोद राव पाठक अपने परिवार के साथ करते चले आ रहे हैं।
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