हरतालिका तीज : जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व पारण

हरतालिका तीज : जानिए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि व पारण


– ऐसे करें महादेव और मां पार्वती की पूजा

हरतालिका तीज व्रत हिंदू धर्म में मनाये जाने वाला एक प्रमुख व्रत है। भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हरतालिका तीज मनाई जाती है। दरअसल भाद्रपद की शुक्ल तृतीया को हस्त नक्षत्र में भगवान शिव और माता पार्वती के पूजन का विशेष महत्व है। हरतालिका तीज व्रत कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। विधवा महिलाएं भी इस व्रत को कर सकती हैं। हरतालिका तीज व्रत निराहार और निर्जला किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को सबसे पहले माता पार्वती ने भगवान शंकर को पति के रूप में पाने के लिए किया था। हरतालिका तीज व्रत करने से महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

“हरतालिका व्रत कथा” जिसे शिवजी ने ही मां पार्वती को सुनाई

हरतालिका तीज व्रत के नियम
● हरतालिका तीज व्रत में जल ग्रहण नहीं किया जाता है। व्रत के बाद अगले दिन जल ग्रहण करने का विधान है।
● हरतालिका तीज व्रत करने पर इसे छोड़ा नहीं जाता है। प्रत्येक वर्ष इस व्रत को विधि-विधान से करना चाहिए।
● हरतालिका तीज व्रत के दिन रात्रि जागरण किया जाता है। रात में भजन-कीर्तन करना चाहिए।
● हर तालिका तीज व्रत कुंवारी कन्या, सौभाग्यवती स्त्रियां करती हैं। शास्त्रों में विधवा महिलाओं को भी यह व्रत रखने की आज्ञा है।

हरतालिका तीज व्रत पूजा विधि
हरतालिका तीज पर माता पार्वती और भगवान शंकर की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है..

● हरतालिका तीज प्रदोषकाल में किया जाता है। सूर्यास्त के बाद के तीन मुहूर्त को प्रदोषकाल कहा जाता है। यह दिन और रात के मिलन का समय होता है।
● हरतालिका पूजन के लिए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश की बालू रेत व काली मिट्टी की प्रतिमा हाथों से बनाएं।
● पूजा स्थल को फूलों से सजाकर एक चौकी रखें और उस चौकी पर केले के पत्ते रखकर भगवान शंकर, माता पार्वती और भगवान गणेश की प्रतिमा स्थापित करें।
● इसके बाद देवताओं का आह्वान करते हुए भगवान शिव, माता पार्वती और भगवान गणेश का षोडशोपचार पूजन करें।
● सुहाग की पिटारी में सुहाग की सारी वस्तु रखकर माता पार्वती को चढ़ाना इस व्रत की मुख्य परंपरा है।
● इसमें शिव जी को धोती और अंगोछा चढ़ाया जाता है। यह सुहाग सामग्री सास के चरण स्पर्श करने के बाद ब्राह्मणी और ब्राह्मण को दान देना चाहिए।
● इस प्रकार पूजन के बाद कथा सुनें और रात्रि जागरण करें। आरती के बाद सुबह माता पार्वती को सिंदूर चढ़ाएं व ककड़ी-हलवे का भोग लगाकर व्रत खोलें।

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हरतालिका तीज व्रत का पौराणिक महत्व
हरतालिका तीज व्रत भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्य में मनाया जाता है। एक पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने भगवान भोलेनाथ को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तप किया था। हिमालय पर गंगा नदी के तट पर माता पार्वती ने भूखे-प्यासे रहकर तपस्या की। माता पार्वती की यह स्थिति देखकप उनके पिता हिमालय बेहद दुखी हुए। एक दिन महर्षि नारद भगवान विष्णु की ओर से पार्वती जी के विवाह का प्रस्ताव लेकर आए लेकिन जब माता पार्वती को इस बात का पता चला तो, वे विलाप करने लगी। एक सखी के पूछने पर उन्होंने बताया कि, वे भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तप कर रही हैं। इसके बाद अपनी सखी की सलाह पर माता पार्वती वन में चली गई और भगवान शिव की आराधना में लीन हो गई। इस दौरान भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन हस्त नक्षत्र में माता पार्वती ने रेत से शिवलिंग का निर्माण किया और भोलेनाथ की आराधना में मग्न होकर रात्रि जागरण किया। माता पार्वती के कठोर तप को देखकर भगवान शिव ने उन्हें दर्शन दिए और पार्वती जी की इच्छानुसार उन्हें पत्नी के रूप में स्वीकार किया।

तभी से अच्छे पति की कामना और पति की दीर्घायु के लिए कुंवारी कन्या और सौभाग्यवती स्त्रियां हरतालिका तीज का व्रत रखती हैं और भगवान शिव व माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर आशीर्वाद प्राप्त करती हैं।

व्रत में भूलकर भी ना हो जाएं ये 5 गलतिया
हरतालिका तीज के कुछ खास नियम भी होते हैं, जिन्हें गंभीरता से निभाना जरूरी बताया गया है। ऐसे ही कुछ नियमों की लोग अनदेखी कर देते हैं और जानें-अनजाने बड़ी गलतियां कर बैठते हैं। आइए जानते हैं कि हरतालिका तीज के व्रत में ऐसी कौन सी गलतियां करने से बचना चाहिए।

1. हरतालिका तीज का व्रत जीवन में एक बार रख लिया तो इसका त्याग नहीं किया जा सकता है। इस व्रत का एक बार संकल्प लेने के बाद इसे प्रत्येक वर्ष रखना जरूरी है। आप किसी साल इसे छोड़ नहीं सकते हैं. एक बार इसका संकल्प ले लिया तो प्रत्येक वर्ष इसे रखना जरूरी है।

2. हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली महिलाओं को क्रोध या गुस्सा करने से बचना चाहिए। इस दिन किसी दूसरे को अपशब्द कहने से बचें। क्रोध या अपशब्दों से ईश्वर के प्रति आपकी तपस्या भंग हो सकती है. इस दिन वाद-विवाद से भी दूर रहें।

3. हरतालिका तीज का व्रत रखने वाली महिलाओं को दिन में नींद लेने से बचना चाहिए। यहां तक कि रात को सोने की बजाए भगवान शिव की आराधना करें और उनके चमत्कारी मंत्रों का उच्चारण करते रहें।

4. हरतालिका तीज का व्रत निर्जला रखा जाता है। यानी इस दिन महिलाएं जल की एक बूंद भी गले के नीचे नहीं उतारती हैं। हरतालिका तीज के व्रत में खाने-पीने की चीजों से पूर्णत: परहेज करना पड़ता है। इसमें व्रत पारण के बाद ही कुछ खाया जा सकता है।

5. घर में कई स्त्रियां इस व्रत को नहीं रखती हैं। इसके बावजूद उन्हें कई मामलों को लेकर बड़ा सतर्क रहना पड़ता है। घर में तामसिक भोजन का प्रयोग ना करें।

हरतालिका तीज पर फुलेरा का महत्व
हरतालिका तीज कठिन व्रत माना जाता है। हरतालिका तीज के पूजन में भगवान शंकर के ऊपर फुलेरा बांधा जाता है। हरतालिका तीज के पूजन में फुलेरा का विशेष महत्व है। फुलेरा जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है फूलों से बनाया जाता है। इसमें 5 ताजे फूलों की माला का होना जरूरी माना जाता है। मान्यता है कि फुलेरे में बांधी जाने वाली 5 फूलों की मालाएं भगवान भोलेनाथ की पांच पुत्रियों (जया, विषहरा, शामिलबारी, देव और दोतली) का प्रतीक है।


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