गणेश मंडप : पिता की नगरी में चहुँओर पुत्र प्रथमेश की आराधना धूम

गणेश मंडप : पिता की नगरी में चहुँओर पुत्र प्रथमेश की आराधना धूम


– मंगलमूर्ति की स्थापना के साथ शुरू हुआ सप्ताहव्यापी कार्यक्रम

सात वार नौ त्योहार की नगरी काशी बुधवार से एक नए उत्सव में मगन हो गयी। मौका था गणेश चतुर्थी का। हिंदू धर्म के मुताबिक गणपति सभी देवताओं में पूजनीय होते हैं तथा किसी भी त्यौहार या पूजा के मौके पर सबसे पहले भगवान श्री गणेश का ही स्मरण किया जाता है। इसी संकल्प के साथ भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनायी जाती है। मान्यता है कि इसी दिन भगवान गणेश का जन्म भी हुआ था। इस मौके पर प्रतिवर्ष की भांति इस वर्ष भी पिता की नगरी में पुत्र के पूजन का धूम हैं।

– नूतन बालक गणेशोत्सव समाज सेवा मंडल

सप्तदिवसीय महोत्सव का उद्घाटन समारोह गणेश जी की प्रतिमा को दूधविनायक से पालकी में परंपरागत पद “गजानना ला नेऊ घरी” गाकर लाया गया व गणेश जी का औक्षण (आरती) की गई। उद्घाटन कार्यक्रम का प्रारंभ वैदिक मंगलाचरण कौस्तुभ दीक्षित व सांगीतिक मंगलाचरण “मंगल मुद सिद्धि सदन” आंचल यादव द्वारा गाये पद से हुआ I उत्सव के मुख्य आकर्षण का केंद्र सामूहिक पद “शुद्ध भाद्रपद आला झाला ” व गोफ नृत्य “वंदुनिया गिरिजा कुमरा” व “वह मातृ भूमि मेरी” रहा I मुख्य अतिथि ने गणेश जी की महिमा पर प्रकाश डालते हुए गणेश जी के समान सब के प्रति एक दृष्टि रखने की सलाह दी तथा समाज की एकता पर महत्व डालते हुए बाल गंगाधर तिलक की तरह समाज के प्रचार प्रसार के बारे में बताया। उद्घाटन कार्यक्रम के पश्चात अनिमेष वीरेश्वर दातार व हेमंत जोशी के आचार्यत्व में भगवान गणेश जी की स्थापना की गई तथा दूर्वा से सह्स्त्रनामार्चन किया गया। मुख्य यजमान गजानन जयराम जोशी व अद्वितीय दातार रहे।

गणेशोत्सव : स्थापना के 114 वें साल में सात दिवसीय गणेशोत्सव में होगा ये खास आयोजन

कार्यक्रम द्वितीय दिन 01 सितंबर
प्रात: 7 बजे गणेश पूजन व सहस्रनामार्चन (लावा) द्वारा, अपरान्ह 4 बजे महिलाओं द्वारा भजन एवं हल्दी रोरी तथा काशी की मातृ शक्तियों द्वारा राम तांडव स्तोत्र की प्रस्तुति, सायं 7.30 बजे पंडित अनंत शास्त्री मुले की अध्यक्षता में विद्वत सत्कार का

श्री गणेशोत्सव : आखिर क्यों हैं खास काशी में “शारदा भवन” , जहां 94 वर्ष से निरंतर बहती है श्रद्धा और परम्परा का प्राचीनतम बयार

श्री गणेश पूजन, शारदा भवन

– गणपति बप्पा मोरया के जयकारे के साथ पूजे गए श्रीगणेश
– 21 प्रकार के वनस्पतियों से की गयी पूजा
– महादेव की नगरी हुई गणेशमय

प्राचीन शारदा भवन अपने 93 वर्ष पूरे कर 94वां गणेशोत्सव मनाने को तैयार हो गया। 1929 में पंडित गौरीनाथ पाठक द्वारा लघु रूप से प्रारंभ किया गया यह पूजन आज एक वृहद उत्सव के रूप में परिवर्तित हो गया है। आज उनके पुत्रद्वय पंडित यादव राव पाठक व पंडित विनोद राव पाठक अपने कुटुम्ब के साथ परम्परा को अक्षुण बनाए रखें हैं। बुधवार को मध्यान के पश्चात पंडित संजय चांडेकर के आचार्यत्व में वेद मंत्रों के साथ षोडशोपचार पूजन किया गया। जिसमें कई प्रकार के सुगंधित पुष्प व 21 प्रकार के वनस्पतियों का प्रयोग हुआ।

21 वनस्पतियां
शमी पत्र, अगस्ति पत्र, मरु पत्र, बृहती पत्र,दाडिम पत्र,करवीर पत्र,अश्वत्थ पत्र,केतकी पत्र,जाती पत्र,भृंग पत्र,धत्तुर पत्र, मालती पत्र, अर्क पत्र, अर्जुन पत्र, दूर्वा पत्र, अपामार्ग, देवदारु, विल्व पत्र, बदरी पत्र, तुलसी पत्र और विष्णुक्रान्ता पत्र

111 किलो लड्डू व मोदक का लगा भोग
गणपति को प्रिय मोदक व बेसन के लड्डू का भोग लगाया गया। संयोजक यादव राव पाठक ने बताया कि इस वर्ष 111 किलो लड्डू बनवाया गया है जो पूरे सप्ताह तक भक्तों में बांटा जाएगा।

हास्य कवि सम्मेलन
शारदा भवन में सप्ताहव्यापी विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का शुभारंभ भी हुआ। प्रथम दिन सायंकाल हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन होगा । सम्मेलन की अध्यक्षता साँड़ बनारसी करेंगें। संचालन दमदार बनारसी व धन्यवाद ज्ञापन संयोजक डॉ. विनोद राव पाठक देंगें।

कल के कार्यक्रम
दिनांक 01 सितम्बर गुरुवार को अपराह्न 3 बजे से महिलाओं के लिए हल्दी व रोरी का आयोजन तथा मुख्य कार्यक्रम सायंकाल 7 बजे से वैदिक विद्वानों का सम्मान व वसंत पूजा होगा।


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श्री गणेश पूजा पंडाल से : बुधवार प्रथम दिन होने वाले कार्यक्रम

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