दिल के दौरे को अक्सर साइलेंट किलर कहा जाता है क्योंकि यह पहले कोई लक्षण प्रकट नहीं करता है और अचानक से किसी भी समय बिना किसी चेतावनी के आ जाता है, आम व्यक्ति के साथ साथ डायबिटिक, हाई ब्लड प्रेशर और हाई कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित व्यक्तियों में इसकी संभावना अधिक रहती है, ध्रुमपान, शराब और मोटापा भी इस खतरे को काफ़ी बढ़ा देते हैं। आज के इस तनाव भरे युग में जहां व्यक्ति को अपने काम और अपनी जरूरतों को पूरा करने में अनायास ही तनाव भरा जीवन और अनियमित खान – पान का प्रयोग करना पड़ता है। व्यक्ति बहुत चाहकर भी नियमित व्यायाम, संतुलित भोजन और संयमित दिनचर्या नहीं कर पाता है। ऐसी परिस्थितियों में हार्ट अटैक का खतरा काफ़ी बढ़ जाता है।
WHO के अनुसार लगभग 2करोड़ लोगों की मौत प्रति वर्ष दिल की बीमारी से हो जाती है। दिल की बीमारी में से होने वाली 5 में से 4 मौते दिल के दौरे और स्ट्रोक के कारण होती है। दिल का दौरा और स्ट्रोक रोकने के लिए, हमें संयमित खान पान व स्वस्थ जीवन शैली का उपयोग करना चाहिए, पर यदि दिल का दौरा अचानक से पड़ जाए तो कुछ ऐसी होम्योपैथिक दवाएं हैं जो तुरंत ले लीं जाएं तो मृत्यु अवश्य ही टल जाएंगी और मरीज़ को आधुनिक और पर्याप्त चिकित्सा कराने का पूरा समय मिल जायेगा, ऐसा उदाहरण देखने को मिलता आ रहा है।
कोरोना त्रासदी के दौरान रिसर्च सेंटर पर आने वाले लगभग 34 मरीजों पर इनके मानसिक और शारीरिक लक्षण जैसे भय और अधीरता, मानसिक और शारीरिक व्यग्रता, बाए कंधो में दर्द, नाड़ी तेज, कठोर, कष्टकर स्वास, दबाव मानो छाती पर बोझ पड़ा हो, सुई की चुभन या चीड़ भाड़ किए जानें जैसा दर्द, मुख कंठ और जीभ की रूक्षणता नाड़ी तेज दुर्बल, बाए बाजू का सुन्न पन आदि लक्षणों को देखकर ये दवाएं दे दी गईं, जिससे उनकी वेदना कम हो गई और स्वास व नाड़ी लगभग सामान्य अवस्था के आस पास आ गए, इनमे से लगभग 12 मरीज़ इन्ही दवाओं से स्वस्थ हो गए, बाकी मरीजों की करोना की रिपोर्ट 5 से 7 दिन में आने के बाद उन्हें आधुनिक चिकित्सालय भेज दिया गया, इन सभी मरीजों की ECG और Echo की आई रिपोर्ट में दिल के दौरे की पुष्टी हुई, इन दवाओं में(ब्रायोनिया, एल्बा , आर्सेनिक एल्बम, एकोनाइट नैपलसम और रसटक ) हैं।
यदि इन दवाओं को घरों में रखा जाए और हार्ट अटैक आने पर मरीज़ को तुरंत दे दिया जाए तो मरीज़ को आधुनिक चिकित्सालय में जानें का पर्याप्त समय मिल जायेगा और व्यक्ति की मृत्यु अवश्य ही टल जाएगी।
इसी क्रम में डॉक्टर कमल नयन ओझा ने बताया कि कमल होम्यो एंड रिसर्च सेंटर सामनेघाट की _वैज्ञानिक टीम_ द्वारा _मधुमेह रोग_ पर किए जा रहे कार्य का काफ़ी अच्छा और सकारात्मक परिणाम मिल रहा है, रिसर्च सेंटर द्वारा विकसित दवा “अमृत कलश” से व्यक्ति मधुमेह से मुक्त होने के साथ साथ ही हार्ट, लीवर, किडनी, स्किन, न्यूरोपैथी, कमजोरी आदि बीमारियों से पूर्णतः मुक्त हो रहे हैं। पूरे देश से इस अमृत कलश की मांग आ रही है,इसदवा से लोग मानसिक एवं शारीरिक रूप से मधुमेह से चिंतामुक्त होते जा रहे हैं।
सम्पर्क – डॉ कमल नयन ओझा 7376354147
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