दीवाली की रात आती है उल्लुओं की शामत ……!

दीवाली की रात आती है उल्लुओं की शामत ……!

दीपावली विशेष
अन्धविश्वास के बलि बेदी पर शिकार होते उल्लू
धर्म / इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 7 nov

– विज्ञान युग में भी अंधविश्वास का बोलबाला
– वन्य जीव अधिनियम के तहत उल्लू वध पर होगा जेल
– लक्ष्मी नहीं आएगी बल्कि जेल जायेंगे उल्लू के हन्ता

धन और एश्वर्य की देवी  लक्ष्मी के वाहन उलूक के लिए दीवाली की रात वास्तव में में कुछ ज्यादा ही काली रात साबित होती है … उल्लू को निशाचर भी कहा जाता है लेकिन रात में विचरण करने वाले ये जीव अपने प्राणों की आहुति से बेखबर आज भी यदा कदा विचरण करते दिख ही जाते है …आप को जानकर हैरानी होगी कि दीपावली की रात इस अकेले जीव का दाम दस हजार से पचास हजार या फिर मुँह मांगे दाम पर बिकते है …..क्यों बिकते है इतने महंगे उल्लू और क्या ख़ास होता है आइये जानते है ….

मूर्खो को सींग नहीं होते 
एक तरफ लक्ष्मी जी का पूजन तो दूसरी ओर उन्हीं के वाहन का वध। अचरज भरा यह सच दीपावली की रात का है। विज्ञान भले ही कितनी तरक्की कर ली हो पर सदियों से चली आ रही परम्परा अब भी जारी है। अमावस की ये काली रात मानो उल्लुओं पर शामत लेकर आती है। रात में विचरण करने वाले इस पक्षी को स्याह रात में ही बलि चढ़ा दी जाती है। इसके पीछे तर्क यह दिया जाता है कि ऐसा करने से लक्ष्मी जी मेहरबान होंगी और धनवान बनने का वरदान देंगी। साथ ही नाना प्रकार की बाधाएं दूर होती है। भ्रम पाले बैठे हैं कि उल्लू के साथ किये गये तांत्रिक अनुष्ठान से लक्ष्मी पधारती हैं।

सिर्फ भारत में ही अशुभ है उल्लू 
उल्लू के नाम से आम तौर पर सभी भयभीत होते है कुछ तो इसे अशुभ भी मानते है कहा जाता है कि जिस जगह उल्लू रहते है वो जगह शैतानी आत्माओं का स्थान भी होता है लेकिन सच ऐसा नहीं है ये केवल एक भ्रम ही है सच तो यह है की उल्लू किसानों का दोस्त होता है जो रात के अंधियारे में खेतो में घुमने वाले चूहा और कीट पतंगो को खाकर हमारे फसलो की सुरक्षा ही करता है ..यही नहीं इनके कर्कस आवाज से निकलने वाली कम्पन से कुछ कीट पतंगें अपने जगह पर ही दुबके रहते है।

तंत्र में महानिशा की रात
बात तंत्र विद्या की बात करे तो दीवाली की रात को महानिशा कहा जाता  है इस रात तंत्र साधक अपनी साधनाओ के शक्तिओ को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए कुछ ख़ास जगहों पर अपनी शक्तिओ का आह्वान कर उनकी इच्छाओं की पूर्ति करते है ये इच्छायें आमिस और निरामिस दोनों ठंग  की होती है …इस बात का निर्धारण साधक या उसके गुरु या फिर पंथ करता है …लेकिन ये बातें किसी भी शास्त्र या फिर तंत्र की किताबो  में नहीं लिखा है कि जिस उल्लू को माँ लक्ष्मी अपने वाहन के रूप में प्रयोग करती हो वो पक्षी आखिर कैसे और क्यों दीपावली की रात मौत का सौगात लेकर आता है।

भ्रम की ये है वजह 
ऐसा भ्रम है कि उल्लू के शरीर के अलग अलग हिस्सों का अलग अलग तांत्रिक प्रयोग किया जाता है जो गलत है आमतौर जो भ्रम में वो कुछ यूँ है। शत्रु को ठिकाने लगने के लिए चोंच।  वशीकरण के लिए इसका कलेजा ,उसकी हड्डी से धन आएगा। पंजे से रोग दूर होंगे। आंखों से सम्मोहन शक्ति प्राप्त होगी। पंख भोजपत्र पर रखकर यंत्र बनाकर सिद्ध करने के काम । भ्रम तो ये भी है कि दीपावली की रात कुछ तांत्रिक मंत्र सिद्ध करने के लिए उसके रक्त से स्नान करते हैं।

 

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