
धन त्रयोदशी पर माता अन्नपूर्णेश्वरी ने दोनों हाथों से लुटाया खजाना
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 12 nov
– संदीप त्रिपाठी
– स्वर्णमयी मां अन्नपूर्णा के दर्शन संग खजाना पा कर निहाल हुए भक्त
– कोरोना प्रकोप पर भारी पड़ी लोगों की आस्था,
– माता के दिव्य स्वरूप के दर्शऩ व अन्न व धन पाने की लालसा में दर्शनार्थियों का उमड़ा हुजूम
– बुधवार शाम से ही श्रद्धालुओं की लग गई थी कतार
– कोरोना प्रोटोकॉल के तहत लोगों को हुए दर्शन सुलभ
– हर साल की अपेक्षा इस साल कोरोना के चलते श्रद्धालुओं की आवक रही कम
भक्तों पर अन्न और धन की बरसात करने वाली मां अन्नपूर्णा के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन गुरुवार की सुबह शुरू हो गए। मां के दर्शन करने के लिए भक्तों की कतार बुधवार की शाम से ही लगनी शुरू हो गई थी। मंदिर के प्रधान महंत रामेश्वर पुरी ने बताया कि गुरुवार को भोर में मंगला आरती के बाद सुबह 6 बजे भक्तों के लिए माता का कपाट खोल दिया गया था। कोरोना प्रोटोकॉल के अनुसार ही भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा था।
भक्त माता से सारे कष्ट दूर करने की प्रार्थना कर रहे थे। दो गज की दूरी, मास्क और सैनिटाइजेशन का पूरा ध्यान रखा गया। मां के स्वर्णमयी स्वरूप के दर्शन आज से 15 नवंबर तक होंगे। अन्नपूर्णा मंदिर में गेट नंबर एक ढुंढिराज से प्रवेश दिया जा रहा था।
बुधवार की रात्रि 10 बजे तक भक्तों की कतार बढ़कर गोदौलिया तक पहुंच गई थी। और सुबह भोर में माता के दर्शन शुरू हो गए। कतारबद्ध भक्तों में वाराणसी के ग्रामीण क्षेत्र, भदोही, चंदौली, मिर्जापुर, गोपीगंज, मुगलसराय से आए लोग शामिल हुए थे। सुरक्षा के मद्देनजर पुलिस भी तैनात है।
वहीं, पूरे मंदिर परिसर को रंग-बिरंगी झालरों से सजा गया है। पूरे परिसर को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया गया है। धनतेरस पर मां अन्नपूर्णा का खजाना और लावा भक्तों में वितरण हो रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग के साथ थर्मल स्कैनिंग और हैंड सैनेटाइजेशन के बाद भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया जा रहा है। मंदिर परिसर को हर दो-दो घंटे पर सैनेटाइज कराया जा रहा है।
धन त्रयोदशी के शुभ अवसर पर काशी पुराधीश्वरी मां अन्नपूर्णा ने दोनों हाथों से खजाना लुटाया। मां की स्वर्णमयी प्रतिमा के दर्शऩ कर भक्त निहाल हुए। देवी के इस स्वरूप की एक झलक पाने के लिए श्रद्धालुओं की कतार एक दिन पहले शाम से ही लग गई थी। भक्ति का वो भाव कि भक्तजन गंगा स्नान कर नंगे पांव लाइन में लगे रहे। माता का दरबार लगातार जयकारों से गूंजता रहा।
दर्शन करिये धनतेरस पर माता अन्नपूर्णा की , जानिये दर्शन का महत्त्व
कार्तिक कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर काशी पुराधीश्वरी के दरबार में अनादि काल से भक्तों का रेला लगता है। उसी परंपरा के वशीभूत भक्तजन बरबस ही माता के दरबार तक खिंचे चले आते हैं। चाहे जहां भी रहें, देश में या परदेश में इस दिन विशेष पर काशी और मां अन्नपूर्णा का आशीर्वाद पाने के लिए वो काशी जरूर आते हैं।
बता दें कि माता अन्नपूर्णा मंदिर के प्रथम तल पर स्थित मां की स्वर्णमयी प्रतिमा का पट साल में चार दिन के लिए ही खुलता है। वह दिन धनतेरस होता है। धनतेरस से अन्नकूट तक मां के दिव्य स्वरूप के दर्शन होते हैं। इस स्वरूप की झलक का इंतजार भक्त वर्ष भर करते हैं। यहां यह भी बता दें कि इन चार दिनों तक केवल माता अन्नपूर्णा ही नहीं बल्कि भू देवी और माता लक्ष्मी के भी दर्शन होते हैं। ये तीनों प्रतिमाएं मां अन्नपूर्णा मंदिर के प्रथम तल पर स्थित है। इन तीनों देवियों के समक्ष काशी पुराधीश्वर बाबा विश्वनाथ को भिक्षा मांगते हुए दर्शाया गया है। यह अलौकिक प्रतिमा अन्यत्र कहीं नहीं मिलती। ऐसे में इन तीनों देवियों और बाबा के दर्शऩ का सिलसिला शुक्रवार को भोर में मंगला आरती के बाद से ही शुरू हो गया।
भोर में मां अन्नपूर्णा मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी, उपमहंत शंकर पुरी ने मां के स्वर्णमयी प्रतिमा की आरती उतारी। मंदिर के आचार्यों ने देवी का षोडशोपचार पूजन किया। इस दौरान खजाने का भी पूजन किया गया। आरती पूरी के बाद मंदिर का कपाट आम भक्तों के लिए खोल दिया गया। दर्शऩ के लिए आए भक्तों को महंत रामेश्वर पूरी जी महाराज मां के गर्भगृह से ही खजाने का वितरण करते रहे। खजाने के रूप में चावल, धान और अप्रचलित सिक्का पा कर भक्त निहाल हो गए।
कपाट खुलते ही मंदिर परिसर मां के जयकारों से गूंज उठा। घंटो कतारबद्ध लोगों को माता ने जब दर्शऩ दिया तो वो ऐसे विभोर हो उठे मानों दुनिया का सब कुछ उन्हें हासिल हो गया हो। ऐसा था भी।
मंदिर के महंत रामेश्वर पुरी ने बताया कि अति प्राचीन काल से यह परंपरा चली आ रही है। धनतेरस के दिन जो भी भक्त मां के स्वर्णमयी स्वरूप का दर्शन कर उनका खजाना हासिल करता है उसे आजीवन ही नहीं जन्म जन्मांतर तक किसी तरह का कोई कष्ट नहीं होता। न धन की कमी होती है न अन्न की। कीर्ति लाभ मिलता है और भक्त हमेशा सारे संतापों से विमुख होता है। बताया कि आज धनवंतरी जयंती भी है लिहाजा मां के दरबार में आने वाले को रोग व्याधि से भी मुक्ति मिलती है। यह इकलौता मंदिर है जहां एक साथ मां अन्नपूर्णा, भू देवी और माता लक्ष्मी तीनों का विग्रह है। संसार को चलाने के लिए जमीन में अन्न पैदा होता है, वह अनाज मां अन्नपूर्णा की कृपा से हमें प्राप्त होता है और धन वैभव की अधिष्ठात्री मां लक्ष्मी शेष आकांक्षाएं पूर्ण करती हैं।
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