इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 18 nov
परंपरा ने दिया जबाब ,आदेश और वायरस बेअसर
सरकारी पाबंदियों के बाद भी रही श्रद्धालुओं की भीड़
शिव की नगरी काशी में कल कल छल छल करती गंगा एक दिन के लिए यमुना बन जाती है और मौका होता है भगवान कृष्ण की प्रसिद्द लीला नाग नथैया का …दीपावली के चौथे दिन तुलसी घाट पर वर्षो से चली आ रही परंपरा के तहत शाम को होने वाले ५ मिनट के लीला में लाखो की संख्या में श्रद्धालु भाग लेते है। इस आयोजन में विदेशी सैलानी भी भारी संख्या में देखे जाते थे लेकिन इस वर्ष कोरोना के कारण भीड़ कण रही। इस लीला में अपने सखा का गेंद को वापस लेन के लिए कृष्ण कदम के पेड़ पर से यमुना रूपी गंगा में छलांग लगाते है।
अभी कलयुग का कलिकाल चल रहा है लेकिन हम अब बात कर रहे है उस युग का जब नटवर नागर ने जन्म लिया और अपने लीला के माध्यम से समाज को एक सार्थक सन्देश देने का काम किया द्वापर युग में एसा ही एक सन्देश भगवान श्री कृष्ण ने अपने सखा के साथ गेंद खेलते हुए यमुना तट पर दिया था …..जल प्रदुषण को शुद्ध करने के लिए किये उनके लीला कालिया दमन आज और भी ज्यादा सामायिक नजर आती है जब हम सब अपने नदी नालो के साथ ईमानदार नहीं है।
यूँ तो शिव की नगरी काशी में गंगा उतर वाहिनी बहती है लेकिन शिव की जटाओं की शोभा बढ़ने वाली गंगा साल में एक दिन यमुना का रूप धारण कर लेती है और इस स्वरूप को देखने के लिए गोस्वामी तुलसी दास के निवास स्थान तुलसी घाट पर लाखों की संख्या में नर नारी पहुंचते है यूँ तो इस बात की तैयारी कई दिन पहले से शुरू हो जाया करता है लेकिन शाम के ठीक 4,40 पर हर हर महादेव के गगन भेदी उदघोष के साथ श्री कृष्ण कदम के पेड़ पर चढ़ कर गंगा रूपी जमुना में कूदते है और लीला का समाप्ति होता है।
जिसे देखने काशी के राजपरिवार के लोग भी उपस्थित रहते हैं।
श्रद्धालुओ से पटा घाट कृष्ण लीला से जुड़े कालिया दमन लीला को देखने यहाँ जुटी है , बात द्वापर युग की है जब श्री कृष्ण अपने बाल सखाओ के साथ यमुना तट पर गेंद खेल रहे थे की अचानक गेंद यमुना के गहरे पानी में जा पहुंची …सखा भी अपने गेंद के लिए जिद्द करना शुरू कर दिया लिहाजा कृष्ण गेंद वापस लाने के लिए यमुना के छलाग लगा देते है ……जब इस बात की सुचना नगरवासियों को हुआ तो भय से परेशा होकर वो नदी तट पर पहुँचने लगे जिसकी वजह, यमुना नदी में कालिया नामक विषैला नाग का होना था जिसके जहर से नदी का पानी भी विषैला हो गया था ……..नर नारी भय के आशंका से नदी तट पर अनहोनी का इंतज़ार करने लगे की तभी कृष्ण कालिया नाग के विशाल फन पर नृत्य करते हुए पानी के सतह पर आ गए और कालिया दहन कहलाये।
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