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लोटा-भंटा मेला की पौराणिक मान्यता है। इसकी कोई ज्ञात तिथि नहीं है। इसकी कहानी पुरनियों की जुबानी ही सुनी जा सकती है। उनकी मानें तो गंगा-वरुणा नदी के किनारे बसी इस भूमि पर मर्यादा पुरु षोत्तम भगवान राम ने स्वयं एक मुट्ठी रेत से शिवलिंग की स्थापना कर पूजन कर इस स्थान को पवित्र कर दिया था। मेले से जुड़ी प्रचलित किवदंती के अनुसार एक नि: संतान दंपति ने अगहन बदी छठ को वरुणा में स्नान कर रामेश्वर महादेव का दर्शन किया ……
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लोटा भंटा मेला – जहाँ भोग लगाया जाता है प्रभु शिव बाटी चोखा
रविवार से 8 बजे से चलेगी मंडुवाडीह-रामेश्वरम-मंडुवाडीह
काशी के आकाश पर जहरीली हवा का कब्ज़ा अब पीएम-10, एयर क्वालिटी इंडेक्स 350 के पार
प्रतीकात्मक फांसी लगाकर केंद्र सरकार का विरोध , किसानों के समर्थन में आया काशी का युवा वर्ग
होगा धन और धान्य का बरसात करे जो करे माता अन्नपूर्णा ये अनुष्ठान
रविवार से 8 बजे से चलेगी मंडुवाडीह-रामेश्वरम-मंडुवाडीह
काशी के आकाश पर जहरीली हवा का कब्ज़ा अब पीएम-10, एयर क्वालिटी इंडेक्स 350 के पार
प्रतीकात्मक फांसी लगाकर केंद्र सरकार का विरोध , किसानों के समर्थन में आया काशी का युवा वर्ग
होगा धन और धान्य का बरसात करे जो करे माता अन्नपूर्णा ये अनुष्ठान
आपने भूतों का मेला देखा है क्या ?