राष्ट्रीय वेबिनार में वोल्गा से गंगा की चर्चा

राष्ट्रीय वेबिनार में वोल्गा से गंगा की चर्चा

 राहुल सांकृत्यायन की ऐतिहासिक दृष्टि – संदर्भ : वोल्गा से गंगा 
इन्नोवेस्ट न्यूज़  / 7 dec

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  महापंडित राहुल सांकृत्यायन शोध एवं अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित राहुल सांकृत्यायन की ऐतिहासिक दृष्टि – संदर्भ : वोल्गा से गंगा आभासीय राष्ट्रीय वेबीनार का सुफल आयोजन आभासीय पटल पर सम्पन्न 
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  महापंडित राहुल सांकृत्यायन शोध एवं अध्ययन केंद्र द्वारा आयोजित राहुल सांकृत्यायन की ऐतिहासिक दृष्टि – संदर्भ : वोल्गा से गंगा के राष्ट्रीय वेबीनार के अवसर पर  आयोजन की शुरुआत राहुल सांकृत्यायन की स्मृति को नमन करते हुए किया गया। वक्ताओं ने राहुल जी का हिंदी साहित्य में अवदान अतुल्य है। वोल्गा से गंगा उनकी अप्रतिम रचना है जिसमें उनकी इतिहास दृष्टि अतीत से वर्तमान तक फैली है। दरभंगा से जुड़े वरिष्ठ साहित्यकार डा चंद्रभानु सिंह ने कहा-  राहुल सांकृत्यायन के लेखन के केंद्र में इतिहास रहा है इतिहास यात्रा का मुख्य उद्देश्य वर्ग संघर्ष के माध्यम से निरंतर विकास उन्मुख मानव समाज का अध्ययन और प्रकारांतर से भविष्य की दिशा का संकेत करना है। डा मुक्ता ने कहा संग्रह का आरंभ निशा कहानी से होता है जिसमें वोल्गा के तट के ऊपरी भाग में निवास करने वाले हिंदी यूरोपीय कबीले से हैं जो आर्य कहे जाते थे। वक्ता डा रामसुधार सिंह ने कहा कि प्रागैतिहासिक और ऐतिहासिक कथा की अनोखी कृति वोल्गा से गंगा में राहुल जी की मुक्त इतिहास दृष्टि का परिचय मिलता है। पटना की डा किरण सहाय ने पंडित जी की प्रमुख रचनाओं में वोल्गा से गंगा भारतीय कथा साहित्य की गौरवमयी  रचना बताई । इस कथा संग्रह में बौद्ध धर्म से संबंधित कथाएं भी हैं जिसमें बंधुल्ल जो भगवान बुद्ध के समकालीन पात्र अपनी वीरता के लिए विख्यात थे । इसी संकलन की दूसरी कथा प्रभा  – अश्वघोष की कृतियां बुद्धचरित और सुंदरानंद से संबंधित हैं।  आयोजन की सञ्चालन संस्था की सचिव डा संगीता श्रीवास्तव ने कुशलतापूर्वक करते हुए कहा कि राहुल जी ने आदिकाल की अतीत घटनाओं को यथार्थ के तल पर लाकर वर्तमान से उसकी तुलना की है जिससे मानव अतीत की घटनाओं से कुछ सीख कर वर्तमान को सुधार सके ।इस संग्रह की कहानियों में आए ऐतिहासिक तत्व और उन से निर्मित ठोस साक्ष्यों पर आधारित उनकी इतिहास दृष्टि अति सूक्ष्म और अन्वेषी है। उपाध्यक्ष बीएल प्रजापति ने सभी आदरणीय प्रवर वक्ताओं और आभासीय पटल से सम्मिलित हुए सभी श्रोताओं का हार्दिक आभार और धन्यवाद ज्ञापित किया ।

  वोल्गा से गंगा  
 वोल्गा से गंगा में लगभग 6000 ईसा पूर्व से लेकर बीसवीं सदी के पूर्वार्ध तक के मानव समाज के ऐतिहासिक विकास की प्रक्रिया को 20 कहानियों के रूप में चित्रित किया गया है यह कहानियां मानव समाज के विकास को विभिन्न व्यवस्थाओं में वर्ग संघर्ष के इतिहास के रूप में व्यक्त करती है। यह एक व्यापक कालावधी की कथा हैं ,जो वोल्गा नदी के मुहाने से शुरू होकर गंगा के मुहाने पटना शहर तक के 20 चरित्र प्रधान कहानियों के माध्यम से समाज की कला इतिहास भूगोल समाजशास्त्र का समावेश इन कथाओं में है। 

 

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