
31 मार्च के बाद घाट पर आरती करना होगा मुश्किल , नगर निगम के रजिस्ट्रेशन के बाद ही होगा संभव
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 18 feb
– गंगा नदी के किनारे के सार्वजनिक घाट स्थायी रूप से सार्वजनिक सम्पत्ति है तथा इसका स्वामित्व राज्य सरकार का
– वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र में स्वामित्व होने की वजह से गंगा घाटों का प्रबन्धन नगर निगम के पास
– घाट केआरतियाॅं का रजिस्ट्रेशन नगर निगम के द्वारा किया जायेगा
– स्थान का आवंटन संग नवीनीकरण भी नगर निगम द्वारा हर वर्ष
– 17 फरवरी की सायंकाल तक हुई आरती का बनेगा रिकार्ड , आगामी माह से होगा रजिस्ट्रेशन
– एक संस्था या व्यक्तियों का समूह को एक से अधिक घाटों पर आरती पर मनाही
दो दिन पूर्व अस्सी घाट पर शुरू हुए सायंकालीन आरती से उठे विवाद को देखते हुए भले ही बनारस जिलाधिकारी ने फरमान जारी कर दिया है लेकिन ये तय है कि ये फरमान गले का फ़ास हो सकता है। असल में बनारस में बढ़ते धार्मिक पर्यटन के मद्देनजर गंगा तट पर आरती करवाले वाले संस्थाओं की बाढ़ सी आ गयी है। गंगा आरती को व्यवसाय का रूप देते हुए बड़े ही सधे कदमों से संस्थाएं अपने हित को साधने में सफल रही है और ऐसा ही कुछ अस्सी के सुबहे बनारस नामक संस्था के लिए कहा जाता है। हाल फिलहाल अस्सी घाट के स्वामित्व की बात करने वाले बलराम मिश्रा सुबहे बनारस द्वारा शाम के गंगा आरती के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है।
इसी के क्रम में इस संबंध में जिलाधिकारी ने पत्र लिख कर नगर आयुक्त को बताया है कि घाटों पर आरती को लेकर विवाद या नई आरती के विरोध को रोकने के लिए नगर निगम स्पष्ट व्यवस्था करनी चाहिए ,जिसके तहत घाटों के आरती का रजिस्ट्रेशन नगर निगम द्वारा किया जाय और नवीनीकरण प्रत्येक वर्ष किया जाना चाहिए। घाट पर आरती बिना नगर निगम की अनुमति के न किया जाय और एक ही संस्था या व्यक्तियों का समूह एक से अधिक घाटों पर आरती न करें। 17 फरवरी की सायंकाल तक हुई आरतियों का रिकार्ड बनवाया जाये तथा सभी का एक माह में रजिस्ट्रेशन कराया जाय। रजिस्ट्रेशन हेतु प्रपत्र भी नगर निगम की तरफ से डिजाईन होना चाहिए। 31 मार्च तक यह कार्य पूर्ण हो जाना चाहिए । जिसके लिए नगर निगम अन्तर्गत घाटों हेतु एक नोडल अधिकारी भी नामित किये जाय ।
जिलाधिकारी कौशल राज शर्मा ने कहा
वाराणसी में गंगा नदी के किनारे के सार्वजनिक घाट स्थायी रूप से सार्वजनिक सम्पत्ति है तथा इसका स्वामित्व राज्य सरकार का है। कुछ वर्ष पूर्व ये घाट संबंधित ग्राम समाज की सम्पत्ति रही होगी, परन्तु वर्तमान में नगर निगम क्षेत्र में स्वामित्व होने की वजह से इसका प्रबन्धन नगर निगम के पास है। इससे स्पष्ट है कि वर्तमान में इन घाटों का स्वामित्व राज्य सरकार का है तथा इसका प्रबन्धन नगर निगम के पास है।
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