संत रविदास – आखिर सवर्णो पर ये तोहमत क्यों …..
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 25 feb
संत रविदास जिन्हें रैदास भी कहा जाता है, ईस्वी वर्ष 1376-77 के माघ माह की पूर्णिमा को बनारस में जन्मे थे । पिता शूद्र थे तो जाहिर है ये भी शूद्र थे । #शूद्र, जो कि वर्तमान हिसाब से #दलित हुये । पिता श्री संतोखदास सरपंच थे और प्राकृतिक तौर पर मृत पशुयों का चमड़ा उतार कर चप्पल/जूते बनाते थे। गौरतलब बात ये है कि इनके गुरु का नाम है “पण्डित शारदा नंद”, जो कि एक ब्राह्मण थे । आये दिन आपको सवर्णो का छोटी जातियों पर अत्याचार के किस्से पढ़ते और सुनते होंगे लेकिन असल में इन बातों में पूरी सच्चाई नहीं होती है। काशी की ब्राम्हणों की संस्था ने इन किस्सों को तत्य के साथ रखने का प्रयास कर रही है और उनका उदेश्य है समाज को बाँटने की साजिश को रोकना और आमजन को सत्य से अवगत करना है।
अब कुछ सवाल …
▪जैसा की आजकल पढाया जाता है कि भारत मे मनुवादी संस्कृति के चलते शूद्रों को समाज में अछूत माना जाता था, तो एक शूद्र – चमार #सरपंच कैसे बन गया ?
▪ आजकल बताया जाता है कि शूद्र के कान में कोई श्लोक, वेद वाणी की ध्वनि पड़ जाये तो उसके कानों में पिघला शीशा भर देते थे — पर रैदास जी को शूद्र होते हुये वैदिक पाठशाला में शिक्षा मिली थी जहाँ अनेक ब्राह्मण वर्ण के बालक वेद और शास्त्र अध्ययन करते थे ।
▪आजकल बताया जाता है कि मनुवादी समाज में ब्राह्मण व अन्य उच्च वर्ग के लोग शूद्रों को स्पर्श तक नहीं करते थे – जबकि रैदास जी के गुरु पण्डित शारदा नंद जो की ब्राह्मण थे उन्हें ना केवल अपनी पाठशाला में पढ़ाते थे उन्हें बल्कि अपने साथ ही भोजन कराते थे ।
▪आजकल बताया जाता है कि शूद्रों को मंदिर में प्रवेश नहीं करने दिया जाता था जबकि रैदास जी तो मंदिरों में भजन गाया करते थे और क्षत्रिय कुल की वधू मीरा बाई इन्हीं की शिष्या थीं ।
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अगर मनुवादी हिन्दू समाज में जातिगत भेदभाव था तो वो वाराणसी के सन्त रैदास से लेकर मेवाड़ के सेनानायक कोटिया भील तक और झांसी की सेनापति झलकारी बाई से लेकर भीमराव अम्बेडकर तक जब एक क्षत्रिय राजा/रानी इन्हें अपना सेनानायक/सेनापति बनाता है। जब एक ब्राह्मण गुरु इन्हें शिक्षा देता है और जब एक ब्राह्मण अपनी कन्या इनसे ब्याहता है तब ये भेदभाव कहीं नज़र क्यों नहीं आता है ? फिर कथित दलितों को किसने अलग किया बाकी हिन्दू समाज से।
बैठक में ये थे मौजूद
डॉ गिरीशचंद्र तिवारी , डॉ संतोष ओझा, लव तिवारी , विनोद तिवारी , राजीव मिश्रा , रत्नेश पांडेय ,रजनीश उपाध्याय ,मनीष पांडेय , मोहित पांडेय ,श्रवण उपाध्याय, आलोक उपाध्याय और विकाश त्रिपाठी
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