रंगभरी एकादशी को पूजिये भगवान श्री हरि को , सभी मनोरथ होंगे पूर्ण

रंगभरी एकादशी को पूजिये भगवान श्री हरि को , सभी मनोरथ होंगे पूर्ण

धर्मनगरी
रंगभरी एकादशी को पूजिये भगवान श्री हरि को , सभी मनोरथ होंगे पूर्ण
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 23 मार्च

-आमलकी/रंगभरी एकादशी : 25 मार्च, गुरुवार
-आंवले के वृक्ष के नीचे भगवान् श्रीहरि की होगी पूजा
– आमलकी एकादशी व्रत : सहस्र गोदान फल के समान पुण्य फलदायी

भारतीय संस्कृति के हिन्दू धर्मशास्त्रों में प्रत्येक माह की तिथियों का अपना खास महत्व है। मास व तिथि के संयोग होने पर ही पर्व मनाया जाता है। इसी क्रम में फाल्गुन शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि के दिन आमलकी/रंगभरी एकादशी मनाई जाती है। ऐसी मान्यता है कि आमलकी एकादशी के व्रत से द्वादश मास के समस्त एकादशी के व्रत का पुण्यफल मिलता है, साथ ही जीवन के समस्त पापों का शमन भी होता है। एकादशी तिथि के दिन स्नान-दान व्रत से सहस्र गोदान के समान शुभफल की प्राप्ति बतलाई गई है। इस दिन स्ïनान-दान व व्रत से भगवान् श्रीहरि यानि श्रीविष्णु जी की पूजा-अर्चना का विशेष महत्त्व है। प्रख्यात ज्योतिषविद् विमल जैन ने बताया कि फाल्गुन शुक्लपक्ष की एकादशी तिथि 24 मार्च, बुधवार को दिन में 10 बजकर 24 मिनट पर लगेगी जो कि 25 मार्च, गुरुवार को प्रात: 9 बजकर 48 मिनट तक रहेगी। 25 मार्च, गुरुवार को उदया तिथि में एकादशी तिथि होने से आमलकी/रंगभरी एकादशी का व्रत इसी दिन रखा जाएगा। आज के दिन काशी में श्रीकाशी विश्वनाथ जी का प्रतिष्ठा महोत्सव व शृंगार दिवस भी धूमधाम से मनाया जाता है।

यह भी पढ़िए –
BHU में लॉकडाउन , पढ़ाई शुरू होने से पहले ही बंद करने का आदेश
गंगा की अविरलता एवं निर्मलता के लिए नालों को करना होगा बंद- प्रो विश्वम्भर नाथ मिश्रा
गोदौलिया स्थित मल्टीस्टोरी पार्किंग पर आपत्ति
गोदौलिया स्थित मल्टीस्टोरी पार्किंग पर आपत्ति
प्रदेश में 1130 फर्जी अध्यापक सभी डिग्री संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के

ऐसे करें भगवान श्री हरि की पूजा
व्रतकर्ता को अपने दैनिक नित्य कृत्यों से निवृत्त होकर स्नान ध्यान के पश्चात् आमलकी/रंगभरी एकादशी व्रत का संकल्प लेना चाहिए। संकल्प के साथ व्रत करके समस्त नियम-संयम आदि का पालन करना चाहिए।

पढ़िए , विशेष में ……
इन्हें भी जानिए ,नुकसान रोज पपीता खाने से
पढ़िए ,जनेऊ क्या है और इसकी क्या है महत्ता
धर्मनगरी – काशी विश्वनाथ से जुड़ीं अनसुनी सत्य

धार्मिक व पौराणिक मान्यता
आंवले के वृक्ष के नीचे श्रीहरि यानि श्रीविष्णु का वास माना गया है। आंवले के वृक्ष का पूजन पूर्वाभिमुख होकर करना चाहिए। साथ ही आँवले के वृक्ष के पूजन में पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य आदि अॢपत करने चाहिये। पूजन के पश्चात् वृक्ष की आरती करके परिक्रमा करना पुण्य फलदायी माना गया है। आंवले के फल का दान करना भी सौभाग्य में वृद्धि करता है। भगवान श्रीविष्णु की विशेष कृपा प्राप्ति के लिए इनके मन्त्र ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय का जप अधिक से अधिक संख्या में करना चाहिए। आज रात्रि जागरण करना लाभकारी रहता है। सम्पूर्ण दिन निराहार रहकर व्रत सम्पादित करना चाहिए, अन्न ग्रहण करने का निषेध है। विशेष परिस्थितियों में दूध या फलाहार ग्रहण किया जा सकता है। व्रत के समय दिन में शयन नहीं करना चाहिए साथ ही व्रत कर्ता को अपने जीवन में शुचिता बरतनी चाहिए। अपनी सामथ्र्य के अनुसार ब्राह्मणों को उपयोगी वस्तुओं का दान करना चाहिए, साथ ही गरीबों व असहायों की सेवा एवं परोपकार के कार्य अवश्य करना चाहिए। जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली मिलती रहे।

 

खबरों को वीडिओ में देखिये

पूर्व विधायक को किससे है जान का खतरा

सच अमृत कलश की , क्या अभी भी है अमृत कलश का अस्तित्व

शुलटंकेश्वर महादेव – जहां से बदलती हैं गंगा अपनी धार

#Mata_sharada मैहर का नाम कैसे पड़ा क्या गिरा था यहाँ सती का ?

छात्रों में भगत सिंह के शहादत पर तकरार

https://innovest.co.in/8746/

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!