उफ,यह लापरवाही ,कहीं ला दे न यहां तबाही!
आइना / इन्नोवेस्ट न्यूज़/ 26 जुलाई
सरकार के दावे भले ही जो हो लेकिन जमीनी हकीकत वैसा तो एकदम नहीं है कोरोना काल में संक्रमण के इस अटैक से सभी डरे हैं लेकिन इनका डर तब और गहराने लगता है जब संक्रमित होने का रिपोर्ट आने के बाद भी संक्रमित मरीज को अस्पताल ले जाने की जगह घर में ही उसी के हाल पर छोड़ दिया जाय ,यही नहीं ऐसा तब जब स्वास्थ्य विभाग की राह जोहते जोहते उस परिवार के मुखिया की मृत्यु संक्रमण से हो चुकी हो । ये मामला चौकाघाट के ढेलवरियां की हैं जहां पति और पत्नी के जांच के बाद कोरोना पॉजिटिव करार किया गया और अंततः 22 जुलाई को शख्स की मृत्यु हो जाती है ।पति-पत्नी दोनों का एक साथ करोना टेस्ट होने और पॉजिटिव घोषित होने के बावजूद इसके परिवार के बाकी सदस्यों का टेस्ट अभी तक कराने की जरूरत नही समझी गयी और न ही मृतक के पत्नी को कोविड अस्पताल में भर्ती कराने की । मजबूर परिजन ने मृतक के पत्नी को एक रूम में क्वॉरेंटाइन कर रखा है । आलम यह है कि डर में रहने के लिए मजबूर परिजन और मुहल्ला पिछले 5 दिनों से सीएमओ की तरफ से आश्वासन का कडवा स्वाद चख कर समय काटने को मजबूर है । अपने कर्तव्य को भुला चुके स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी अपने कागजी आंकड़ों को दुरुस्त करने और जेब को मजबूत करने में दिन रात लगे है । होना तो यह भी चाहिए था कि मृत्यु के वक्त आसपास के जो लोग दाह संस्कार में शामिल हुए। उन सभी का भी जांच कराया जाना चाहिए लेकिन कोई भी मेडिकल टीम अभी तक किसी का भी जांच नहीं किया स्वाभविक है लोगों में दहशत का माहौल है।
अभी तक सील नहीं हुआ क्षेत्र
आलम यह है कि संक्रमित मरीज के जानकारी के बाद भी क्षेत्र को सील करते हुए बांस बल्ली लगाने की भी जरूरत नही समझी गयी है । दहशत में जीने को मजबूर मुहल्लावासी के परेशानी का आलम यह है कि पड़ोस में संक्रमित मरीज और क्षेत्र में फैले गंदगी के साथ मानसिक बेदना और इन सब के साथ नगर निगम और स्वास्थ्य विभाग की गैर जिम्मेदारना व्यवहार टीस का कारक बना हैं ।
परिजन भुखमरी की ओर
मजदूरी कर परिवार चलाने वाले के स्वर्ग सिधारने के बाद उसकी पत्नी एक कमरे में बंद है न संकट पेट के आग को रोकने का भी है । घर राशन न होने से परिजन भुखमरी के शिकार के साये में है ।