
बाढ़ कंट्रोल रूम के नम्बर जारी , प्रशासन ने कसा कमर
वाराणसी में चेतावनी बिंदु पार कर गंगा खतरे के निशान की ओर , अलर्ट पर प्रशासन संग एनडीआरएफ
जानिए ,बाढ़ की स्थिति में क्या करें, क्या न करें और बाढ़ के बाद क्या करें…
यूपी सरकार ने झांसी रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर “वीरांगना लक्ष्मीबाई रेलवे स्टेशन” करने का प्रस्ताव भेजा है । ये प्रस्ताव केंद्रीय गृह मंत्रालय को भेजा गया है। भारत भूमि को वीरांगनायें हमेशा से गौरणविन्त किया है इसी को ध्यान में रख उत्तर प्रदेश सरकार ने झाँसी स्टेशन का नाम बदलने की तैयारी की है । योगी सरकार ने इससे पहले मुगलसराय रेलवे स्टेशन का नाम बदलकर पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्टेशन इलाहाबाद शहर का नाम प्रयागराज , फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या और मडुवाडीह को काशी स्टेशन किया है और अब इसी क्रम में झाँसी का नाम बदलने वाला है ।
मनु से लक्ष्मीबाई या काशी से झांसी
रानी लक्ष्मीबाई ने विश्व में भारत का नाम ऊंचा किया है जब भी झाँसी का नाम आता है जहन में एक ही नाम आता है और वो है रानी लक्ष्मीबाई का । जिन्होंने अपने शौर्य का लोहा पूरे विश्व मे मनवाया ,इसी वीरांगना की नगरी के रेलवे स्टेशन का नाम होना उनके नाम पर होना निश्चित ही गौरव की बात है । झांसी रेलवे स्टेशन का नाम 1857 की क्रांति का चेहरा रहीं रानी लक्ष्मीबाई के नाम के नाम पर करने की तैयारी है. रानी लक्ष्मीबाई को झांसी की रानी भी कहा जाता है, ऐसे में उनके नाम से रेलवे स्टेशन का नाम होना, एक बड़े प्रतीक के तौर पर देखा जा सकता है प्रदेश सरकार के इस ऐतिहासिक निर्णय की हर कोई तारीफ और स्वागत कर रहा है , रानी की कर्म नगरी झाँसी के लोगो मे इस निर्णय से काफी खुश नजर आ रहे है।
विश्व में मर्दानी कही जाने वाली रानी लक्ष्मीबाई
रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झाँसी राज्य की रानी थी । रानी लक्ष्मीबाई का जन्म 19 नवंबर, 1835 को काशी के असी में हुआ था। इनके पिता का नाम मोरोपंत तांबे और माता का नाम ‘भागीरथी बाई’ था । इनका बचपन का नाम ‘मणिकर्णिका’ रखा गया परन्तु प्यार से मणिकर्णिका को ‘मनु’ पुकारा जाता था।
मनु का बचपन और विवाह
पिता मोरोपंत तांबे एक साधारण ब्राह्मण और अंतिम पेशवा बाजीराव द्वितीय के सेवक थे। माता भागीरथी बाई सुशील, चतुर और रूपवती महिला थीं। मनु की देखभाल के लिए कोई नहीं था इसलिए उनके पिता मोरोपंत मनु को अपने साथ बाजीराव के दरबार में ले जाते थे जहाँ चंचल एवं सुन्दर मनु ने सबका मन मोह लिया था। बाजीराव मनु को प्यार से ‘छबीली’ बुलाने थे। मनु का विवाह सन् 1842 में झाँसी के राजा गंगाधर राव निवालकर के साथ बड़े ही धूम-धाम से सम्पन्न हुआ। विवाह के बाद इनका नाम लक्ष्मीबाई रखा गया। राजा की मृत्यु के बाद अंग्रेजो ने रानी के दत्तक-पुत्र को राज्य का उत्तराधिकारी मानने से इंकार कर दिया और रानी को पत्र लिख भेजा कि चूँकि राजा का कोई पुत्र नहीं है, इसीलिए झाँसी पर अब अंग्रेज़ों का अधिकार होगा। रानी यह सुनकर क्रोध से भर उठीं एवं घोषणा की कि मैं अपनी झाँसी नहीं दूँगी। अंग्रेज़ तिलमिला उठे। परिणाम स्वरूप अंग्रेज़ों ने झाँसी पर आक्रमण कर दिया। रानी ने भी युद्ध की पूरी तैयारी की। क़िले की प्राचीर पर तोपें रखवायीं। रानी ने अपने महल के सोने एवं चाँदी के सामान तोप के गोले बनाने के लिए दे दिया।
झलकारी बाई
झाँसी की रानी को महिलाओं का सबसे बड़ा प्रेरणा स्रोत भी कहा जाता है पूरे विश्व में इतिहास में रानी जैसी किसी महिला ने इतना साहस नही दिखया ,रानी ने महिलायों को मजबूत बनाने के अनेकों काम किये थे यही कारण था कि जब झाँसी 1857 के संग्राम का एक प्रमुख केन्द्र बन गया जहाँ हिंसा भड़क उठी। रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी की सुरक्षा को सुदृढ़ करना शुरू कर दिया और एक स्वयंसेवक सेना का गठन प्रारम्भ किया। इस सेना में महिलाओं की भर्ती की गयी और उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण दिया गया। । झलकारी बाई जो लक्ष्मीबाई की हमशक्ल थी को उसने अपनी सेना में प्रमुख स्थान दिया।
युद्ध कौशल
1857 के सितम्बर तथा अक्टूबर के महीनों में पड़ोसी राज्य ओरछा तथा दतिया के राजाओं ने झाँसी पर आक्रमण कर दिया। रानी ने सफलतापूर्वक इसे विफल कर दिया। 14 मार्च, 1858 से आठ दिन तक तोपें किले से आग उगलती रहीं। रानी ने क़िले की मज़बूत क़िलाबन्दी की। रानी के कौशल को देखकर अंग्रेज़ सेनापति सर ह्यूरोज भी चकित रह गया। अंग्रेज़ों ने क़िले को घेर कर चारों ओर से आक्रमण किया। रानी ने तोपों से युद्ध करने की रणनीति बनाते हुए कड़कबिजली, घनगर्जन, भवानीशंकर आदि तोपों को किले पर अपने विश्वासपात्र तोपची के नेतृत्व में लगा दिया। रानी रणचंडी का साक्षात रूप रखे पीठ पर दत्तक पुत्र दामोदर राव को बांधे भयंकर युद्ध करती रहीं। अंग्रेज़ आठ दिनों तक क़िले पर गोले बरसाते रहे परन्तु क़िला न जीत सके। रानी एवं उनकी प्रजा ने प्रतिज्ञा कर ली थी कि अन्तिम सांस तक क़िले की रक्षा करेंगे।
14 मार्च, 1858
1858 के जनवरी माह में ब्रितानी सेना ने झाँसी की ओर बढ़ना शुरू कर दिया और मार्च के महीने में शहर को घेर लिया। दो हफ़्तों की लड़ाई के बाद ब्रितानी सेना ने शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया। परन्तु रानी दामोदर राव के साथ अंग्रेज़ों से बच कर भाग निकलने में सफल हो गयी। रानी झाँसी से भाग कर कालपी पहुँची और तात्या टोपे से मिली। तात्या टोपे और रानी की संयुक्त सेनाओं ने ग्वालियर के विद्रोही सैनिकों की मदद से ग्वालियर के एक क़िले पर क़ब्ज़ा कर लिया। 18 जून 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में ब्रितानी सेना से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई।
देखिये टॉप वीडिओ …
बाबा विश्वनाथ की मंगला आरती
दर्शन करिये श्री गौरी केदारेश्वर महादेव का
सुर्ख़ियों में ख़बरें..
@ 10 pm जानिये दिनभर की खबरों संग शनिवार का पंचांग और पर्व
बाबा दरबार में भी मॅहगाई के जद में , आरती और विशेष अनुष्ठानों पर मंहगाई डायन की नजर
आफ्टर नून न्यूज़ –
– BSP का डोरा – अयोध्या के ब्राह्मण सम्मेलन के रास्ते फिर ब्राम्हण कार्ड
– सर्वे – यूपी चुनाव में त्रिशंकु सरकार , किस पार्टी के साथ कितने लोग
– जानिये ,विश्व के उन नेताओं का नाम जो #media-freedom पर रखते है लगाम
– जब सात पैसे के पेट्रोल मूल्य वृद्धि पर बैलगाड़ी से संसद पहुंचे थे अटल बिहारी वाजपेयी
– किसने किया दावा, छह से आठ हफ्ते में आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर
– आखिर क्यों नरेंद्र मोदी को बर्खास्त करना चाहते थे अटल बिहारी वाजपेयी
इन्हें भी जानिए – रहस्य और रोमांच –
– दो आम की कीमत 2.70 लाख रुपए , आखिर इसे खाते क्यों नहीं …..
– ” इन्हें भी जानिये ” – किसके दूध का दही नहीं जमता और शरीर का कौन सा अंग नहीं बढ़ता
– जानिये सबसे ज्यादा ऑक्सीजन जनरेट करने वाले पेड़
– जनेऊ – वास्तव में जनेऊ स्वास्थ्य के लिए उत्तम है
धर्म और आध्यात्म खबरें , मंगल और शनिवार को
– 20 जुलाई से 15 नवम्बर तक मांगलिक कार्य बंद , जानिये क्या वजह ..
– सूर्य ग्रह का कर्क राशि में प्रवेश, पढ़िए क्या होगा आप पर इसका असर
– Gupt Navratri 2021 – जानिये क्या है गुप्त नवरात्रि, किस देवी की की जाती है आराधना
– धर्म नगरी – धनलक्ष्मी कौन हैं, जानिए धन प्राप्ति के उपाय
– पहली कड़ी हिरण्यकश्यप – देवी देवताओं द्वारा दिए गए भक्तों को दस प्रमुख वरदान
– जानिए , काशी में योगिनियों की मन्दिर , कब और क्यों आयी काशी
– धर्मनगरी – आपके पुत्र और परिजन पूर्वजन्म में थे कौन ?
– अपनी बुरी आदतें बदल कर बनें धनवान