
इनोवेस्ट पित्र पक्ष विशेष ( 21 – 6 oct )
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पायरिया एक सामान्य रोग – घातक परिणाम
पायरिया मनुष्य के मसूड़े की वो बीमारी है जो आमतौर पर दॉंतों की उचित साफ सफाई न करने के कारण होती है । जब व्यक्ति अपने दॉंतों की उचित तरीके से सफाई नहीं करता है तो उसके दॉंतो में भोजन के कण चिपके हुए रह जाते है। हमारे मुहँ में मौजूद बैक्टीरिया उन खाद्य कणों को किण्वित करते हैं जिससे मसूड़ों में सूजन आ जाती है। प्रारम्भ में सूजन सिर्फ मसूड़ों तक सीमित रहती है। जिससे उनके आकार में वृद्धि होती है और साथ ही मुॅंह ये दुर्गंध भी आती है । इस अवस्था को जिंजीवाईटिस कहते हैें। यदि इस समय भी मुॅंह की साफ सफाई का ख्याल नहीं रखा गया तो मसूड़ों की सूजन, दॉंतों के आस पास की हड्डी में भी फैल सकती है, जिसे हम पायरिया कहते हैं।
कारण एवं जोखिमः
पायरिया के लिए धूम्रपान और मधुमेह कुछ प्रमुख जोखिम के कारण हैं, क्योंकि ये संक्रमण से लड़ने की षारीरिक क्षमता को कम कर देता है। यह स्व-प्रतिरक्षित रोग, कुछ दवाओं के उपयोग, हार्मोनल परिवर्तन आदि के कारण भी हो सकता है। पायरिया बैक्टीरियल एंडोकार्डाइटीस और अन्य हृदय रोगों के जोखिम को भी बढ़ाता है।
इसके अतिरिक्त हमारे मुॅंह में विभिन्न प्रकार के जीवाणु मौजूद है, उनमें से कुछ हमारे मौखिक स्वास्थ्य को बनाएं रखने के लिए उपयोगी होते हैं जबकि अन्य हमारे मौखिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालते हैं। मौखिक स्वास्थ्य की स्थिति बनाएं रखने के लिए उपयोगी और हानिकारक जीवाणु के बीच संतुलन आवष्यक है। पायरिया में हानिकारक जीवाणुओं में वृद्धि होती हैं और उपयोगी जीवाणु में कमी आती है, जिससे दॉंतों के आस पास के मॉंस और हड्डी नष्ट हो जाती है।
संकेत और लक्षणः
पायरिया में मसूड़े के रंग में परिवर्तन आता है और साथ-साथ मसूड़े से रक्तस्राव भी हो सकता है। जैेसे जैसे सूजन बढ़ती है, मसूड़े और उसके आस-पास की हड्डी का गलना शुरू हो जाता है। मसूड़े दॉंत छोड़ने लगते है।, जिस कारण, कुछ भी खाने पीने में या हवा के झोंके के कारण भी दॉंतों में सनसनाहट आरम्भ हो जाती है। इससे रोगी के लिए कुछ भी खाना-पीना मुश्किल हो जाता है। जैसे-जैसे सूजन बढ़ती है, यह दॉंत के आस-पास की हड्डी को नश्ट कर देती है, जिसके परिणामस्वरूप दॉंत हिलने लग जाते है और रोगी के लिए कुछ भी खाना कठिन हो जाता है। मसूड़ों में सूजन के कारण दॉंतों के आस-पास मवाद जमा हो सकता है, जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ जाता है।, विषेश रूप से उन रोगियों में जिनमें रोग प्रतिकारक क्षमता कम होती है। पायरीया के कारण, भोजन चबाने में कठिनाई के कारण रोगी भोजन को ठीक से चबाए बिना निगल जाते है, जिससे पेट संबंधी समस्याएं उत्पन्न हो जाती है।
सावधानी एवं बचावः
पायरिया से स्वयं को बचाने के लिए, अपने दॉंतों को दिन में दो बार ठीक प्रकार से ब्रष से साफ करना चाहिए। मीठा और चिपचिपा पदार्थ बार बार नहीं खाना चाहिए क्योंकि ऐसा खाद्य पदार्थ दॉंतों से चिपक जाता है और ब्रष करते समय आसानी से नहीं निकलता है। व्यक्ति को उम्र के अनुसार ब्रष करने की उचित तकनीक का पालन करना चाहिए। दॉंतों के साथ-साथ मसूड़ों और जीभ की भी सफाई करनी चाहिए। व्यक्ति के आयु के अनुसार विभिन्न प्रकार के ब्रष उपलब्ध है।
नरम ब्रिसल वाले ब्रष का उपयोग करना चाहिए क्योंकि वे दॉंत तथा मसूड़ों पे कोमल होते है। कभी भी कठोर ब्रिसल वाले ब्रष का उपयोग नहीं करना चाहिए क्योंकि वे मसूड़ों को चोट पहुॅचा सकते है। ब्रष करने के लिए टूथ पेस्ट का उपयोग करना चाहिए न कि टूथ पाउडर का । क्योंकि टूथ पाउडर में उच्च अपघर्शक सामग्री होती है जो दॉंतों की सतह को खराब कर सकती है जिससे दॉंतों के संवेदनषीलता की समस्या हो सकती है। दॉंतों के बीच की जगह को साफ करने के लिए डेंटल फ्लॉस या इंटरडेंटल ब्रष का उपयोग करना चाहिए।
इलाजः
पायरिया से संबंधित लक्षण दिखने पर तुरंत दंत चिकित्सक के पास जाना चाहिए और अपना पूर्ण उपचार करवाना चाहिए। यदि दंत चिकित्सक द्वारा सलाह दी जाती है तो दॉंतों की मषीन से सफाई (स्केलिंग) करवानी चाहिए। स्केलिंग दॉंत से चिपकी गंदगी को हटा देता है। रूट प्लेनिंग तकनीक दॉंतों की जड़ की सतह पर खुरदुरे धब्बे और जमे हुए बैक्टीरिया को हटाने में मदद करती है। यह हमारे मुॅंह से हानिकारक जीवाणु के भार को कम करने में भी मदद करती है। हड्डी नश्ट हो जाने के मामले में बोन ग्राफ्टिंग भी आवष्यकता अनुसार किया जाता है। स्केलिंग के पश्चात चिकित्सक द्वारा सलाह दिए जाने पर माउथवॉष का उपयोग करना भी आवश्यक होता है। माउथवॉश के लंबे समय तक इस्तेमाल से दॉंतों का रंग खराब हो सकता है । इसलिए चिकित्सक द्वारा बताई गई अवधि तक ही इसका प्रयोग करना चाहिए। उपचार के पष्चात् नियमित रूप से दिन में दो बार ब्रष करना चाहिए और वर्ष में दो बार अपने दंत चिकित्सक के पास जाना चाहिए।
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