“इन न्यूज़” की पहल : आप भी किसी विभाग के भष्टाचार के शिकार बन रहे हो या फिर आपको विभाग में चल रहे घालमेल की भनक हो तो सूचित करें …ताकि उजागर हो सके सच
बिजली विभाग अपने कारस्तानी के लिए हमेशा मशहूर रहा है। बिजली बिल का गलत आना या फिर उस बिल को सुधारवाने में उपभोगताओं का रोज-रोज बाबू और अधिकारियों के टेबल से मुलाकात करना एक फैशन सा बन गया है । लेकिन यह नौबत तब आती है जब आप बिजली विभाग के उपभोक्ता हो … सरकार लगातार इस बात की कवायद कर रही है कि जनता को बिजली विभाग के बाबूगिरी के जाल से दूर रखते हुए कार्यों का निस्तारण जल्दी से जल्दी कराया जाय ताकि सरकार और विभाग की छवि आम जनमानस में साफ और सुंदर बनाई जाय लेकिन तमाम सरकारी योजनाओं की हवा निकालते हुए अधिकारी और कर्मचारी अपने फायदे के लिए न केवल नियमों के साथ खेलते हैं बल्कि सरकार के फरमान का फालूदा बनाने में तनिक भी विचार नहीं करते।
हजारों में एक मामला यह भी
बिजली विभाग में एक दो नहीं कई खमियाँ है , एक छोटा खेल नगरीय विद्युत वितरण खंड, प्रथम से सामने आया है। भेलूपुर स्थित इस कार्यालय में लक्सा के एक उपभोक्ता द्वारा अपने व्यापारिक प्रतिष्ठान में बिजली संयोजन के लिए सरकारी वेबसाइट निवेश मित्र पर भूलवश 60 किलो वाट कनेक्शन का आवेदन किया जाता है। लेकिन उपभोक्ता द्वारा पुनः अपनी भूल सुधारते हुए 30 किलो वाट का आवेदन ऑफलाइन कार्यालय में जमा करता है। विभाग के साफ और सुंदर छवि का नमूना तब सामने आता है , जब संबंधित अधिकारी पूरे मामले में अपनी व्यक्तिगत फायदे के लिए बाबू गिरी शुरू कर देते हैं। परेशान और हैरान उपभोक्ता को जब कोई विकल्प मिलता न दिखा तो आखिरकार बिजली विभाग के आला अधिकारी प्रबंध निदेशक को पूरे मामले के जिम्मेदार मनोज कुमार के व्यवहार और उत्पीड़न का कच्चा चिठ्ठा इस अनुरोध के साथ लिखता है कि मामले को संज्ञान में लेते हुए कनेक्शन दिलाने में मदद करे । परन्तु एक बार फिर बाबूगिरी ने अपना रुख दिखाया और 20 नवम्बर को प्रेषित पत्र अभी तक कोई कार्यवाई की जगह विभागीय डाक की शोभा बढ़ा रहा है ।
अधिशासी अभियंता का कथन
नगरी विद्युत वितरण खंड, प्रथम के अधिशासी अभियंता मनोज कुमार मानते हैं कि ” उपभोक्ता द्वारा आवेदन किए जाने के बाद विभाग द्वारा इस्टीमेट भेजा गया था लेकिन नियत समय के अंदर धनराशि जमा न करने से आवेदन को निरस्त कर दिया गया है ।” दूसरी तरफ पीड़ित के आरोप और लिखित शिकायत के प्रश्न पर कोई माकूल जबाब नहीं दे सके । साथ ही अधिशासी अभियंता में 60 और 30 किलोवाट के लोड को 64 और 34 किलोवाट बताते रहे ।
प्रश्न जो अनुत्तरित है ….
– 60 किलो वाट और 30 किलो वाट के इस्टीमेट डिफरेंस को कम क्यों नहीं किया गया ?
– आखिर किन वजह से आसपास के होटल को बिना ट्रांसफार्मर कनेक्शन दिया गया है ?
– उपभोक्ता द्वारा अधिशासी अभियंता पर अमर्यादित व्यवहार और उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लिखित रूप प्रबंध निदेशक को क्यों दिया गया ?
– क्या व्यापारियों की सुविधा के लिए सरकार द्वारा बनाए गए निवेश मित्र पोर्टल का कोई मायने है ?
– क्या विभागीय अधिकारी अपने सीनियर्स और शासन प्रशासन से अलग सोच रखता है और यदि हाँ तो फिर इन अधिकारियों पर अब कार्रवाई क्यों नहीं ?
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