– 16 अगस्त, रविवार से 15 सितम्बर, बुधवार
– सूर्यग्रह आए कर्क से सिंह राशि में
– मिथुन, तुला, वृश्चक एवं मीन राशि वालों की मिलेगी विशेष सफलता
सूर्यग्रह के राशि परिवर्तन से जनमानस को व्यापक प्रभाव देखने को मिलता है। ज्योतिष की गणना के अनुसार मेष से मीन राशि तक सूर्यग्रह प्रत्येक मास अपनी राशि बदलते हैं। जिसका व्यापक असर पूरे विश्वक्षितिज पर देखने को मिलता है। ज्योतिॢवद् विमल जैन के अनुसार सूर्यग्रह सिंह राशि में 16 अगस्त, रविवार की रात्रि में 7 बजकर 12 मिनट से 16 सितम्बर बुधवार की रात्रि 7 बजकर 08 मिनट तक रहेंगे। इस माह की यह अवधि सिंह संक्रान्ति के नाम से जानी है। संक्रान्ति का स्नान-दान-पुण्यकृत्य 16 अगस्त, रविवार को सम्पन्न होगा।
सिंह संक्रान्ति वाले दिन सूर्य सिंह राशि में, चन्द्रमा-शुक्र-राहु मिथुन राशि में, बुध कर्क राशि में, गुरु-केतु धनु राशि में, शनि मकर राशि में तथा मंगल मेष राशि में उपस्थित रहेंगे। सूर्य-शनि ग्रह का षडाष्टïक योग बनेगा। इस योग का प्रभाव विपरीत रहता है। सूर्य-शनि पिता-पुत्र होते हुए भी आपस में मैत्रीभाव नहीं रहता। जिसके फलस्वरूप विश्वपटल पर अनेकानेक अकल्पित घटनाएँ देखने को मिलेंगी। प्राकृतिक दैविक आपदायें, हिंसाजनित घटनाएँ, रेल-वायुयान व जल-परिवहन तथा सड़क दुर्घटनाएँ, आँधी-तूफान-वर्षा, बाढ़, आगजनी से जन-धन की हानि की आशंका, नये-नये आॢथक व राजनैतिक घोटाले होंगे उजागर। सत्तापक्ष-विपक्ष में राजनैतिक दलों में आपसी खींचतान, आरोप-प्रत्यारोप, सीमावर्ती क्षेत्रों में आतंक की छिटपुट घटनाएं, जनता में किसी मुद्दे को लेकर जनाक्रोश, शेयर, वायदा व धातु बाजार में उतार-चढ़ाव, वित्तीय अर्थव्यवस्था में अनिश्चितता, अलगाववादी शक्तियों से कुछ परेशानी, देश-विदेश में शासक-प्रशासक में किसी मुद्दे को लेकर टकराव की स्थिति। सत्तापरिवर्तन एवं मंत्रिमण्डल में फेर-बदल की स्थिति। किसी विशिष्ट व्यक्ति या राजनेता या अन्य क्षेत्र के नामी-गिरामी हस्ती की सेवा से वंचित होने के संकेत तथा अन्य अप्रत्याशित घटनाओं को नकारा नहीं जा सकता। जिन्हें शनिग्रह की अढ़ैया या साढ़ेसाती हो, उन्हें विशेष सावधानी रखनी चाहिए। साथ ही सूर्य एवं शनि के निमित्त उपाय करना चाहिए।
सूर्य के राशि परिवर्तन से द्वादश राशियों पर पड़ेगा प्रभाव—
मेष—सन्तान पक्ष से चिन्ता। आर्थिक पक्ष में असफलता। एकाग्रता में कमी। राजकीय पक्ष से कष्ट। वाहन से चोट-चपेट।
वृषभ—ग्रहयोग निराशाजनक। पारिवारिक मतभेद। अशांति का वातावरण। मानसिक चिंता प्रभावी। आरोग्य सुख में बाधा।
मिथुन—कार्य क्षमता में वृद्धि। नवीन योजना दृष्टिïगत। चित्त प्रफुल्लित। आत्मीयजनों से मधुरता। निजी इच्छा की पूॢत। लाभ भी।
कर्क—अकेलेपन की अनुभूति। धन का अभाव। पारिवारिक उलझनें। आकस्मिक घटनाएँ। नेत्र पीड़ा। यात्रा निराशाजनक।
ङ्क्षसह—मानसिक उलझनें। विवाद की आशंका। क्रोध की अधिकता। अध्ययन में व्यतिक्रम। निष्प्रयोजन व्यय। वाहन से कष्टï।
कन्या—प्रतिष्ठा पर आघात। आत्मबल में कमी। व्यय की अधिकता। असमंजस की स्थिति। संकल्प सिद्धि में विलम्ब। निराशा की स्थिति।
तुला—परिस्थितियों में सुधार। व्यवसाय में सफलता। आरोग्य सुख की प्राप्ति। विवाद का निर्णय पक्ष में। यात्रा का सुपरिणाम।
वृश्चिक—आय के नवीन स्रोत। योजना का श्रीगणेश। उच्चाधिकारियों से लाभ। व्यक्तिगत समस्याएँ हल। बौद्धिक क्षमता का विकास।
धनु—विश्वासघात की आशंका। आरोप-प्रत्यारोप प्रभावी। ऋण भुगतान की चिन्ता। समय असंतोषजनक। शंका कुशंका प्रभावी।
मकर—आलस्य की अधिकता। धनागम का अभाव। झूठे आश्वासन से कष्ट। वाहन से कष्टï। अपमान। आरोग्य सुख में व्यवधान।
कुम्भ—कार्य व्यापार में निराशा। धन हानि संभव। वैचारिक अस्थिरता का अभाव। सुख में कमी। जीवन साथी के स्वास्थ्य की चिन्ता।
मीन—समस्याएँ सुलझने की ओर। आशायें फलीभूत। व्यवसाय हेतु प्रयास सार्थक। मौजमस्ती के निमित्त व्यय। यात्रा सफल।
विशेष — सूर्यग्रह की प्रसन्नता के लिए अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना के साथ सूर्यग्रह की भी आराधना नियमित करनी चाहिए। प्रात:काल स्नान, ध्यान के पश्चात् सूर्य भगवान को ताम्रपात्र में स्वच्छ जल में लाल फूल, रोली, गुड़ या चीनी मिलाकर पूर्व दिशा की ओर मुख करके अर्घ अर्पित करना चाहिए। साथ ही सूर्यमन्त्र का जप, श्रीआदित्यहृदय स्तोत्र, श्रीआदित्यकवच, श्रीसूर्यसहस्रनाम आदि का पाठ भी करना चाहिए। रविवार के दिन 12 बजे से 3 बजे के मध्य बिना नमक का फलाहार करना चाहिए। रविवार के दिन व्रत या उपवास रखकर मध्याह्न के समय सूर्यग्रह से सम्बन्धित लाल रंग की वस्तुएँ जैसे—लाल वस्त्र, गेहूँ, गुड़, ताँबा, लाल फूल, चन्दन आदि विविध वस्तुएँ नगद दक्षिणा सहित चरित्रवान ब्राम्हण को संकल्प के साथ देना चाहिए।