
वाराणसी। जीवन और मौत ईश्वर के हाथ में होता है, लेकिन जब लोग खुद ही अपनी लीला समाप्त करते हैं तो समाज में एक गलत संदेश या यूं कहें चर्चा का विषय बना रहता है और परिजनो को समाज मुंह पर नहीं बल्कि पीठ पीछे विभिन्न शब्दों से नवाजता रहता है। इस दौर में संघर्ष की जगह युवा पीढ़ी जीवन लीला समाप्त करने जैसी घिनौनी हरकत से अपने परिवार की छवि धूमिल कर रहा है। इस तरह की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही है। घटना से पहले कभी भी युवा पीढ़ी अपने उन माता-पिता के बारे में नहीं सोचता जो कितनी कड़ी मशक्कत से उनको पालन पोषण कर इस समाज में खड़ा किया है। युवा पीढ़ी अधिकतर चंद दिनों के रिश्तें को अपने मातापिता से भी ऊपर समझने लगता है। ऐसी घटनाएं लोगों को जीवन से लड़ने में कमजोर करती आ रही है। यही वजह है कि लोग संघर्ष कम और लीला समाप्त करते आ रहे हैं। समाज में आज भी कुछ लोग है। जो गरीब,असहाय सहित लोगों की लगातार मदद कर उनकी समस्याओं का समाधान करते आ रहे है। युवा पीढ़ी को शायद जागरूक होना चाहिए ताकि दिमाग में लीला समाप्त करने की बात ही न आए। मातापिता का सहारा बनकर बच्चों को महत्वपूर्ण जीवन का कर्तव्य पालन करना चाहिए। लेकिन ये बच्चे अपने मातापिता को जीवनभर का कष्ट देकर हमेशा के लिए चले जाते है।
” इन न्यूज़ ” संग हर दिन Live Updates: # कोरोना / Omicron ओमिक्रॉन वैरिएंट
जानिए क्या है नया होम आइसोलेशन की गाइड लाइन, कोरोना के लक्षण
लेटेस्ट खबरें, इन्हें भी पढ़िए –
भामाशाह भारतीय जन पार्टी, भागीदारी संकल्प मोर्चा गठबंधन में शामिल
आश्वासन है या समाधान, विश्वविद्यालय के डीएसडब्ल्यू से मिले छात्र
विश्वविद्यालय के निर्णय से आई छात्रों के लिए खुशी की लहर, जानिए क्या है पूरी खबर
छात्रों ने किया वित्तमंत्री का विरोध, पुलिस ने लिया हिरासत में
strong>लेटेस्ट वीडियो –
@kashi ghat : आखिर काशी के घाटों पर क्यों पसरा है सन्नाटा, सुबह के नव बजे ऐसा दिखा …
देखिये, दशाश्वमेध घाट पर 14 जनवरी को गंगा स्नार्थियों का भीड़
कोरोना बड़ी चुनौती नही बल्कि आर्थिक व्यवस्था को पटरी पर लाना होगा- अखिलेश यादव
हुआ एलान, चुनाव में BJP के सहयोगी होंगे अपना दल और निषाद पार्टी
काशी के घाटों पर कोल्ड कर्फ्यू, पुरोहित नाविक और दुकानदार परेशान