काशी का वह पवित्र स्थान जहां भीम ने किया था तपस्या

काशी का वह पवित्र स्थान जहां भीम ने किया था तपस्या


काशी जहां भगवान शंकर ने धुनी रमायी। जहां की माटी जप-तप से सदैव ऊर्जान्वित रहती है। वही भूमि गंगापुत्र भीष्म की तपस्या का भी साक्षी रहा है। भीष्म ने काशी नरेश की तीन पुत्रियों को अपने साथ ले जाने से पूर्व यहां तप किया था। छावनी परिक्षेत्र में स्थापित अति प्राचीन देवी मंदिर में ही भीष्म ने तपस्या की थी। इसलिए इस मंदिर को भीष्मचंडी मंदिर के नाम से जाना जाता है। मंदिर में देवी चंडी, अचक्का यानि चटपटी और मां महाकाली का विग्रह स्थापित है। यह प्रांगण शक्ति स्वरूपा की आराधना स्थली उस काल में भी रही। गंगा पुत्र भीष्म महाभारत काल में आनंदवन यानि काशी आए थे। उनके आने का उद्देश्य काशी नरेश की तीन पुत्रियों- अम्बा, अम्बिका और अम्बालिका को अपने साथ ले जाना था। इस कार्य में कोई बाधा-विघ्न न हो इसके लिए भीष्म ने यहां कुछ दिन तक तपस्या की थी। साथ ही यह भी संकल्प लिया था कि राजकुमारियों को ले जाने में यदि कोई बाधा नहीं हुई तो शिवलिंग स्थापित करवाएंगे। इसके निमित्त भीष्म ने चार स्थानों पर शिवलिंग की स्थापना करवाई। इसमें विश्वनाथ गली स्थित शनिदेव मंदिर में स्थापित भीष्मेश्वर महादेव के अलावा कबूतर टोला (काशीपुरा), हनुमान घाट और चंडी देवी मंदिर के सामने स्थापित है


लेटेस्ट खबरें, इन्हें भी पढ़िए –

वीडियो : किसने कहा योगी से ” हमने बोला हमसे मत उलझो .. वरना

चुनाव ड्यूटी में तैनात 15 हजार कर्मचारियों ने आज से शुरू किया मतदान

लड़कियों की शादी के उम्र के मसले पर RSS, BJP से अलग

13 प्रत्याशी को होगा नोटिस जारी 48 घंटे में देना होगा जवाब …

तीन दिन काशी में रहकर राहुल और प्रियंका वोटरों को लुभाएंगे

मुख्तार अंसारी की 2 करोड़ 15 लाख की बेनामी संपत्ति कुर्क

फिजा बदले 27 फरवरी को 20 घंटे के लिए बनारस आ रहे है प्रधानमंत्री


प्रत्येक मंगल और शनिवार को पढ़िए “धर्म नगरी” में आध्यात्म की बातें

मरने के 9 साल बाद पुनर्जन्म लेने वाले की सच्ची घटना

धर्म नगरी : जानिए, मृत्यु के पूर्व और पश्चात की सात अवस्था

धर्म नगरी : शनि दुश्मन नहीं मित्र हो सकते है, बशर्ते आपके द्वारा किये गए कर्म अच्छी सोच की हो …

धर्म नगरी : क्या है सत्यनारायण व्रत कथा महत्व, विधि और फल प्राप्ति

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!