
गर्भ में मारी गई बेटियों का हुआ श्राद्ध
पित्रपक्ष के इस पखवारे में एक तरफ जहां लोग अपने पूर्वजों का पिंडदान कर उनके आत्मा शांति की कामना करते है वहीं मोक्ष की नगरी काशी में एक ऐसा भी शख्स है जो उन मृतात्माओं के लिए पिछले कई वर्षो से पिंडदान कर रहा है जिससे उसका दूर दूर तक कोई रिश्ता नाता नहीं है।बल्कि उन मृतात्माओं को धरती पर आने का अधिकार भी उनसे छीन लिया गया है।जी हां हम बात कर रहे है बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ नारे को हकीकत के धरातल पर उतारकर बेटियों के लिए काम करने वाली व गर्भ में मारी गई अजन्मी बेटियों का श्राद्ध करने वाली सामाजिक संस्था आगमन की जिसके संस्थापक संतोष ओझा द्वारा निरंतर पिछले कई वर्षो से मां के कोख में मार दी गई अजन्मी बेटियों के आत्मशांति के लिए पितृपक्ष माह के दौरान उनके पिंडदान कार्यक्रम का आयोजन किया जाता रहा है।इस क्रम में आज जनपद के दशाश्वमेध घाट पर आगमन सामाजिक संस्था द्वारा 5 हजार अजन्मी बेटियों के मोक्ष की कामना करते हुए वैदिक रीति रिवाज के साथ उनका श्राद्ध किया गया। आचार्य पण्डित दिनेश शंकर दुबे के आचार्यत्व में पांच ब्राह्मणों द्वारा ये अनुष्ठान कराया गया । संस्था द्वारा अब तक कुल 31 हजार 5 सौ बेटियों के लिए मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करने की कोशिश की गई है। आपको बताते चले कि ये वो अभागी और अजन्मी बेटियां है जिन्हे उन्ही के माता पिता ने जन्म से पहले ही कोख में मार दिया। इन्ही अभागी बेटियों को संस्था के इस अनूठे आयोजन ‘आखरी प्रणाम’ के जरिये मोक्ष का अधिकार मिला। संस्था के सदस्यों के साथ ही घाट पर उपस्थित लोगों ने भी इन बेटियों को पुष्पांजलि अर्पित की। संस्था के संस्थापक सचिव डॉ संतोष ओझा ने बताया कि आगमन लगातार छः वर्षो से उन अजन्मी बेटियों की आत्मा की शांति के लिए श्राध्द का आयोजन करते आ रहे हैं। संस्था का साफ मानना है कि गर्भपात महज एक ऑपरेशन नही बल्कि हत्या है। ऐसे में कोख में मारी गई उन बेटियों को भी मोक्ष मिले और समाज से ये कुरीति दूर हो इसके लिए हम लोग ये आयोजन करते हैं।
कार्यक्रम के दौरान मुख्य रूप से जादूगर जितेंद्र,किरण,राहुल गुप्ता,हरिकृष्ण प्रेमी,दीपिका,साधना कुमार,टिंकू ,मनीष शंकर दुबे,राजीव रत्न मिश्र,सूरज,मौर्या,धमेंद्र प्रजापति मौजूद रहे ।