
पहले बेटी का तिरस्कार फिर मिला नफ़रत से मोक्ष
city crime / innovest / 23 sep
यूँ तो श्मशान घाट पर चीख पुकार रुदन और मानसिक अस्थिरता कोई नयी बात नहीं है लेकिन उस रात के अंतिम प्रहार में बच्चे का रुदन बरबस ही सबका ध्यान आकर्षित किया था , चिताओं पर काम करने वाले वहां के कारिंदे के परिवार और दिन भर के थकान को दूर कर अगले दिन के दिनचर्या की शुरुआत करने की जुगत में थे , वो शनिवार की रात थी घड़ी कोई 3:00 बजे का संकेत दे रहा था जगह काशी में मोक्ष द्वार कहे जाने वाला मणिकर्णिका घाट। बच्चे के रोने की आवाज से लोगों का ध्यान जब वहां पहुंचा तो पता चला कि किसी अनजान ने किसी तात्कालिक कारण से नवजात बच्ची को छोड़ कर भगा है। घाट पर मौजूद एक नाविक मामले को समझने के लिए आगे बढ़ा ही था कि महिला तेज कदमों के साथ भाग निकली थी। बात आग की तरह फैली स्थानीय निवासी अंकित द्विवेदी और शात्विक शुक्ला (जानू) को भी घाट पर लावारिस जीवित बच्ची मिलने की सूचना मिली तो वे आनन फानन में घाट पर पहुँचे और अपने साथी गौरव द्विवेदी और मयंक कुमार को भी बुला बच्ची को अपनी सुरक्षा में लेते हुए घटना की सूचना थाने पर दी। बच्ची को कबीरचौरा स्थित श्री शिवप्रसाद गुप्त अस्पताल में दाखिल करवाया गया । स्वस्थ बिटिया का अपराध शायद ये था वो बेटी थी या फिर कोई अन्य कारण , जो भी हो लेकिन एक बार फिर ममता कलुषित हुई।
राहत की बात
माँ के छाती का दूध की छटपाहट अब बढ़ने लगा था , दूसरी तरफ उत्साही युवाओं का जोश और सामाजिक संस्था ” आगमन “ ने माँ की खोज शुरू किया कुछ अजब गजब अड़चनों के बाद आखिर तलाश पूरा हुआ परिवार पर दबाव और प्यार के कड़वी डोज ने भी असर दिखाया। अब माँ और परिजन अपने कलेजे के टुकड़े से मिलने को बेकल थे। आखिरकार माँ को अस्पताल ले जाकर बेटी से मिलाया गया और इस तरह एक भूल के प्रायश्चित्य का अंत हुआ और एक बेटी को वापस अपने माँ की ममता का छाँव मिला।
कानून भी बेअसर
देश उच्चतम संविधान पीठ संग भारत सरकार लगायत प्रदेश सरकार की भी मंशा बेटियों की घटती संख्या पर रोक लगाने की है जिन पर लगातार निर्देश और योजनाएं जारी किये जा रहे है बावजूद इसके बेटियों को पेट में मारने का क्रम भी बदस्तूर जारी है ऐसा इसलिए क्योंकि निर्देश और योजनाओं का सही क्रियान्यवन नहीं हो रहा है। जिला में संचालित PCPNDT कमेटी आज सफ़ेद हाथी साबित हो चुकी है। इसका काम सिर्फ और सिर्फ सेंटरों को प्रमाण पत्र देना ही रह गया है। दूसरी तरफ I V F सेंटर भी ज्यादातर बेटा पैदा करा रही है।शहर के एक चौराहा स्थित एक सेंटर तो खुलेआम 250 रुपये में अबॉर्शन करने का पुरे शहर में प्रचार करा रखा है। हद हो गया, आध्यात्म की नगरी में अनर्थ शबाब पर है और सरकारी अमला दर्शक बना बैठा है। अब तो इस पाप को रोकने के लिए वास्तविक और सख्त दण्डनात्मक कार्यवाही की जरुरत है।
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