
जानिए सट्टेबाजी में किस शब्द का क्या है अर्थ, कैसे खेलते है जुआ
सिटी क्राइम / इन्नोवेस्ट / 27 SEP
बात चल रही सट्टेबाजी की तो भाव का मतलब तो समझ में आ ही गया होगा ।खैर हम बताते है जिस प्रकार बाज़ार में बिकने वाली हर चीज का भाव यानी कीमत होता है ठीक उसी प्रकार यहां सट्टा लगाने के लिए भी भाव निर्धारित होता है ताकि सट्टा खेलने वाले को यह जानकारी हो कि वह जिस टीम के जितने व हारने पर पैसा लगा रहा है उसे लगाए गए पैसे के एवज में कितना पैसा अधिक या कम मिलेगा।उक्त भाव को कौन और कहा से निर्धारित करता है यह तो स्पष्ट नहीं है मगर हां इस तरह के भाव को आपके मोबाइल के प्ले स्टोर पर मौजूद कई बेटिंग सॉफ्टवेयर लाईव मैच स्कोर के साथ प्रदर्शित करते है।इसी भाव के तहत आता है खा लो या लगा दो की भाषा जिसका मतलब अगर सट्टा खेलने वाला व्यक्ति खा लो कहता है मतलब वो वर्तमान में कमजोर पड़ रही टीम पर पैसा लगा रहा है इस परिस्थिति में उसे जितने पर ज्यादा रुपए मिलेंगे तथा हारने पर कम रुपए का नुक़सान होगा वहीं लगा लो कि भाषा ठीक इसके विपरीत है इसमें जितने वाले को कम रुपयों का फायदा होगा परन्तु हारने की स्थिति में जायदा रुपयों का नुक़सान होगा ।वहीं सेशन कि बात करे तो यह भी एक तरह से हर बाल पर आपको रनों का एक टारगेट देता है और आपको बताना होता है कि उस ओवर की अवधि तक उक्त दिए गए रन बन पाएगा या नहीं आप जिस विकल्प को चुनेंगे यानी yes or not उसी के हिसाब से आपकी जीत और हार तय होगी ।इस मामले में रुपए बराबर रहते है आप जितना लगाते है उतना ही जीतते और हारते है जबकि भाव में ऐसा नहीं होता।अमूमन सेशन को चार भाग में बांटा जाता है 1ज़ीरो से छ ओवर तक 2 सात से दस ओवर तक 3 ग्यारह से पंद्रह ओवर तक व 4 और आखरी सोलह से बीस ओवर तक जिसे सट्टा खेलने व खेलाने वाले लंबी नाम से भी बुलाते है।
- प्रशासन कैसे केवल कागजों पर लगाती है लगाम और मौन साध बिन गुठली गिने खाती है आम पढ़िए अगले अंक में…….
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