रात 8 बजे तक की शहर की बड़ी घटनाएं

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विश्व मानसिक स्वास्थ दिवस
कोराना के मद्देनजर पूरी दुनिया के 20 प्रतिशत युवा व बच्चे हो सकते है मानसिक रोग के शिकार
@ बNARAS / इन्नोवेस्ट डेस्क / 10 OCT

साथ ही लगभग 20% बच्चे और युवा भी किसी न किसी मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझते हैं।
WHO  द्वारा दिए गए आंकड़े के अनुसार दुनिया की लगभग 10 प्रतिशत आबादी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से ग्रस्त है।
 

हर साल 10 अक्टूबर को पूरे विश्व में विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया जाता है।  मनाये जाने की वजह लोगों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों पर जागरुकता बढ़ाना और मानसिक स्वास्थ्य के सहयोगात्मक प्रयासों को संगठित करने के उद्देश्य होता है। इसकी शुरुआत विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ ने 10 अक्तूबर 1992 को की थी। विश्व मानसिक स्वास्थ्य संघ एक अंतरराष्ट्रीय सदस्यता संगठन है, जिसकी स्थापना साल 1948 में दुनियाभर के लोगों और राष्ट्रों के बीच मानसिक और भावनात्मक विकारों की रोकथाम और ऐसे विकारों का उचित इलाज और देखभाल को बढ़ावा देने के उद्देश्य से की गई थी। आज दुनिया में कई सारे लोग डिप्रेशन या फिर किसी ना किसी और मानसिक बीमारी के शिकार हैं। ये बीमारी आज के दौर में इतनी ज्यादा बढ़ गई है की हर दूसरा व्यक्ति इससे ग्रस्त है। लोगों को मानिसक रोग की चपेट में आने से कई बाहर आत्महत्या का ख्याल भी आता है। ऐसे में विश्व को मेंटल हेल्थ के प्रति जागरुक करने के उद्देश्य से ये दिन मनााया जाता है।

BHU के प्रसिद्ध मनोचिकित्सक प्रो संजय गुप्ता ने बताया कि  बनारस में भी 15 % लोग मानसिक परेशानियों से घिरे हैं लेकिन आज भी लोग मानसिक रोग का अनदेखा करते नजर आते हैं ।सच तो ये है कि कोरोना महामारी सभी में असुरक्षा की भावना को बल दिया है जो आगे चलकर मानसिक परेशानियों की वजह हो सकता है।  

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का इतिहास
विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पहली बार 1992 में संयुक्त राष्ट्र के उप महासचिव रिचर्ड हंटर और वर्ल्ड फेडरेशन फॉर मेंटल हेल्थ की पहल पर मनाया गया था। इसके बाद साल 1994 में तत्कालीन संयुक्त राष्ट्र के महासचिव यूजीन ब्रॉडी के सुझाव के बाद विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस को एक थीम के साथ मनाने की शुरुआत की गई। सन् 1994 में पहली बार “दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार।” नामक थीम के साथ विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मनाया गया था।  ऑस्ट्रेलिया समेत कुछ देशों में मानसिक रोगों से बचने और उनके नुकसान के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए मानसिक स्वास्थ्य सप्ताह भी मनाया जाता है।

ये है आकड़ें 
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा अक्टूबर 2019 में दिए गए एक डेटा के मुताबिक़ भारत की कुल आबादी का लभगभ 7.5% भाग किसी न किसी तरह के मानसिक स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों से जूझता है। जो साल 2020 में बढ़कर 20 प्रतिशत हो जाएगा। लेकिन 2020 में एक ऐसी महामारी ने पूरी दुनिया को अपने चपेट में लिया, जिसके कारण दुनिया की रफ्तार लगभग थम गई। लोग घरों में कैद हो गए। कामकाज ठप हो गया। बहुत सारे लोगों को नौकरियों से निकाल दिया गया। पुरुषों के घर में होने के कारण महिलाओं के ख़िलाफ़ घरेलू हिंसा की घटनाओं में अप्रत्याशित रूप से इज़ाफ़ा हुआ। सरकारों की अक्षमता के कारण भविष्य को लेकर लोगों के मन में तमाम तरह के संशय घर कर गए जिसके कारण दुनिया भर में मानसिक स्वास्थ्य की दर में गिरावट दर्ज की गई। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा 130 देशों में जून से लेकर अगस्त के बीच किए गए एक सर्वे के अनुसार वैश्विक महामारी कोरोना के कारण लगभग 93 प्रतिशत देशों में मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुई हैं ,जबकि इस दौरान इन सेवाओं की और भी अधिक ज़रूरत है।

स्वास्थ्य दिवस 2020 की थीम
हर साल विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के लिए हर साल अलग-अलग थीम रखी जाती है, इस साल “ सभी के लिए मानसिक स्वास्थ्य: अधिक से अधिक निवेश, ज्यादा से ज्यादा पहुंच ”  है।  इसी थीम पर पूरे विश्व में कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे है।

 

 

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पुजारी को जिंदा जलाकर मारने से भड़के बीएचयू के छात्र,किया प्रदर्शन,जताया आक्रोश
@ बNARAS / इन्नोवेस्ट डेस्क / 10 OCT

राजस्थान के करौली जनपद के सपोटरा क्षेत्र में जमीन कब्जा करने का विरोध करने पर एक पुजारी को जिंदा पेट्रोल से जलाकर मारने की घटना ने एक बार फिर से पूरे देश में आक्रोश पैदा कर दिया है।इस क्रम में आज बीएचयू छात्रों ने छात्र नेता शुभम तिवारी के नेतृत्व में विश्वविद्यालय के मुख्य गेट पर एकत्रित होकर राजस्थान सरकार के खिलाफ नारेबाजी कर विरोध प्रदर्शन किया।इस दौरान छात्रों ने कहा की राजस्थान में हुई घटना बहुत ही निंदनीय है यह सिर्फ जमीन कब्जा को नहीं बल्कि जाती विशेष के प्रति पनप रही नफरत की आग को दर्शाता है जिनपर राजनैतिक गिद्द अपनी रोटी सेकने को आतुर दिखते है और इस आग को और भड़काने का काम करते है।आज पूरे देश में सनातन प्रेमियों विशेषकर ब्राह्मणों पर खुलकर हमले हो रहे है और इनकी सुनने वाला कोई नहीं क्योंकि ब्राहमण का वोट बैंक इनको विपक्ष के अपराधियों के वोट बैंक के आगे सिफर दिखता है ।हम राजस्थान सरकार से यह मांग करते है कि आरोपी पर कड़ी से कड़ी कार्रवाई करे ताकि भविष्य में कोई किसी पर भी इस प्रकार हैवानियत से वार ना करे।

 

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