महात्मा गाँधी काशी विद्यापीठ में फर्जी नियुक्ति पर छात्रों का अनिश्चितकालीन धरना
CC / INN / 13 OCT
भले ही कोरोना काल की वजह से हर तरफ हर काम सुस्ती से हो रहा हो लेकिन वाराणसी के महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में सभी काम भले ही सुस्त हो लेकिन आर्थिक लाभ देने वाला काम फर्जी नियुक्ति पर जोरो पर हुआ। मामला के संज्ञान आने के बाद महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ में हलचल बढ़ी और छात्रों भी इस फर्जीबाड़ा के खिलाफ बिगुल फुक दिया। लिहाजा छात्र संघ के अध्यक्ष अपने साथियों संग कुलपति ऑफिस के बाहर नियुक्ति को रद्द करने की मांग को लेकर अनिश्चतकालीन धरना जारी रखा है । ये नियुक्तियां शाररिक शिक्षा विभाग के विभागाध्यक्ष व चीफ़ प्रॉक्टर पर आरोप है कि ये अपने नियुक्ति में गलत जाति प्रमाण पत्र के आधार पर है नियुक्ति लिया है धरनारत छात्रों का मांग कि आरोपी विभागाध्यक्ष को जांच तक पद से हटाया जाय। कल के बाद आज एक बार फिर ये धरना आज शुरू हुआ।
13 अक्टूबर को 11 बजे तक का अपडेट
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वाराणसी के मुख्य चिकित्साधिकारी के अनुसार आज 13 अक्टूबर को 11 बजे तक कोरोना के 93 पॉजिटिव मरीज सामने आये। जिसके बाद वाराणसी में अब कुल कोरोना मरीजों की संख्या 15254 मरीज हो गया ,कोरोना संक्रमण से अब तक 13635 लोग स्वस्थ होकर डिस्चार्ज हुए हैं तो वही एक्टिव मरीज की संख्या 1373 है। दुखद ये है कि कोरोना ने अब तक 246 मरीजो को मौत के गाल में दबोचा है।
एक बार फिर बंद होगी खटर पटर की आवाज़
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बुनकर बिरादराना तंजीम ने उत्तर प्रदेश बुनकर महासभा के समर्थन में मुर्री सहित बुनकारी से जुड़े हर तरह के कार्य 1 से 15 सितंबर तक बंद रखने की घोषणा की थी। बंदी का असर हर तरफ दिखा था । हर मोहल्ले के पावरलूम बंद थे। साड़ी की गद्दियों पर भी लेन-देन नहीं हुआ था । बनारस के बुनकरों ने भी हड़ताल कर अपने विरोध का प्रदर्शन किया था और सभी का मांग था कि हमेशा की तरह फिक्स चार्ज पर मिलने वाली बिजली जिसे प्रदेश सरकार ने खत्म कर दिया है, पुनः बहाल करे। कुछ दिन काम बंद कर प्रदर्शन कर रहे बुनकरों के लखनऊ नेता से तय हुआ था कि बिजली बिलिंग पहले की तरह जारी किये जायेगे लेकिन ऐसा न होने से बुनकर एक बार फिर 15 अक्टूबर से फिर हड़ताल पर बुनकर जाने का फैसला लिया है ये सरकार पर वादा खिलाफी का लगाया आरोप लगा रहे है।
बुरा हाल है SBI का , ग्राहकों का सुध लेने वाला वेसुध
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भारत सरकार का बैंकिंग उपक्रम बैंक , जहाँ उपभोगता अपने जरूरत को पूरा करने के लिए अपनी ही कमाई का कुछ हिस्सा इस लिए जमा करता है ताकि आड़े वक्त में काम को निपटाया जा सके लेकिन SBI के अधिकाँश शाखाओं में उपभोगताओं के साथ जैसा व्यवहार किया जाता है वो कष्टप्रद होता है। भारतीय स्टेट बैंक दूसरे नंबर का बाइक हैं लेकिन अपने सेवा में हमेशा फिसडी देखा गया है।इनके शाखाओं में आये दिन सर्वर डाऊन का जुमला चलता है। उपभोक्ता की परेशानियों से इन बैककर्मियों को मतलब नहीं।मामला बड़ागाँव बाज़ार में स्थित भारतीय स्टेट बैंक की शाखा से है जहाँ पिछले चार दिनों से सर्वर की खराबी के चलते कोई काम नहीं हो पा रहे है आलम ये है कि बीच में ही सर्वर के फेल होने से पेमेंट की समस्या अजीब उलझन पैदा कर रही है। पुरे समस्या पर बैंक बड़े साफ़गोई से सर्वर का बहाना बनता है लेकिन अब कोई इन्हें ये समझाए कि आखिर उपभोगता किसको क्या समझाए बया खुद क्या समझे।
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