
दशमी 25अक्टूबर को तो दशहरा 26 अक्टूबर को क्यों ? जानिए शास्त्रीय मत
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 25 oct
– चन्दन महाराज
दशहरे के दिन पर शाम के समय को खास तौर पर शुभ माना जाता है। इसे विजय काल के नाम से जाना जाता है। इस मुहूर्त में आप जो भी काम करेंगे, उसमें आपको विजय हासिल होगी लेकिन इसके साथ एक शर्त है, वह यह है कि आपको सच्चे मन से उस काम को अंजाम देना होता है।
दशहरा रावण दहन के शुभ मुहूर्त – 25 अक्टूबर 2020
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 43 मिनट से दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक।
विजय मुहूर्त- दोपहर 2 बजकर 05 मिनट से दोपहर 2 बजकर 52 मिनट तक।
अमृत काल मुहूर्त- शाम 6 बजकर 44 मिनट से रात 8 बजकर 27 मिनट तक।
शुभ समय-9:11 से 12:21, 1:56 से 3:32
राहु काल- सायं 4:30 से 6:00 बजे तक
विजयादशमी के दिन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त दोपहर 01:12 से दोपहर 03:27 बजे तक है। इस अवधि में देवी अपराजिता और शमी वृक्ष की पूजा करनी चाहिए।
दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम ने लंकापति रावण का वध किया था। श्री राम के रावण पर विजय प्राप्त करने के उपलक्ष्य में ही दशहरा का पर्व मनाया जाता है। इस पर्व को विजय दशमी भी कहा जाता है। वहीं, इस दिन मां दुर्गा ने महिषासुर का संहार भी किया था। इस वर्ष दशहरा का त्योहार 25 अक्टूबर 2020 को मनाया जाएगा और मतांतर से 26 को भी मनाया जा रहा है। इस दिन सूर्य तुला राशि और चंद्रमा मकर राशि में होगा। धनिष्ठा नक्षत्र भी इसी दिन रहेगा। दीवाली से ठीक 20 दिन पहले दशहरा का पर्व आता है। वर्ष 2020 में दशमी 26 अक्टूबर की मनाई जाएगी। जबकि दशहरा 25 अक्टूबर रविवार को है। सवाल यह कि जब दशमी 26 को तो दशहरा 25 को क्यों?
इसका कारण यह है कि दशहरा पर्व अश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को अपराह्न काल में मनाया जाता है। इस काल की अवधि सूर्योदय के बाद दसवें मुहूर्त से लेकर बारहवें मुहूर्त तक की होती। अगर दशमी दो दिन के अपराह्न काल में हो तो दशहरा त्यौहार पहले दिन मनाया जाएगा। अगर दशमी दोनों दिन आ रही है लेकिन अपराह्न काल में नहीं, उस समय में भी यह पर्व पहले दिन ही मनाया जाएगा।
ये है मुख्य कारण
अगर दशमी दो दिन हो और केवल दूसरे ही दिन अपराह्नकाल को व्याप्त करे तो विजयादशमी दूसरे दिन मनाई जाएगी। इसके अलावा श्रवण नक्षत्र भी दशहरा के मुहूर्त को प्रभावित करता है। अगर दशमी तिथि दो दिन आती है (चाहे अपराह्न काल में हो या ना हो) लेकिन, श्रवण नक्षत्र पहले दिन के अपराह्न काल में पड़े तो विजयदशमी का त्योहार प्रथम दिन में मनाया जाएगा। अगर दशमी तिथि दो दिन पड़ती है (चाहे अपराह्न काल में हो या ना) लेकिन श्रवण नक्षत्र दूसरे दिन के अपराह्न काल में पड़े तो विजयादशमी का त्योहार दूसरे दिन मनाया जाएगा। अगर दशमी तिथि दोनों दिन पड़े, लेकिन अपराह्न काल केवल पहले दिन हो तो उस स्थिति में दूसरे दिन दशमी तिथि पहले तीन मुहूर्त तक विद्यमान रहेगी और श्रवण नक्षत्र दूसरे दिन के अपराह्न काल में व्याप्त होगा तो दशहरा पर्व दूसरे दिन मनाया जाएगा। अगर दशमी तिथि पहले दिन के अपराह्न काल में हो और दूसरे दिन तीन मुहूर्त से कम हो तो उस स्थिति में विजयादशी त्योहार पहले दिन ही मनाया जाएगा। इसमें फिर श्रवण नक्षत्र की किसी भी परिस्थिति को खारिज कर दिया जाएगा।
ऐसे में इस बार जहां 25 अक्टूबर को नवमी सुबह 7.41 तक ही रहेगी। वहीं, इसके बाद दशमी शुरु हो जाएगी। जबकि यह दशमी तिथि 26 अक्टूबर को सुबह 9 बजे तक ही रहेगी। जिसके चलते दशहरा 2020 यानि विजयदशमी 2020, 25 अक्टूबर को ही मनाया जाएगा। जबकि दुर्गा विसर्जन 26 अक्टूबर को होगा।
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