
हनुमान जयंती
आज संकट हारने वाले भक्त हनुमन जयंती
इन्नोवेस्ट धर्म नगरी / 13 nov
– विमल जैन
– श्रीहनुमानजी के व्रत-उपवास से होगी मनोकामना पूरी
– श्रीहनुमानजी के दर्शन पूजन से होगा सर्वसंकटों का निवारण
श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर स्थित श्री श्री 1008 अक्षयवट हनुमान का जन्मोत्सव शुक्रवार को मनाया गया। कोरोना काल के चलते परम्परानुसार पूजन-अर्चन हुआ। शुक्रवार की भोर में महंत रमेश गिरी ने बाबा का विधि-विधान से पंचामृत स्नान कराके नूतन वस्त्र धारण कराया। फिर बाबा को लड्डू और मकदल का भोग लगाकर आरती की गई। करीब 4.30 बजे भक्तों के दर्शन हेतु कपाट खोल दिया गया। मध्य रात्रि लग्नानुसार हनुमत लला का महानुष्ठान और महाआरती महंत सतीश गिरी द्वारा किया जाएगा। इस दौरान मंदिर परिवार के महंत नील कुमार मिश्रा, कमल मिश्रा, बच्चा पाठक, राजू पाठक आदि लोग मौजूद रहे।
‘अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता अंजनी पुत्र भक्त शिरोमणि भगवान् श्री हनुमान जी के जन्म महोत्सव का महापर्व कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस बार यह पर्व 14 नवम्बर, शनिवार को मनाया जाएगा। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 13 नवम्बर, शुक्रवार को सायं 7 बजकर 59 मिनट पर लगेगी जो कि 14 नवम्बर, शनिवार को दिन में 2 बजकर 18 मिनट तक रहेगी। प्रख्यात ज्योर्तिविद् विमल जैन ने बताया कि कार्तिक कृष्णपक्ष की चतुर्दशी को सायंकाल मेष लग्न में श्रीहनुमानजी का जन्म महोत्सव मनाया जाता है। इस दिन व्रत उपवास रखकर श्रीहनुमान जी की पूजा-अर्चना करने से जीवन में सुख, समृद्धि, खुशहाली बनी रहती है। साथ ही समस्त संकटों का निवारण भी होता है, जैसा कि श्रीहनुमान चालीसा में बतलाया गया है—
‘संकट तें हनुमान छुड़ावै। मनक्रम बचन ध्यान जो लावै॥
पौराणिक मान्यता— पवनसुत भक्त शिरोमणि श्रीहनुमान जी के विराट स्वरूप में इन्द्रदेव, सूर्यदेव, यमदेव, ब्रह्मदेव, विश्वकर्मा जी एवं ब्रह्मा जी की शक्ति समाहित है। शिव महापुराण के अनुसार पृथ्वी, जल, वायु, आकाश, सूर्य, चंद्रमा, अग्नि व यजमान ये आठ स्वरूप शिवजी के प्रत्यक्ष रूप बताये गये हैं। एक मान्यता के अनुसार श्रीहनुमान जी ब्रह्म स्वरुप भगवान शिव के ग्यारहवें अंश के रुद्रावतार भी माने गये हैं। कलियुग में श्रीहनुमान जी को अमरत्व का वरदान प्राप्त है। एकाक्षर कोश के मतानुसार हनुमान शब्द का अर्थ है—’हÓ शिव, आनन्द, आकाश एवं जल। ‘नुÓ पूजन और प्रशंसा। ‘माता श्रीलक्ष्मी और श्रीविष्णु। बल और वीरता। भक्त शिरोमणि श्रीहनुमान जी अखण्ड जितेन्द्रियता, अतुलित बलधामता, ज्ञानियों में अग्रणी आदि अलौकिक गुणों से सम्पन्न होने के कारण देवकोटि में माने जाते हैं।
दर्शन करिये संकट मोचन , बनकटी जी और बड़े हनुमान का
श्रीहनुमान जी को ऐसे करें प्रसन्न— प्रात: ब्रह्म मूहूर्त में दैनिक नित्य-कृत्यों से निवृत्त होकर अपने आराध्य देवी-देवता की पूजा-अर्चना करके व्रत का संकल्प लेना चाहिए। भगवान श्रीहनुमान जी की पंचोपचार या षोडशोपचार से विधि-विधानपूर्वक पूजा करनी चाहिए। भगवान श्रीहनुमान जी की महिमा में में विविध स्तुतियां, श्री हनुमान चालीसा, श्री सुंदरकांड, श्री हनुमत् सहस्रनाम, श्रीरामचरित मानस का पाठ साथ ही श्रीहनुमानजी से सम्बन्धित विविध मंत्रों का जप आदि करना लाभकारी रहता है। आज के दिन व्रत रखकर भगवान श्री हनुमान जी की विशेष अनुकम्पा प्राप्त की जाती है। ऐसी मान्यता है कि श्रीहनुमान जी शीघ्र प्रसन्न होकर अपने भक्त को मंगल कल्याण का आशीर्वाद प्रदान करते हैं जिससे जीवन में सुख-समृद्धि, खुशहाली का मार्ग प्रशस्त होता है। जीवन के समस्त संकटों के निवारण के लिए श्रीहनुमान जी आराधना शीघ्र फलदायी होती है।
जैसा कि श्रीहनुमान चालीसा में वर्णित है—संकट कटै मिटै सब पीरा। जो सुमिरै हनुमत बलवीरा॥ जिन जातकों की जन्मकुण्डली में ग्रहों की दशा, महादशा अथवा अन्तर्दशा का शुभ फल न मिल रहा हो तथा विशेषकर शनिग्रह की अढ़ैया व साढ़ेसाती के दोष निवारण के लिए आज के दिन श्रीहनुमानजी की विशेष पूजा-अर्चना लाभदायी रहेगी।
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