
छठ पर्व
कौन है छठी देवी, क्या है सूर्य से इनका नाता
इन्नोवेस्ट धर्मनगरी / 19 nov
शुद्धता, स्वच्छता और पवित्रता के साथ मनाया जाने वाला छठ पर्व आदिकाल से मनाया जा रहा है छठ पूजा बिहार, उत्तर प्रदेश, झारखंड बंगाल और नेपाल में मनाया जाने वाला महापर्व है। चार दिवसीय ये पूजा और व्रत सूर्य देव और षष्टी देवी को समर्पित है। छठ पूजा दुनिया का एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमे डूबते सूरज की पूजा की जाती है।इस महापर्व में देवी षष्ठी माता एवं भगवान सूर्य को प्रसन्न करने के लिए स्त्री और पुरूष दोनों ही व्रत रखते हैं।
भगवान सूर्य जिन्हें आदित्य भी कहा जाता है वास्तव एक मात्र प्रत्यक्ष देवता हैं यानि खुली आंखों से देखे जा सकते हैं। इनकी रोशनी से ही प्रकृति में जीवन चक्र चलता है। इनकी किरणों से ही धरती में प्राण का संचार होता है और फल, फूल, अनाज, अंड और शुक्र का निर्माण होता है। यही वर्षा के कारक हैं और ऋतु चक्र को चलाते हैं। भगवान सूर्य की इस अपार कृपा के लिए श्रद्धा पूर्वक समर्पण और पूजा उनके प्रति कृतज्ञता को दर्शाता है। सूर्य षष्टी या छठ व्रत इन्हीं आदित्य सूर्य भगवान और उन्के बहन षष्ठी को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन षष्टी माता और सूर्य देव से जो भी मांगा जाता है वो जरूर मिलता है।
छठ नाम का रहस्य
मूलत: सूर्य षष्ठी व्रत होने के कारण इसे छठ कहा गया है। यह पर्व वर्ष में दो बार मनाया जाता है। जो शुक्ल पक्ष के चतुर्थी से सप्तमी तिथि तक चलता है। पहली बार चैत्र में और दूसरी बार कार्तिक में। चैत्र शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले छठ पर्व को चैती छठ व कार्तिक शुक्ल पक्ष षष्ठी पर मनाये जाने वाले पर्व को कार्तिकी छठ कहा जाता है। सूर्य की शक्तियों का मुख्य श्रोत उनकी पत्नी ऊषा और प्रत्यूषा हैं। छठ में सूर्य के साथ-साथ दोनों शक्तियों की संयुक्त आराधना होती है। प्रात:काल में सूर्य की पहली किरण (ऊषा) और सायंकाल में सूर्य की अंतिम किरण (प्रत्यूषा) को अर्घ्य देकर दोनों का नमन किया जाता है। इसे पारिवारिक सुख-समृद्धी तथा मनोवांछित फल प्राप्ति के लिए यह पर्व मनाया जाता है। स्त्री और पुरुष समान रूप से इस पर्व को मनाते हैं।इस कठिन व्रत में व्रती बिना सिला कपड़ा पहनता है और जमीन पर सोता है। और 36 घंटे जल ग्रहण नहीं करता है। कुल मिलाकर शुद्धता का खास ध्यान रखा जाता है।
सूर्य देवता और छठी मैया का सम्बन्ध –
कौन हैं छठी मैया
छठ देवी सूर्य की बहन हैं लेकिन छठ व्रत कथा के अनुसार छठ देवी ईश्वर की पुत्री देवसेना बताई गई हैं। देवसेना प्रकृति की मूल प्रवृति के छठवें अंश से उत्पन्न हुई हैं। छठी देवी को ही स्थानीय बोली में छठ मैया कहा गया है। षष्ठी देवी को ब्रह्मा की मानसपुत्री भी कहा गया है, जो नि:संतानों को संतान देती हैं, संतान को दीर्घायु प्रदान करती हैं। बच्चों की रक्षा करना भी इनका स्वाभाविक गुण धर्म है। इन्हें विष्णुमाया तथा बालदा अर्थात पुत्र देने वाली भी कहा गया है। कहा जाता है कि जन्म के छठे दिन जो छठी मनाई जाती हैं वो इन्हीं षष्ठी देवी की पूजा की जाती है। यह अपना अभूतपूर्व वात्सल्य छोटे बच्चों को प्रदान करती हैं। हिंदू पुराणों के अनुसार मां छठी को कात्यायनी नाम से भी जाना जाता है। नवरात्रि की षष्ठी तिथि को इन्हीं की पूजा की जाती है।माना जाता है, छठी मैया बच्चो की रक्षा करती है मार्कण्डय पुराण में भी इस बात का जिक्र किया है की सृष्टि के अधिष्ठात्री देवी प्रकृति ने खुद को 6 भागों में बांटा हुआ है और इसके छठे अंश को मातृ देवी के रूप में पूजा जाता है जो भगवान ब्रह्मा की मानस पुत्री है। बच्चे के जन्म के 6 दिन बाद भी छठी मैया की पूजा की जाती है और उनसे प्रार्थना की जाती है की वो बच्चे को स्वस्थ, सफलता और दीर्घ आयु का वरदान दें।
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