अस्‍ताचलगामी सूर्य को अर्घ देने के बाद अब अरुणोदय का इन्तजार

अस्‍ताचलगामी सूर्य को अर्घ देने के बाद अब अरुणोदय का इन्तजार

कोरोना का दिखा असर , घाटों पर काम रही भीड़
इन्नोवेस्ट न्यूज़  / 20 nov

काशी के गंगा घाट , तालाब और सरोवरों पर व्रती अस्‍ताचलगामी सूर्य को अर्घ  देकर कुछ अपने अपने घर को तो कुछ अपने घाट पर ही कल के सूर्योदय के पहली किरण को अर्घ देकर 36 घंटे के पूजन अनुष्‍‍‍ठान को पूर्ण करेगें .लोक आस्‍था के इस पर्व  पर पवित्र जल में स्‍नान कर महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाकर अखंड सौभाग्‍य की कामना भी की। चार दिवसीय लोकआस्‍था के इस पर्व की शुरुआत नहाय खाय से होता है जिसके अगले दिन खरना का परंपरा है। व्रती यही से अगले 36 घंटे निराजल रहकर व्रत के संकल्प को पूरा करता है। डाला छठ की पूर्व संध्या पर व्रतियों ने गंगा वरुणा संग तालाब और सरोवरों के किनारे बनाये वेदी पर दीप जलाकर घर से लाये प्रसाद की टोकरी में  रखकर मंगल गीत गाते हुए घर जायेगी। कल भोर में मंगलगीत गाते हुए पुनः घाट पहुंच कर उगते सूर्य को अर्घ देती है।

कोसी भरना  – अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ देने के बाद घर आकर व्रती महिलाएं कोसी भरेंगी। हालांकि जरूरी नहीं कि हर छठ व्रती इसे करे। इसे विशेष मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए भरा जाता है। ईख के घरौंदे बनाकर नए कपड़े की छाजनी डाली जाती है और उसके बीच में पूजन सामग्री व फल आदि सजाकर दिये जलाए जाते हैं। कोसी भरने के साथ ही शाम की पूजा समाप्त होती है और अरुणोदय का इंतजार शुरू होता है।

 

जानिये छठ पूजा का तरीक़ा – 

 

जानिए छठ की कथा – 

कौन है छठी देवी  ….

 

सूर्य देवता और छठी मैया का सम्बन्ध – 

 

जरूर पढ़िए ,छठ विशेष –

छठ नाम का रहस्य कौन है षष्‍ठी ( छठ ) देवी

जानिये , नहाय खाय ,खरना और लोहंडा,संध्या अर्घ्य और उषा अर्घ्य

डाला छठ – चार दिवसीय सूर्य उपासना का महापर्व

 

सुनिए छठ गीत –

 

 




</p

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!