काशी आयेगी 107 साल पहले चोरी हुईं अन्नपूर्णा विग्रह 

काशी आयेगी 107 साल पहले चोरी हुईं अन्नपूर्णा विग्रह 

काशी आयेगी 107 साल पहले चोरी हुईं अन्नपूर्णा विग्रह 
इन्नोवेस्ट न्यूज़  / 22 nov

शिव की नगरी काशी यूँ ही तीनो लोक से न्यारी नहीं कही गयी है असल में काशी की बुनियाद हजारों साल गहरी है लिहाजा इससे जुड़ीं बातें भी ख़ास है। ऐसा ही मामला मंदिरों का शहर काशी से है ,वर्ष 1913 में यानि 107 साल पहले बनारस से कनाडा पहुंची माता अन्नपूर्णा की पत्थर की मूर्ति एक लम्बे प्रयास  के बाद भारत वापस लाये जाने की प्रक्रिया में है । इस दुर्लभ मूर्ति को 19 नवंबर को कनाडा सरकार ने भारत की विरासत बताते हुए भारतीय उच्चायोग को वापस कर दी है। माता के इस मूर्ति को अब पहले भारत में फिर बनारस लाने की प्रक्रिया तेज है।


कैसी  है ये मूर्ति

काशी अनादिकाल से आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है यहाँ हिन्दू धर्म की सभी 33 कोटि ( प्रकार ) देवी देवता की विग्रह स्थापित है जिनमें से कुछ अब गायब भी हैं इन्ही मूर्ति में से एक भगवान शिव की अर्धांगनी माता की एक मूर्ति कनाडा के एक  म्यूजियम में है जो अब भारत लाया जा रहा है।  पत्थर की एक फुट ऊंची इस मूर्ति जी माता अन्नपूर्णा की है ,के एक हाथ में खीर का पात्र और दूसरे हाथ में कलछुल ली है।

कैसे पता चला 
कनाडा की यूनिवर्सिटी ऑफ रेजिना की मैकेंजी आर्ट गैलरी में प्रदर्शित इस मूर्ति पर भारतीय मूर्ति शिल्पी दिव्या मेहरा की नजर पड़ी। गैलरी के स्थाई संग्रह में रखी इस मूर्ति से जुड़े दस्तावेजों की पड़ताल से पता चला कि वर्ष 1936 में इस मूर्ति की वसीयत मैकेंजी ने करवाई थी। मैंकेंजी को यह मूर्ति कहां से मिली, किसने दी इसका कोई भी ब्योरा रिकार्ड में दर्ज नहीं था। जबकि नियमत: सारे विवरण दर्ज होना चाहिए था। ऐसी को आधार बना कर दिव्या ने कनाडा सरकार के समक्ष अपनी बात रखी । एक तथ्य ये भी आया कि मैकेंजी ने 1913 में भारत की यात्रा की थी जिसके बाद ये मूर्ति कनाडा पहुंची थी।

 

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