
9 महीने बाद गंगोत्री सेवा समिति ने भव्यता से शुरू कराई नियमित आरती
इन्नोवेस्ट न्यूज़ / 25 nov
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अपनी अलग पहचान रखने वाली बनारस की गंगा आरती आज एक बार फिर से जीवंत हुआ है। देश से विदेश तक अपने आकर्षण को बिखेरने वाली गंगा आरती आज देवउठनी एकादशी से अपने मूल स्वरूप में प्रारंभ की गयी। आज के शुभ मुहूर्त में 11 ब्राम्हणों ने माता गंगा की विशेष षोडशोचार पूजन के बाद कोरोना संक्रमण में जान गवाए आत्मायों के शान्ति लिये शांति पाठ संग 500 दीपदान भी किया गया।
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गंगोत्री सेवा समिति द्वारा प्राचीन दशाश्वमेध घाट परआयोजित विश्वविख्यात गंगा आरती कोरोना महामारी के कारण 18 मार्च 2020 से पिछले 9 महीने से साकेन्तिक रूप में की जा रही थी जिसे आज के शुभ मुहूर्त देवउठनी एकादशी से अपने मूल स्वरूप में प्रारंभ की गयी।
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सरकारी निर्देश और जन स्वास्थ्य के दृष्टिगत कोरोना के साये में बीते 9 महीने पांच अर्चक के बजाय सिर्फ एक अर्चक द्वारा ही माता गंगा की आरती उतार परंपरा का निर्वहन किया जा रहा था। अनलॉक की प्रकिया शुरू होने के साथ ही श्रद्धालु और पर्यटकों की संख्या बढ़ने के साथ ही गंगा आरती को पुराने स्वरूप में आज से पुनः शुरुआत किया गया।
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कोविड 19 के कारण गंगा आरती के आयोजक गंगोत्री सेवा समिति ने चाक चौबंद व्यबस्था सुनिश्चित किया है जिसके तहत आरती में सम्मलित सभी भक्तो को मास्क अनिवार्य किया गया है साथ ही आरती के पूर्व और पश्चात् आरती स्थल को सेनिटाइज कराया जा रहा है। समिति के दो कार्यकर्त्ता पर्यटकों और श्रदालुओं उचित दूरी पर ही बैठा रहे है।
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गंगोत्री सेवा समिति के संस्थापक और अध्यक्ष बाबू महाराज के अनुसार आरती में कोविड-19 की गाइडलाइन का पूरी तरह से पालन किया जाना है साथ ही उन सभी सुरक्षा के उपायों पर नजर रखा गया है जो इस महामारी को रोकने में सहायक हो सकता हैं।
तुलसी(पौधा) पूर्व जन्म मे एक लड़की थी जिस का नाम वृंदा था, राक्षस कुल में उसका जन्म हुआ था बचपन से ही भगवान विष्णु की भक्त थी.बड़े ही प्रेम से भगवान की सेवा, पूजा किया करती थी.जब वह बड़ी हुई तो उनका विवाह राक्षस कुल में दानव राज जलंधर से हो गया। जलंधर समुद्र से उत्पन्न हुआ था.वृंदा बड़ी ही पतिव्रता स्त्री थी सदा अपने पति की सेवा किया करती थी। …..
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